गिरीश मालवीय
भारत मे असली मुद्दे पर बात आखिर कब होना शुरू होगी ? क्या आप जानते है कि कोरोना वैक्सीन के डिस्ट्रीब्यूशन के लिए गेट्स फाउंडेशन द्वारा बनाई गई GAVI नामक संस्था ने एक ‘कोवाक्स प्लान’ बनाया गया है, जिसमे विश्व स्वास्थ्य संगठन और CEPI भागीदार है सबसे बड़ी बात यह है कि इस प्लान में शामिल होने की आखिरी डेट 17 सितंबर है, अभी तक मध्यम और अधिक आय वाले कुल 76 देशों ने ‘कोवाक्स प्लान’ में शामिल होने की इच्छा जाहिर की है. जितने भी समृद्ध देश कोवाक्स प्लान में शामिल हुए हैं, वो अपने बजट से करीब 90 देशों को कोरोना की वैक्सीन खरीदने में मदद करेंगे। यानी अभी हमे ओर पैसा देना है जो शुरुआत में करोड़ों डॉलर भारत ने दिए वह काफी नही है।
GAVI के सेथ बर्कले का कहना है कि इस समूह का सबसे बड़ा मकसद यही है कि जो वैक्सीन नहीं खरीद सकते, उन तक भी इसे पहुंचाया जाए। यानी हमारे कोवेक्स में शामिल होने का मतलब यह है कि -23.9 जीडीपी वाली अर्थव्यवस्था वेक्सीन खरीदने में दूसरे देशों की मदद करे! यहां हमारी तो पूर्ति हो नही रही है। अब बड़ा प्रश्न यहाँ ये खड़ा हो रहा है कि अमेरिका तो WHO से पहले ही किनारा कर चुका है, रूस अपनी वैक्सीन बना चुका है वह हफ्ते दो हफ्ते में उसे अपने नागरिकों को लगाना शुरू कर देगा, चीन ने तो वेक्सीन लगाना शुरू भी कर दिया है. यानी कोवेक्स में यह तीनों महाशक्तियां सम्मिलित नही है।
अब भारत को सोचना होगा कि आखिर उसे क्या करना है क्या उसे कोवेक्स के साथ जाना चाहिए ? अब यहाँ एक बेवकूफी की बात WHO ने यह कर दी है कि उसने स्पष्ट कहा दिया है कि वैक्सीन 2021 के जून जुलाई से पहले आना सम्भव नही है. उसके बाद उत्पादन और डिस्ट्रीब्यूशन में टाइम लगेगा फिर 90 देशो में आपका नम्बर कब आए यह भी सोचना है? अगर कोवेक्स के साथ हम जाते है तो यह तय है कि वेक्सीन भारत के आम नागरिक को 2022 में ही लग पाएगी. आप कोरोना को हॉक्स माने! उसे षणयंत्र माने! या महामारी माने, बीमारी माने या कुछ और माने. एक बात तय है कि जब तक वेक्सीन नही लगेगी आदमी अपने आपको सेफ महसूस नही करेगा क्योकि आपने रायता ही इतना फैला दिया है.
एक दूसरा रास्ता ये है कि हम वेक्सीन को लेकर अपनी अलग डील करे. रूस की वैक्सीन के नतीजे अभी तक बहुत उत्साहजनक है मेडिकल जर्नल दि लैंसेट में प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया है कि इसके ट्रायल में हिस्सा लेने वाले सभी लोगों में कोरोना से लड़ने वाली एंटीबॉडी विकसित हुई और किसी में भी कोई भयानक साइड इफेक्ट देखने को नहीं मिला. रूस इसके तीसरे चरण के परिणामो की प्रतीक्षा किये बगेर ही इसे अपने नागरिकों को लगाने जा रहा है ठीक यही काम अमेरिका भी कर रहा है वह भी अक्टूबर के अंत मे वेक्सीन अपने नागरिकों को लगवाने को तैयार है, और चीन की तो पूछिए ही मत वहाँ तो संभवतः लगना शुरू भी हो गयी है.
भारत के साथ अच्छी बात यह है कि उसके पास वैक्सीन उत्पादन की क्षमता है यदि वह किसी भी वैक्सीन निर्माता कम्पनी से डील कर लेता है, जैसे रूस से डील ही कर लेता है तो वह अपने लोगो को बहुत जल्द वेक्सीन की सुविधा उपलब्ध करा सकता है. एक बार आप कोवेक्स के साथ चले गए मतलब आप बिल गेट्स के एजेंडे के साथ चले गए इसलिए इस पर हमें आज कल मे ही डिसिजन लेना होगा, हम वेक्सीन को लेकर किसके साथ जाएंगे यह हमें 17 सितंबर से पहले तय करना है. इस बात पर तुरंत राष्ट्रीय बहस चलाए जाने की आवश्यकता है लेकिन यहां सुशान्त और रिया पर राष्ट्रीय बहस चल रही है। क्या कहे ?