यूएन में इस्लाम को लेकर कौनसा प्रस्ताव पारित हुआ, जिस पर भारत और फ्रांस जता रहे चिंता  

नई दिल्लीः यूनाइटेड नेशन की महासभा में मंगलवार को पाकिस्तान की तरफ से इस्लामोफोबिया पर काबू पाने के लिए 15 मार्च को ‘इंटरनेशन डे टू कॉम्बैट इस्लामोफ़ोबिया’ यानी इस्लामोफ़ोबिया विरोधी दिवस मनाए जाने को लेकर प्रस्ताव पारित किया गया। इस प्रस्ताव के पास कराए जाने पर भारत ने चिंता जताई है।

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प्रस्ताव पर भारत की चिंता

भारत ने अपनी चिंता ज़ाहिर करते हुए कहा कि दुनिया में तमाम मज़हब के खिलाफ फोबिया में इज़ाफा हो रहा है, ऐसे में हम इस बात को लेकर चिंतित हैं कि बाक़ी धर्मों को छोड़कर किसी एक धर्म को लेकर डर के ख़िलाफ़ अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाया जा रहा है।

भारत ने कहा- उम्मीद है कि ये प्रस्ताव नज़ीर नहीं बनेगा

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई प्रतिनिधि टीएस त्रिमूर्ति ने महासभा में कहा कि भारत को उम्मीद है कि ये प्रस्ताव नज़ीर नहीं बनेगा। इस प्रस्ताव के बाद दूसरे धर्मों के प्रति डर को लेकर कई प्रस्ताव आ सकते हैं और संयुक्त राष्ट्र धार्मिक शिविरों में बदल सकता है।

हिंदुओं, बौद्धों और सिखों के खिलाफ भी बना डर का माहौल

महासभा में प्रस्ताव के पारित होने के बाद तिरुमूर्ति ने एक बयान जारी कर कहा भारत यहूदी, ईसाई और इस्लाम धर्म के ख़िलाफ़ की जा रही किसी भी गतिविधि की निंदा करता है। लेकिन डर का माहौल केवल इन्हीं धर्मों को लेकर नहीं फैलाया जा रहा है। तिरुमूर्ति ने कहा कि हूदियों, ईसाइयों और मुसलमानों की तरह हिंदुओं, बौद्धों और सिखों के खिलाफ डर का माहौल बना है।

भारत की तरह फ्रांस भी चिंतित

वहीं, भारत की तरह फ्रांस ने भी इस प्रस्ताव चिंता जताई है और किसी खास मज़हब का इंतेखाब करने से मज़हीब अदमे बर्दाश्त के खिलाफ हमारी लड़ाई और भी कमज़ूर होगी।

भारत ने कहा है कि एक धर्म विशेष को लेकर डर उस स्तर पर पहुंच गया है कि इसके लिए अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाने की स्थिति आ गई है। भारत ने कहा है कि धर्मों को लेकर अलग-अलग तरह से डर का मौहाल बनाया जा रहा है, ख़ासकर हिंदुओं, बौद्ध और सिख धर्म के ख़िलाफ।