आज नेता जी सुभाष चंद्र बोस की जयंती है। सुभाष कौन हैं? देश के लिये उनका योगदान, बलिदान, त्याग विचारधारा क्या है? क्या इसे उस गिरोह के लोग समझ पाएंगे जिन्होंने आज कोलकाता में नेता जी की जयंती पर आज़ाद हिंद फौज के नारे ‘जय हिंद’ के बजाय ‘जय श्री राम’ के नारे लगाए हैं? वह सुभाष जिन्होंने देश को आज़ाद कराने के लिये आज़ाद हिंद फौज बनाई क्या उन्हें वे लोग समझ पाऐंगे जो आए दिन ‘अपनी’ सेना बनाकर बस्तियों में तांडव करते हैं? वे सुभाष जिन्होंने देश आज़ाद कराने के लिये ‘तुम मुझे ख़ून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दुंगा’ जैसा नारा दिया, क्या उन्हें वह गिरोह समझ पाएगा जो आए दिन एक वर्ग विशेष से आह्वान करता है कि पांच बच्चे पैदा करो और धर्म की रक्षा करो? राजनीतिक महत्तवकांक्षा की प्राप्ती के लिये नेता जी के नाम लाभ उठाने की कोशिश करने वाले गिरोह को क्या इसकी जानकारी है कि एक बार अंग्रेज़ों की क़ैद से फरार होने के लिये नेता जी मोहम्मद ज़ियाउद्दीन भी बने थे? क्या उस गिरोह को ख़बर है कि नेता जी को अंग्रेजी साम्राज्य की सीमा पार कराने के लिये मियाँ अकबर शाह, आबाद ख़ाँ ने क्या सहयोग किया था?
कौन जानना चाहेगा कि आज़ाद हिंद फौज में तक़रीबन 40 प्रतिशत मुसलमान थे। जनरल शाहनवाज़ खान, कर्नल अज़ीज़ अहमद, आबिद हसन सफ़रानी, अशरफउद्दीन चौधरी, कर्नल हबीबुर्रहमान, अब्दुल रहमान खान, अशरफ मंडल, आमिर हयात, अख्तर अली, अहमद खान, ए.के. मिर्ज़ा, अबू खान, एस अख्तर अली, अहमदुल्लाह, ताजुद्दीन कैप्टन अब्बास नेता जी के प्रमुख साथियों में थे। अंतरधार्मिक शादियों पर बवाल मचाकर सांप्रदायिक नफरत फैलाने वालों को क्या इसकी भी ख़बर है कि नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के भतीजे अरबिंदो बोस का विवाह आबिद हसन सफ़रानी की भतीजी सुरैया हसन हुआ था। नेता जी के साथियों में आबिद हसन सफ़रानी की उम्र सबसे कम थी, उन्होंने आज़ाद हिन्द फौज का मशहूर नारा जय ‘हिंद दिया’ था।
आए दिन एक संप्रदाय विशेष का बहिष्कार करने के आह्वान होते रहते हैं। उनकी पहचान पर हमले होते रहते हैं। इन दिनों ‘चंदा यात्रा’ निकल रहीं हैं, टीवी का एंकर ढ़िटाई से कह रहा है कि सद्धभाव चाहते हो तो चंदा दीजिए, मालूम नहीं वह चंदा मांग रहा है या धमकी दे रहा है? नस्लवादी क़ानून बनाकर एक संप्रदाय विशेष को अलग थलग करने का षड़यंत्र करने वाले सत्ताधारी इस मिट्टी में कितना अलग थलग करेंगे? क्या वे नेता जी के साथ जुड़े आबिद हसन सफ़रानी का नाम हटा सकते हैं? अभी हाल ही में हरियाणा की भाजपा सरकार ने फैसला लिया है कि फरीदाबाद में ख़ान अब्दुल गफ्फार खान अस्पताल का नाम बदल कर अटल बिहारी वाजपेयी अस्पताल किया जा रहा है। ‘पचास वर्षों’ तक सत्ता में बने रहने की हवस में एक संप्रदाय विशेष का नामों निशां मिटाने का षड़यंत्र करने वाले सत्ताधारी दल के लोग क्या नेता जी सुभाष चंद्र बोस के नाम के साथ लगे उन तमाम नामों को हटाने का माद्दा रखते हैं जो ‘उर्दू’ में हैं? क्या इन सत्ताधारियों का नारा ‘जय श्री राम’ सुभाष के नारे ‘जय हिंद’ पर भारी है?
(लेखक युवा पत्रकार हैं, ये उनके निजी विचार हैं)