राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने हरिद्वार में धर्म संसद के मंच से मुसलमानों के ख़िलाफ भड़काऊ बयान देने के आरोपियों की गिरफ्तारी न होने पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि ये बेहद शर्मनाक है कि उत्तराखंड में हुई विवादास्पद धर्म संसद के एक सप्ताह से अधिक समय गुजरने के बाद भी कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है। एक मीडिया चैनल से बातचीत में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने इस मुद्दे से अनभिज्ञता जताई जो आश्चर्यजनक है जबकि वहां का गृह विभाग उन्हीं के पास है।
ये बेहद शर्मनाक है कि उत्तराखंड में हुई विवादास्पद धर्म संसद के एक सप्ताह से अधिक समय गुजरने के बाद भी कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है। एक मीडिया चैनल से बातचीत में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने इस मुद्दे से अनभिज्ञता जताई जो आश्चर्यजनक है जबकि वहां का गृह विभाग उन्हीं के पास है।
1/2— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) December 29, 2021
अशोक गलोत ने कहा कि बीजेपी शासित राज्यों में कलाकारों, पत्रकारों एवं कॉमेडियनों तक पर NSA एवं UAPA लगाकर संविधान की धज्जियां उड़ाते हुए कार्रवाइयां की गईं परन्तु उत्तराखंड में नरसंहार के लिए उकसाने के भाषणों के बावजूद कोई गिरफ्तारी तक नहीं हुई है। यह संविधान एवं कानून व्यवस्था का मजाक बनाने जैसा है।
अब आपको तय करना है
राजस्थान के मुख्यमंत्री ने शिकागो में स्वामी विवेकानंद के संबोधन का हवाला देकर कहा कि धर्म संसद के नाम पर लोगों को नरसंहार के लिए उकसाने एवं गांधीजी एवं नेहरूजी जैसे स्वतंत्रता सेनानियों को गाली देने का काम हो रहा। हम सभी सोचें कि एक धर्म संसद 1893 में शिकागो में आयोजित हुई जहां हुई चर्चा से स्वामी विवेकानन्द जैसे महापुरुष निकले थे।
धर्म संसद के नाम पर लोगों को नरसंहार के लिए उकसाने एवं गांधीजी एवं नेहरूजी जैसे स्वतंत्रता सेनानियों को गाली देने का काम हो रहा। हम सभी सोचें कि एक धर्म संसद 1893 में शिकागो में आयोजित हुई जहां हुई चर्चा से स्वामी विवेकानन्द जैसे महापुरुष निकले थे।
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उन्होंने कहा कि यहां हो रही धर्म संसदों से उपद्रवी एवं बददिमाग लोग निकल रहे हैं। देशवासियों को तय करना चाहिए कि हमें स्वामी विवेकानन्द जैसे महान व्यक्तित्व की आवश्यकता है या ऐसे उपद्रवी एवं नरसंहार की बात करने वाले लोगों की।