रवीश कुमार
क्या पंजाब में कुछ बदल रहा है? जिस तरह से आख़िरी चरण में आतंकवाद का मुद्दा एक पार्टी को लेकर उठाया गया है उससे तो यही लग रहा है कि स्थापित दलों में घबराहट है। पंजाब में बीजेपी का कुछ दांव पर तो नहीं है फिर बीजेपी क्यों आप को लेकर ज़्यादा आक्रामक हो गई है? कांग्रेस और अकाली की घबराहट समझी जा सकती है लेकिन आप को लेकर तीन तीन दल एक तरफ़ आ गए हैं। क्या उनके लिए आप चुनौती बन गई है? कई लोगों ने कहा कि चुनाव के समय आप हवा बना लेती है लेकिन यह काम तो सारे दल करते हैं। सब अपनी जीत का दावा करते हैं। मुझे जानना है कि संगठन, टिकट वितरण, एजेंडा और प्रचार अभियान में क्या आप आगे चल रही है?
क्या आप के पास संगठन है या हवा ही संगठन है? बीजेपी भी साबित करने पर जुटी है कि पंजाब में वह हाशिये पर नहीं गई है या बीजेपी अपने वोट को आप की तरफ़ जाने से रोकने में लगी है? अकाली दल और बसपा संगठन के सहारे चुपचाप जुटे हुए हैं।
पंजाब में 2014,2017,2019 के बाद यह आम आदमी पार्टी का चौथा प्रयास है। पंजाब के चुनाव में पंजाब के मुद्दों की गूंज कम सुनाई दी। लहर और हवा का ही अंदाज़ा लगाया जाता रहा है। कांग्रेस ने चन्नी को मुख्यमंत्री बनाकर 32 प्रतिशत दलित वोट पर दांव खेला है, क्या इससे उसे 30-32 प्रतिशत वोट मिलेगा या दलित वोट में अकाली बसपा और आप भी हिस्सेदार है? अगर चन्नी फ़ैक्टर चल गया तो क्या कांग्रेस बहुमत तक पहुँच पाएगी?
क्या पंजाब के चुनाव में लहर है या हर सीट पर समीकरण का चुनाव हो रहा है? मुझे भाषा के कारण दिक़्क़त आती है लेकिन क्या पंजाब नया फ़ैसला लेने जा रहा है? या दिल्ली मीडिया के बनाए वातावरण से अलग ज़मीन पर कुछ और हालात हैं? आप जवाब इस तरह से दें कि रिज़ल्ट का पता न चले। मुझे रिज़ल्ट नहीं जानना है क्योंकि उससे चुनाव से पहले चुनाव ख़त्म हो जाता है। फ़ैक्टर बताइये कि किसी की तरफ़ हवा क्यों है और किसी की तरफ़ हवा क्यों नहीं है। पंजाब का चुनाव भी दिलचस्प है और नतीजा भी वैसा ही होगा। कहीं ऐसा न हो कि दस मार्च के बाद एक दूसरे को आतंकवादी कहने वाले मिल जुल कर सरकार बना रहे हैं!
(लेखक जाने माने पत्रकार हैं, यह लेख उनके फेसबुक पेज से लिया गया है)