कैसा लगेगा यदि आपके बिजली बिल में सीधे दो से तीन गुना वृद्धि हो जाए, क्या आप अपना मंथली बजट बिगड़ नही जाएगा? दरअसल मोदी सरकार इलैक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2021 लागू करने जा रही है इसमें सबसे बड़ी बात यह है कि सरकार पॉवर सैक्टर में पूरी तरह से निजीकरण लागू कर देगी.
इस निर्णय के विरोध में पूरे देश के बिजली कर्मचारी 28-29 मार्च को हड़ताल करने जा रहे है पावर सेक्टर के कर्मचारियों और इंजीनियरों की मांग है कि इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2021 वापस लिया जाना चाहिए और सभी तरह की निजीकरण गतिविधियों पर तुरंत रोक लगनी चाहिए। साथ ही पावर सेक्टर के निजीकरण का फैसला वापस होना चाहिए, दरअसल पॉवर सेक्टर को तीन क्षेत्र में बांटा जा सकता है यह हैं जनरेशन, ट्रांसमिशन और डिस्ट्रीब्यूशन। जनरेशन का मतलब होता है बिजली का उत्पादन करना, ट्रांसमिशन का मतलब होता है कि तारों के जरिए बिजली को किसी अमुक इलाके तक पहुंचाना और डिस्ट्रीब्यूशन का मतलब होता है बिजली को ट्रांसफार्मर से घरों तक पहुंचाना।
अभी तक जेनेरशन पुरी तरह से निजी कंपनियों के हाथो मे जा चुका हैं, अब ट्रांसमिशन और डिस्ट्रीब्यूशन भी निजी क्षेत्र के हवाले किया जा रहा है कई राज्यो मे इसकी शुरूआत भी हो गई है, चंडीगढ़, दागर नगर हवेली, दमन दीव और पुड्डुचेरी जैसे केन्द्र शासित प्रदेशों में इसे लागू किया जा रहा है.
मोदी सरकार देश के बड़े निजी घराने जैसे अम्बानी अदानी के दबाव में आकर पावर सेक्टर का निजीकरण करने पर तुली है वे चाहती हैं कि घरों-संस्थानों में बिजली आपूर्ति और बिल वसूली का काम निजी कंपनियों को सौंपा जाए इसे फ्रेंचाइजी मॉडल का नाम दिया जा रहा है, यह मॉडल लागू होने के बाद राज्यों के विद्युत वितरण निगम ट्रांसफाॅर्मर तक बिजली पहुंचाएंगे और उसके बाद फ्रेंचाइजी एजेंसी का काम होगा कि वह घर-घर तक बिजली पहुंचाना और बिल की वसूली करना।
इस बिल के जरिए एक बड़ा परिवर्तन यह किया जा रहा है कि किसानों को दी जाने वाली सब्सिडी का भुगतान उनके खाते में किया जाएगा। जिसका मतलब है कि किसानों को पहले पूरा बिजली बिल देना होगा, इसके बाद उनके खाते में सरकार की ओर से सब्सिडी का भुगतान किया जाएगा। डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियों को सब्सिडी देने की बजाय सीधे उपभोक्ताओं के खाते में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के माध्यम से सब्सिडी दी जाए। साथ में क्रॉस सब्सिडी भी खत्म कर दी जाएगी.
अगर ऐसा होता है तो आप खुद सोच लीजिए कि महंगाई कहा से कहा पुहंच जाएगी, यह अच्छी तरह से समझ लीजिए कि इस बिल को लाकर मोदी सरकार बिल्लियों को दूध की रखवाली सौप रही है.
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं, ये उनके निजी विचार हैं)