राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने 22 नवंबर 2021 को राष्ट्रपति भवन में आयोजित रक्षा अलंकरण समारोह- II में कई शूरवीर जवानों को सम्मानित किया है। जम्मू-कश्मीर के एसपीओ (SPO) आशिक हुसैन मलिक को 2018 में अनंतनाग में एक ऑपरेशन के दौरान भारी हथियारों से लैस चार आतंकवादियों को मारने के लिए मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शदीद आशिक हुसैन मलिक के माता-पिता मकबूल मलिक और शहजादो बानो को दिल्ली में ये पुरस्कार दिया।
#WATCH | J&K SPO Ashiq Hussain Malik conferred with Shaurya Chakra posthumously for showing highest degree of courage leading to the elimination of 4 heavily armed terrorists during an operation in Anantnag in 2018. His parents Maqbool Malik & Shahzado Bano received the award pic.twitter.com/R96XxCpm4u
— ANI (@ANI) November 22, 2021
इसके साथ ही 55वीं राष्ट्रीय राइफल्स के सिपाही हरि सिंह को 2019 में जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में एक आतंकवादी को मारने और एक अन्य को घायल करने के लिए मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उनकी पत्नी राधा बाई को पुरस्कार दिया। जबकि, भारतीय सेना की पंजाब रेजिमेंट के सिपाही ब्रजेश कुमार को 2018 में जम्मू-कश्मीर में एक ऑपरेशन के दौरान ए प्लस प्लस श्रेणी के आतंकवादी को मारने के लिए मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया। उनकी पत्नी श्वेता कुमारी को पुरस्कार दिया।
2018 में जम्मू-कश्मीर में एक ऑपरेशन में एक विदेशी आतंकवादी को मारने और दो अन्य को घायल करने के लिए 4 पैरा (स्पेशल फोर्स) के लांस नायक संदीप सिंह को मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उनकी पत्नी गुरप्रीत कौर को पुरस्कार दिया।
ज़ाकिर हुसैन को अदम्य साहस के लिये मिला शौर्य चक्र
जम्मू-कश्मीर के बारामूला में आतंकवादियों को मार गिराने में अहम भूमिका निभाने वाले सीआरपीएफ के जांबाज़ सिपाही ज़ाकिर हुसैन को सोमवार को शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया। जाकिर हुसैन सीआरपीएफ की उस टीम का हिस्सा थे, जिसने सितंबर 2018 में एक मकान के पीछे छिपे जैश-ए-मोहम्मद के तीन आतंकवादियों को मार गिराया था। गोली लगने के बावजूद हुसैन तब तक एनकाउंटर स्थल पर डटे रहे जब तक कि तीनों आतंकवादी ढेर नहीं हो गए।
जानकारी के मुताबिक, 13 सितंबर 2018 को 10 बजकर 55 मिनट पर धीरती गांव के एक मकान में तीन विदेशी आतंकवादियों के छिपे होने की सूचना मिली थी। इसके बाद सीआरपीएफ की एक टीम आतंकियों से मुकाबला करने के लिए निकल पड़ी थी, जिसमें कॉन्स्टेबल जाकिर हुसैन भी शामिल थे। एनकाउंटर के दौरान आतंकवादियों ने सीआरपीएफ की टीम पर हमला कर दिया और गोलीबारी शुरू कर दी। सीआरपीएफ की टीम ने आतंकियों पर जवाबी हमला किया।
टीम में शामिल उपकमांडेंट हर्षपाल सिंह के साथ मिलकर जाकिर हुसैन ने आतंकवादियों को मुंहतोड़ जवाब देना शुरू कर दिया। इस मुठभेड़ में एक आतंकवादी मारा गया। वहीं दो अन्य घायल हो गए। जाकिर हुसैन और हर्षपाल सिंह को भी गोली लगी, जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। कॉन्स्टेबल जाकिर हुसैन की इस अप्रतिम वीरता को देखते हुए उन्हें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सोमवार को शौर्य चक्र से सम्मानित किया।