नई दिल्लीः जमीयत उलेमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना हकीमुद्दीन कासमी ने उत्तर पूर्वी दिल्ली में एक बार फिर घृणात्मक कार्यक्रम आयोजित करने और मुसलमानों के विरुद्ध बहुसंख्यक वर्ग को उकसाने पर अपनी कड़ी नाराजगी और चिंता व्यक्त की है। इसके साथ ही उन्होंने मांग की है कि ऐसे तत्वों को अनुकरणीय सजा दी जाए जो एक विशेष वर्ग को उग्र करके देश में अशांति और अराजकता का वातावरण पैदा कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि चिंता का विषय है कि प्रवेश वर्मा देश की सत्ताधारी पार्टी के सांसद हैं। इसके बावजूद उनको अपने संविधान और उसके अनुसार ली गई पद एवं गोपनीयता की शपथ की रत्तीभर पर चिंता नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर सांसद जैसे महत्वपूर्ण पदों पर आसीन व्यक्ति इस तरह का बयान देगा तो फिर देश में कानून-व्यवस्था का क्या होगा?
महासचिव मौलाना हकीमुद्दीन कासमी ने बताया कि इस संबंध में जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी की तरफ से केंद्रीय गृह मंत्री को एक पत्र प्रेषित किया गया है। इसमें लिखा है कि नफरत फैलाने वाले भाषण देश के लिए अभिशाप हैं। इसलिए एक जिम्मेदार और शांतिप्रिय नागरिक होने के नाते हम आपसे अनुरोध करते हैं कि दिल्ली की इस घटना का गंभीरता से संज्ञान लें और संबंधित अधिकारियों को भी निर्देश दें कि वह न केवल कार्यक्रम के आयोजकों के विरुद्ध बल्कि उन सभी व्यक्तियों के विरुद्ध भी कड़ी कार्रवाई करें जिन्होंने मुसलमानों के खिलाफ भड़काऊ बयानबाजी की है ताकि नफरत फैलाने वालों को कड़ी सजा मिल सके।
ज्ञात हो कि स्थानीय स्तर पर परिस्थितियों की समीक्षा के लिए जमीयत उलेमा-ए-हिंद के एक प्रतिनिधिमंडल ने महासचिव मौलाना हकीमुद्दीन कासमी के नेतृत्व में सुंदरनगरी और उसके आसपास के क्षेत्रों का दौरा किया। वहां जमीयत उलेमा सुंदरनगरी के अध्यक्ष मौलाना वलीउल्लाह और हाजी शकील इत्यादि से मुलाकात की और लोगों से अमन-शांति बनाए रखने की अपील की। प्रतिनिधिमंडल में उनके अलावा जमीयत उलेमा-ए-हिंद के संयोजक मौलाना गयूर कासमी भी उपस्थित रहे।