Latest Posts

सीनियर होने के बावजूद भी ताज हसन क्यों नहीं बन सके दिल्ली पुलिस कमिश्नर?

पंकज चतुर्वेदी

Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!

दिल्ली पुलिस आयुक्त की नियुक्ति में वरिष्ठता होने के बावजूद ताज हसन को पद ना देना चर्चा का विषय है।  खुद की अनदेखी से नाराज वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी ताज हसन छुट्टी पर चले गए हैं! माना जा रहा था कि गृह मंत्रालय पुलिस आयुक्त की नियुक्ति का आदेश जारी करने से पहले ताज हसन का तबादला आदेश जारी करेगा। अपनी अनदेखी से आहत ताज हसन ने पुलिस आयुक्त के विदाई समारोह से भी किनारा कर लिया।

गौरतलब है कि सच्चिदानंद श्रीवास्तव के सेवानिवृत्त होने के बाद एजीएमयू काडर में 1987 बैच वरिष्ठता क्रम में सबसे ऊपर  मौजूद चार अधिकारियों में से केवल ताज हसन ही एकमात्र ऐसे अधिकारी हैं‚ जो दिल्ली पुलिस में ही विशेष आयुक्त के पद पर कार्यरत हैं। वरिष्ठता क्रम और प्रोटोकॉल का पैमाना कहता है कि सर्वोच्च पद पर नियुक्ति में वरिष्ठ अधिकारी की अनदेखी होने की स्थिति में उन्हें अन्यत्र स्थानांतरित कर दिया जाता है।

चर्चा यह भी थी कि ताज हसन को मिजोरम का पुलिस महानिदेशक नियुक्त किया जा सकता है। लेकिन वहां इस पद पर तैनात सुश्री भूषण कुमार सिंह केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा बनाए गए तीन अधिकारियों के पैनल में शामिल होने के कारण अभी भी पुलिस आयुक्त की दौड़ में शामिल हैं‚ तो उनके तबादले को लेकर कोई निर्णय नहीं हो पाया है। ऐसे में फिलहाल ताज हसन की पुलिस महानिदेशक पद पर नियुक्ति की अटकलों पर भी विराम लग गया।

उधर दिल्ली पुलिस के नए आयुक्त की नियुक्ति में चल रही खींचतान के बीच केंद्रीय गृह मंत्रालय ने वरिष्ठता के प्रोटोकॉल को नजरअंदाज कर दिया है। मंगलवार को 1977 बैच के अधिकारी बालाजी श्रीवास्तव को कार्यवाहक पुलिस आयुक्त नियुक्त करने का आदेश तो जारी किया गया‚ लेकिन ताज हसन को अन्यत्र स्थानांतरित नहीं किया गया।  ताज हसन ने मंगलवार को ही एक सप्ताह का अवकाश स्वीकृत करा लिया। वह बुधवार को सच्चिदानंद श्रीवास्तव के विदाई समारोह में भी शामिल नहीं हुए।

याद करें हाल में रिटायर हुए कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव को, बीते साल हुए दंगों के दौरान, दिल्ली पुलिस की काम-चलाऊ कमान सौंपी थी, बाद में उन्हें स्थायी किया गया और उन्होंने दिल्ली दंगे की जांच को एक तरफा, तथ्यहीन और राजनितिक दुश्मनी निकालने का जरिया बना दिया था, अदालतों के पचास से अधिक आदेशों में दिल्ली पुलिस की जांच कटघरे में खड़ी हुई है। समझा जा रहा हैं कि दिल्ली दंगे ही ऐसे कारण है जिसके चलते एक सुलझे हुए, निर्विवाद और अनुभवी अधिकारी को कमिश्नर का पद नहीं दिया गया। जान लें ताज हसन की पत्नी नुजहत हसन भी दानिश केडर की आईपीस हैं, और उन्हें पहली मुस्लिम महिला आईपीएस अधिकारी  बनने का सम्मान मिला है।

ताज हसन इस समय दिल्ली पुलिस में विशेष आयुक्त (यातायात) हैं , वे दिल्ली पुलिस के प्रवक्ता भी रहे। ताज हसन को राष्ट्रमंडल खेल में शानदार प्रबंधन के लिए राष्ट्रपति अवार्ड भी मिला था। वे और उनकी पत्नी स्थापित लेखक भी हैं, यह भी चर्चा है कि चूँकि ताज हसन के सगे भाई कांग्रेस गठबंधन के टिकट पर बिहार में चुनाव लड़े थे, इसलिए उन्हें इस पद से दूर रखा गया।  बहरहाल ताज हसन जैसे अफसर की उपेक्षा दिल्ली पुलिस की धूमिल छवि को और गहरा कर रही है।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, ये उनके निजी विचार हैं)