कौन थे ख़लील धनतेजवी जिन्हें मरोणोपरांत पद्म श्री से नवाज़ा गया

नई दिल्लीः राष्ट्रपति डॉ. राम नाथ कोविंद ने 21 मार्च को 2022 के पद्म पुरुष्कारों के लिये चयनित हुईं विभूतियों को पद्म पुरुष्कार देकर सम्मानित किया। पद्म पुरुष्कार पाने वालीं हस्तियों में से एक नाम गुजरात के विख्यात कवि और गजलकार ख़लील धनतेजवी का भी था, जिन्हें मरणोपरांत इस सम्मान से नवाज़ा गया है। जानकारी के लिये बता दें कि 82 वर्षीय गजलकार ख़लील धनतेजवी का चार अप्रैल 2021 को वडोदरा में निधन हो गया।

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ख़लील धनतेजवी का नाम उनके अभिभावकों ने ख़लील इस्माइल रखा था लेकिन वडोदरा के धनतेज गांव से होने की वजह से उन्होंने अपने नाम में ‘धनतेजवी’ उपनाम जोड़ लिया था। कविता और गजल लिखने के लिए विख्यात धनतेजवी को लोग मुशायरों में खूब पसंद करते थे। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत एक पत्रकार के रूप में की थी।

गांव के नाम पर पहचान धनतेजवी के रूप में होने लगी

ख़लील धनतेजवी का जन्म वडोदरा जिले के सावली तहसील के धनतेज गांव में हुआ था। गांव के नाम पर ही उन्हें धनतेजवी की पहचान मिली। दादा ताज मोहम्मद ने उनका नाम रखा था ख़लील। ख़लील का अर्थ होता है दोस्त। पांच साल की उम्र में ही ख़लील के पिता का निधन हो गया था। उनका जीवन संघर्षमय रहा है। उनकी सबसे मशहूर गजल है- अब मैं राशन की कतारों में नजर आता हूं, अपने खेतों से बिछड़ने की सजा पाता हूं। इसे गजल गायक जगजीत सिंह ने भी गाया है।

खलील धनतेजवी साहित्य के साथ-साथ पत्रकारिता, प्रिंटिंग प्रेस और फिल्म उद्योग से भी जुड़े थे। उन्हें वर्ष 2004 में कलापी और 2013 में वली गुजराती गजल पुरस्कार मिला था। वर्ष 2019 में नरसिंह मेहता पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। खलील धनतेजवी के पहले गजल संग्रह में 100 से अधिक गजल थी। उनकी गजल को जगजीत सिंह ने भी गया है।

निधन पर दुःखी हुए थे पीएम मोदी

ख़लील धनतेजवी के निधन पर प्रधानमंत्री मोदी भी अपने दुःख बयां करने से नहीं रोक पाए थे। उन्होंने इस शायर के निधन पर ट्वीट कर अपनी संवेदना व्यक्त कीं और कहा ‘‘प्रसिद्ध गुजराती कवि, लेखक और गजलकार खलील धनतेजवी के निधन की खबर सुनकर बेहद दुख हुआ। गुजराती गजल को दिलचस्प बनाने में उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति मेरी संवादनाएं।’’