गिरीश मालवीय
अफजल गुरु याद है न आपको? संसद हमले के मास्टर माइंड अफजल गुरू ने अपने वकील को लिखी चिट्ठी में अफजल ने देविंदर सिंह को लेकर कई खुलासे किए थे। फरवरी 2013 में अफजल गुरु को फांसी हो गई थी, लेकिन उनकी चिट्ठी में देविंदर सिंह पर लगे कई आरोप बहुत कुछ कह रहे थे। उस चिठ्ठी में अफजल ने खुलासा किया था कि देविंदर सिंह ने जैश ए मोहम्मद से जुड़े मोहम्मद नाम के आतंकी को न केवल दिल्ली पहुंचाया, बल्कि उसके रहने खाने का इंतजाम भी किया। ओर यह जानकारी दो एजेंसियों के पास थी। यानी जिस NIA ने आज जो उस पर चार्ज लगाए हैं इसकी जानकारी 2001 से खुफिया एजेंसियों के पास थी. इसके बावजूद उसे लगातार बेहद संवेदनशील जगहों पर तैनात किया जाता रहा, यहाँ तक कि उसे दो साल पहले जम्मू कश्मीर।में बहादुरी के लिए देने वाला पुरस्कार शेर ए कश्मीर भी दिया गया.
सबसे आश्चर्य जनक बात तो यह है कि उसका सम्बन्ध पुलवामा हमले से हो सकता है इसकी जांच ही नही की जा रही हैं ! जबकि वह मूलतः पुलवामा से ही है. देविंदर सिंह पुलवामा के त्राल का रहने वाला है। यह वही इलाका है जो हिज्बुल मुजाहिदीन का गढ़ माना जाता है। आतंकी बुरहान वानी और जाकिर मूसा इसी इलाके के रहने वाले हैं। त्राल में देविंदर सिंह की पैतृक संपत्ति भी है। पुलवामा हमले की जाँच आज तक नही हो पाई है.
अगर अफजल द्वारा दविंदर पर लगाए गए आरोपों की जाँच वक्त पर ओर ढंग से की जाती तो एक दशक से जो हम आतंकवादी हमले झेल रहे हैं उससे बचा जा सकता था ? सैकड़ों मासूम जाने बचाई जा सकती थी. क्या यह हमारे खुफिया एजेंसियों की नाकामी नही है? बताया जाता है कि जिस दिन उसे पकड़ा गया तब कार में आतंकियों के साथ दविंदर सिंह को बैठे देखकर उसे गिरफ्तार करने आए डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल (DIG) अतुल गोयल अपना आपा खो बैठे थे.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उन्होंने वहीं दविंदर सिंह को कई थप्पड़ भी जड़ दिए थे देविंदर ने उन पर लगभग चिल्लाते हुए कहा कि ‘आपने पूरा गेम खराब कर दिया’. क्या देविंदर डबल एजेंट बन गया था? आखिर इतने सालों तक कौन सा ‘गेम’ खेल रहा था? और किस की शह पर?
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं, ये उनके निजी विचार हैं)