क्यों हुई है गुजरात के पूर्व डीजीपी श्रीकुमार और सोशल एक्टिविस्ट तीस्ता की गिरफ्तारी? संजीव भट्ट से क्या है कनेक्शन

मुंबई/अहमदाबाद: अहमदाबाद पुलिस की अपराध जांच शाखा (डीसीबी) द्वारा दायर एक रिपोर्ट के आधार पर राज्य की पुलिस और आतंकवाद विरोधी दस्ता(एटीएस) ने संयुक्त कार्रवाई में सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ और राज्य के पूर्व पुलिस महानिदेशक आर बी श्रीकुमार को शनिवार को गिरफ्तार कर लिया।

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अहमदाबाद अपराध जांच शाखा के पुलिस निरीक्षक दर्शन सिंह बराड ने यूनीवार्ता से कहा कि उन्होंने सामाजिक कार्यकर्ता सीतलवाड़ और भारतीय पुलिस सेवा के दो पूर्व अधिकारी आर बी श्रीकुमार और संजीव भट्ट के खिलाफ अपराध शाखा ने एक मामला दर्ज कराया है। उन्होंने कहा कि इस मामले के आधार पर एक संयुक्त कार्रवाई में गुजरात एटीएस ने तीस्ता को मुंबई में गिरफ्तार किया और पूर्व आईपीएस श्री कुमार को भी हिरासत में लिया गया है।

यह कार्रवाई गुजरात दंगों को राज्य में उच्च स्तर की साजिश बताकर उसकी जांच कराने की मांग के लिए कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी की विधवा जाकिया जाफरि और तीस्ता की याचिका को शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय के द्वारा खारिज किए जाने के एक दिन बाद की गयी है।

न्यायालय ने इस मामले में विशेष जांच दल द्वारा 2012 में तत्कालीन मुख्यमंत्री एवं वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट दिए जाने को सही करार दिया। श्री बराड ने इनके खिलाफ दर्ज मामले का ब्योरा नहीं दिया। उन्होंने पूर्व पुलिस महानिदेशक कुमार की गिरफ्तारी के बारे में भी कोई अधिक जानकारी नहीं दी। पूर्व आईपीएस संजीव भट्ट इस समय एक अन्य मामले में गुजरात में जेल में बंद हैं।

गृह मंत्री अमित शाह ने न्यायालय के निर्णय के बाद एक साक्षात्कार में उन्होंने आरोप लगाया कि तीस्ता सीतलवाड़ ने गुजरात के 2002 के दंगों के बारे में पुलिस को निराधार सूचनाएं दी। उनके एक एनजीओ ने भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं के विरुद्ध गलत आवेदन प्रस्तुत किए और उन्हें प्रमाण सिद्ध करने का प्रयास किया गया।

पुलिस सूत्रों के अनुसार इनके खिलाफ दस्तावेज में जालसाजी करने और किसी को दोषी साबित करने के लिए फर्जी सबूत आदि गढ़ने के आरोप में मामला दायार किया गया है। अपराध शाखा द्वारा अहमदाबाद में डीसीबी थाना में इन तीनों के खिलाफ धोखाधड़ी के लिए जालसाजी( दंड संहिता की धारा-468), फर्जी दस्तावेज को प्रामाणिक सबूत के रूप में प्रस्तुत करना( धारा-471), दोष साबित करने के इरादे से झूठे सबूत देना(धारा-194), नुकसान पहुंचाने के लिए झूठे आरोप लगाना(धारा 211), सरकारी कर्मचारी द्वारा किसी व्यक्ति को दंड़ से बचाने या उसकी संपत्ति को जब्त किए जाने से बचाने के लिए गलत दस्तावेज तैयार करना( धारा- 218) और अपराधी को शरण देना(धारा- 212) तथा अपराधिक षडयंत्र( धारा-120 बी) के तहत मामला लिखवाया गया है।

तीस्ता सीतलवाड़ सबरंग ट्रस्ट और सिटिजन फॉर जस्टिस एंड पीस (सीजेपी) संगठन चलाती हैं और वह सीजेपी की सचिव बताई जाती हैं। गुजरात पुलिस के आतंकवाद विरोधी दस्ता (एटीएस) ने उन्हें मुंबई में उनके घर से हिरासत में लिया और वे उन्हें शांताक्रूज थाने ले गए। समझा जाता है कि गुजरात पुलिस मुंबई में कानूनी औपचारिकताएं पूरी कर उन्हें पूछताछ के लिए गुजरात ले जा सकती है।

गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने गुजरात दंगों के मामले की जांच के लिए गठित सीबीआई के पूर्व निदेशक आर के राघवन की अध्यक्षता में गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) की रिपोर्ट के खिलाफ कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी की पत्नी जाकिया जाफरी की अपील को उच्चतम न्यायालय की तीन न्यायाधीशों की पीठ ने खारिज कर दिया। इस अपील में श्रीमती जाफरी के साथ सीतलवाड़ सह-याचिकाकर्ता थीं।

न्यायालय ने गुजरात दंगों को बड़ी साजिश बता कर उसकी जांच करने की दोनों की अपील को भी खारिज कर दिया। न्यायालय ने कहा कि इस बात को साबित करने के लिए कोई ऐसा छोटा भी सबूत नहीं है, जिससे सिद्ध हो गया कि गोधरा की घटना और उसके बाद की घटनाएं राज्य में उच्चतम स्तर पर एक आपराधिक षडयंत्र के अंतर्गत पूर्व नियोजित थीं।

पीठ ने कहा कि ऐसा लगता है कि गुजरात के असंतुष्ट अधिकारियों और कुछ अन्य लोगों ने मामले को सनसनीखेज बनाने और उसका राजनीतिकरण करने के लिए ऐसी बातें उजागर कीं जो खुद उनकी ही जानकारी में असत्य थीं। न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर की अध्यक्षता वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने श्री मोदी को 2012 में एसआईटी द्वारा बेदाग बताए जाने की रिपोर्ट को उचित ठहराते हुए कहा कि इस मामले में सह-याचिकाकर्ता सीतलवाड़ ने जकिया जाफरी की भावनाओं का शोषण किया।

तीस्ता सीतलवाड़ पर उनके गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) के लिए सबरंग ट्रस्ट के लिए 2010-13 के बीच फर्जी तरीके से 1.4 करोड़ रुपये हासिल करने के लिए गुजरात पुलिस ने चार वर्ष पहले एक मामला दर्ज किया था।