कौन हैं निकहत ज़रीन, जिन्होंने भारतीय महिला मुक्केबाजी टीम में बनाई जगह

नयी दिल्ली: ओलंपिक कांस्य पदक विजेता लवलीना बोरगोहेन और पूर्व जूनियर विश्व चैम्पियन निकहत ज़रीन ने सोमवार को यहां चयन ट्रायल फाइनल्स जीतकर चीन के हांगजोऊ में इस साल होने वाले एशियाई खेलों के लिये भारतीय महिला मुक्केबाजी टीम में अपना स्थान सुनिश्चित किया।

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ज़रीन ने यहां इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में हुए ट्रायल्स के बाद 51 किग्रा वजन वर्ग में जबकि बोरगोहेन ने 69 किग्रा में स्थान पक्का किया। दोनों ने पिछले हफ्ते विश्व चैम्पियनशिप के लिये भी टीम में जगह बनायी थी जिसमें ज़रीन ने ट्रायल्स में 52 किग्रा वर्ग के लिये क्वालीफाई किया था जबकि बोरेगोहेन ने 70 किग्रा में कट हासिल किया।

एशियाई खेलों के ट्रायल फाइनल्स आज सुबह कराये गये जिसमें बोरगोहेन ने रेलवे की मुक्केबाज पूजा को हराया और ज़रीन ने 2019 विश्व चैम्पियनशिप की रजत पदक विजेता मंजू रानी को पराजित किया। एशियाई खेल 10 से 25 सितंबर तक आयोजित होंगे। विश्व चैम्पियनशिप के ट्रायल्स पिछले हफ्ते कराये गये थे। एशियाई खेलों के लिये तीन ‘ओवरलैपिंग’ वर्गों 57 किग्रा, 60 किग्रा और 75 किग्रा के लिये भी चयन की पुष्टि की गयी। एशियाई खेलों में पांच महिला वर्ग होंगे।

मनीषा ने 57 किग्रा ट्रायल मुकाबले में जीत दर्ज कर दोनों टूर्नामेंट के लिये जगह निश्चित की जबकि जैसमीन ने 60 किग्रा और अनुभवी स्वीटी बूरा (75 किग्रा) ने भी दोनों में चयन सुनिश्चित किया। विश्व चैम्पियनशिप छह मई से इस्तांबुल में शुरू होगी जो बोरगोहेन के लिये एक तरह से वापसी टूर्नामेंट होगी क्योंकि तोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने के बाद वह किसी प्रतियोगिता में नहीं खेली हैं।

असम की 24 वर्षीय मुक्केबाज पिछले महीने से ही राष्ट्रीय शिविर में ट्रेनिंग कर रही थी। तोक्यो में कांस्य पदक जीतने के बाद वह कई सम्मान समारोह में व्यस्त रहीं। बोरगोहेन ओलंपिक पदक जीतने वाली तीसरी भारतीय मुक्केबाज बन गयी थीं और वह उस क्लब का हिस्सा बनीं जिसमें विजेंदर सिंह (2008 बीजिंग) और एम सी मैरीकॉम (2012 लंदन) शामिल हैं।

ज़रीन (25 वर्षीय) की साल की शुरूआत अच्छी रही, उन्होंने बुल्गारिया के सोफिय में प्रतिष्ठित स्ट्रैंड्जा मेमोरियल टूर्नामेंट में स्वर्ण पदक जीता था। यह उनका (2019 के बाद) टूर्नामेंट में दूसरा स्वर्ण पदक था जिससे वह यह उपलब्धि हासिल करने वाली पहली भारतीय भी बनीं।

छह बार की विश्व चैम्पियन मैरीकॉम इस साल केवल राष्ट्रमंडल खेलों पर ध्यान लगाये हैं। वह एकमात्र भारतीय महिला मुक्केबाज हैं जिन्होंने एशियाड में स्वर्ण पदक जीता है। मैरीकॉम ने 2014 इंचियोन एशियाड में पीला पदक जीता था। इससे पहले उन्होंने 2010 ग्वांग्जू खेलों में कांस्य पदक हासिल किया था।

केवल चार भारतीय महिला मुक्केबाज ही एशियाई खेलों में पदक जीत सकी हैं। एशियाड में महिला मुक्केबाजी स्पर्धा 2010 में शुरू हुई थी। एल सरिता देवी (कांस्य, 2014), कविता गोयत (कांस्य, 2010) और पूजा रानी (कांस्य, 2014) तीन अन्य पदक विजेता महिला मुक्केबाज हैं।

राष्ट्रमंडल खेलों के लिये ट्रायल्स जून में होंगे। एशियाड और राष्ट्रमंडल खेल दोनों के लिये पुरूषों के ट्रायल्स मई में होंगे।

एशियाई खेलों के लिये भारतीय महिला टीम :

निकहत ज़रीन (51 किग्रा), मनीषा (57 किग्रा), जैसमीन (60 किग्रा), लवलीना बोरगोहेन (69 किग्रा) और स्वीटी बूरा (75 किग्रा)