जहाँ आप काम करती हैं चाहे वो घर हो या कार्यस्थल अगर वहाँ आपको बारबार आपके सीनियर के द्वारा या बॉस के द्वारा अपमान किया जाता हो,आपके ऊपर तंज कसा जाता हो या फिर आपको मेंटली हराश किया जाता हो तो महिला उत्पीड़न अधिनियम 2013 के तहत आप उस व्यक्ति के खिलाफ बिना संकोच शिकायत दर्ज करा सकती हैं।
भारत की वयस्क महिलाओं की जनसंख्या (जनगणना 2011) के आधार पर गणना की जाए तो पता चलता है कि 14.58 करोड़ महिलाओं (18 वर्ष से अधिक की उम्र) के साथ यौन उत्पीड़न जैसा अपमानजनक व्यवहार हुआ है। सवाल उठता है कि वास्तव में कितने प्रकरण दर्ज हुए? राष्ट्रीय अपराध अनुसंधान ब्यूरो के अनुसार वर्ष 2006 से 2012 के बीच आईपीसी की धारा 358 के अंतर्गत 283407, धारा 509 के तहत 71843 और बलात्कार के 154251 प्रकरण दर्ज हुए। मतलब साफ है कि बलात्कार के अलावा उत्पीड़न के अन्य आंकड़ों को आधार बनाया जाए तो साफ जाहिर होता है कि अब भी वास्तविक उत्पीड़न के एक प्रतिशत मामले भी सामने नहीं आते हैं।
विचारणीय यह है कि क्या हमारा समाज महिलाओं के लिए एक असुरक्षित और अपमानजनक जीवन जीने का स्थान है? हम इंतजार करेंगे कि कोई विशाखा, भंवरी देवी या निर्भया आए और उनके अस्तित्व दांव पर लगने के बाद सरकार और समाज जागेगा? अब हमारे पास महिलाओं का कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न (निवारण, प्रतिषेध एवं प्रतितोषण) कानून 2013 मौजूद है।
कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 सन् 2013 में कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न अधिनियम को पारित किया गया था।जिन संस्थाओं में दस से अधिक लोग काम करते हैं, उन पर यह अधिनियम लागू होता है। ये अधिनियम, 9 दिसम्बर, 2013, में प्रभाव में आया था। जैसा कि इसका नाम ही इसके उद्देश्य रोकथाम, निषेध और निवारण को स्पष्ट करता है और उल्लंघन के मामले में, पीड़ित को निवारण प्रदान करने के लिये भी ये कार्य करता है।
कार्यस्थल पे अगर आपको प्रताड़ित किया जाता है तो सबसे पहला कदम ये उठाएं. उत्पीड़न के मामले में जो सबसे पहला कदम उठाना चाहिये वो ये है कि,आप सीधा जाकर उस व्यक्ति से बात करें जो आपको परेशान कर रहा है और उसे इस बात का अंदेशा दें कि आप बर्दाश्त करने वाले या चुप रहने वालों में से नहीं हैं। उसे इस संबंध में एक लिखित चेतावनी भी दें। यदि उससे बात कर कोई फायदा न हो, तो अपने सानियर से इसकी शिकायद करें। अपने एचआर (ह्यूमन रीसोर्स) मैनेजर को भी इसमें शामिल करें, ताकि वे आपको आगे की कार्रवाई के बारे में सूचित कर सकें। इस मामले को अब लिखित बनाएं।
पीड़ितों और गवाहों को जुटाएं…
इस बात की पूरा संभावना है कि, आपको परेशान कर रहे व्यक्ति ने पहले भी लोगों के साथ उत्पीड़न किया हो, या वो हाल में भी और लोगों के साथ ऐसा करता या करती हो। उन लोगों से बात करें और उन्हें एक साथ जुटाने की कोशिश करें। अपने लिये किसी प्रत्यक्ष गवाह को तैयार करने की कोशिश करें। जितने हो सके सबूत जुटाएं। बाकी पीड़ितों से भी लिखित सूचना या चेतावनी देने का आग्रह करें ताकि आप सभी का केस मजबूत बन पाए। इसके बाद सीनियर मैनेजमेंट से इस संबंध में बात करें। उनके सामने सभी संभव सबूत ले जाएं।
उत्पीड़न करने वाले के खिलाफ मुकदमा करें…
अपने विकल्पों का मूल्यांकन करने के लिए वकील से सलाह लें। स्पष्ट रहें और सुनिश्चित कर लें कि आप बदले में क्या चाहते हैं, जैसे मुआवजा या अगर आपको नौकरी से निकाल दिया गया हो, तो अपनी नौकरी में वापसी।
निंदकों की बातों पर ध्यान ना दें और अच्छे लोगों में रहें
याद रखें, इस तरह के कदम को उठाने पर आपको निंदकों का भी सामना करना पड़ेगा। तो खुद को मजबूत बनाएं, निंदकों की बातों को दिल से न लगाएं, आप सही काम कर रही/रहे हैं।