क्या Diriliş Ertuğrul सीरीज़ 2023 में तुर्की की दशा और दिशा तय कर पाएगी?

तारिक़ अनवर चंपारणी

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यह एक सच्चाई है कि जब कोई समाज कमज़ोर होने लगता है तब वर्तमान की समस्याओं से मुक़ाबला करने के बदले इतिहास के क़िस्सों को सुनाने में ज्यादा खुशी महसूस करती है। आजकल तुर्की में भी ऐसी ही कहानियों को सुनाने का नया रिवाज़ निकल पड़ा है। तुर्की द्वारा बनाये गये Diriliş Ertuğrul  और Kurulus Osman सीरियल की धूम पूरी मुस्लिम दुनिया मे है। मैं भी इस बात को मज़बूती के साथ बोलता हूँ कि दुनिया की सभी क़ौमों को अपना इतिहास पढ़ना एवं जानना चाहिये। क्योंकि इतिहास पढ़ने एवं जानने से क़ौम के भीतर एक जज़्बा पैदा होता है। लेकिन इतिहास केवल जज़्बों के लिए नहीं जानते है बल्कि अपनी ग़लतियों को भी सुधारने के लिए पढ़ते है।

 

किसी ज़माने में चीन सल्तनत भी दुनिया की सबसे आधुनिक और मजबूत सल्तनत हुआ करती थी। लेकिन पहले चंगेज़ खान और बाद में तैमूरलंग के वारिसों ने उसे चिथड़ा-चिथड़ा कर दिया। उसके बाद फिर से चीन ने ख़ुद को खड़ा किया। लेकिन अफ़ीम के नशें में चूर चीन के लोग इस घमण्ड में जीने लगे कि दुनिया मे चीन से अधिक विकसित कोई देश ही नहीं है बल्कि दुनिया भर की सभ्यताओं को हक़ीर समझने लगे। लेकिन उसके बाद एक छोटा सा देश ब्रिटेन ने चीन को पटक-पटक कर मारा और कई समझौता किये। लेकिन इनसब के बावजूद चीन ने इतिहासिक ग़लतियों से सीखते हुए अपने वर्तमान की समस्याओं से मुक़ाबला किया है। आज स्थिति ऐसी बन पड़ी है कि दुनिया की नज़र एकबार पुनः चीन की तरफ़ है और सम्भवतः अगला सुपर पॉवर है।

 

सल्तनत-ए-उस्मानिया (Ottoman Empire) का केंद्र बिंदु वर्तमान का तुर्की रहा है। तुर्क नस्ल की इस सल्तनत ने लगभग 650 वर्षों तक यूरोप, एशिया और अफ़्रीका पर हुक़ूमत रही। जिस इस्ताम्बुल (Constantine) को डेढ़ हज़ार वर्षों तक दुनिया के किसी भी शासक ने फतह करने की हिम्मत नहीं की थी उसे सल्तनत ए उस्मानिया के 22 वर्षीय सुल्तान मोहम्मद फातेह  ने जीतकर रोमन सल्तनत की ईंट से ईंट बजा दी । यानी सल्तनत उस्मानिया  अपने समय का वर्ल्ड पावर रहा है। सवाल है कि उसका परिणाम क्या निकला? आख़िरी ख़लीफ़ा आते-आते और मुस्तफ़ा कमाल पाशा तक पहुँचते हुए तुर्कों को एक छोटा सा तुर्की देश प्राप्त हुआ।

 

तुर्की में दिखाये जा रहे इन सीरियलों के दो पक्ष है। यदि वाक़ई में तुर्कों का दिल अभी भी ऑटोमन एम्पायर को लेकर धड़कता है तब 2023 के बाद विश्व की राजनीति में एक बड़ा बदलाव आयेगा। क्योंकि प्रथम विश्वयुद्ध के बाद तुर्की पर लगाये गये एक सौ वर्ष का प्रतिबंध ख़त्म हो रहा है। अगर दिल नहीं धड़कता है तब इतिहास के क़िस्सों को सुनाकर ख़ुश होते रहेंगे।

 

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं, ये उनके निजी विचार हैं)