मई 2014 में नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने. कुछ हफ़्तों बाद ही सुप्रीम कोर्ट के सीनियर जजों ने तय किया यू. यू. ललित नाम के एक वकील को सीधे सुप्रीम कोर्ट का जज बना दिया जाए. यू. यू. ललित कभी हाईकोर्ट के जज भी नहीं रहे. तुलसी प्रजापति नाम के आदमी की हत्या के आरोप में फँसे अमित शाह की वकालत ललित ने की थी. 2G केस जो कि पूरा फ़्रॉड था उसमें ललित सीबीआई के वकील रहे थे. मोदी के प्रधानमंत्री बनने के ढाई महीने बाद ही बैरिस्टर ललित जज ललित बन गए. यही ललित जज साहब अगले महीने भारत के चीफ़ जस्टिस बनेंगे.
2017 में यूपी के असेंबली चुनाव जीतने पर बीजेपी सरकार ने फ़ैसला किया कि मुज़फ़्फ़रनगर दंगों के बाद अपनी पार्टी के नेताओं के ख़िलाफ़ दायर हुए सभी केस वापस लिए जाएँगे. मैंने सोचा मुज़फ़्फ़रनगर जाकर देखा तो जाए कि उन केसों का क्या हाल है. रेलवे स्टेशन के बाहर एक छोटे से होटल में कमरा लेने के बाद मैंने वकीलों को खोजना शुरू किया. एक बुजुर्ग वकील साहब मिले जो कुछ केसों में मुसलमान पीड़ितों के वकील थे.
उन्होंने जो वाक़या सुनाया वो ये है. निचली अदालतों और हाई कोर्ट से मुज़फ़्फ़रनगर दंगों के ज़्यादातर केसों में मुसलमानों के ख़िलाफ़ ऑर्डर होते रहे. तंग आकर कुछ मुवक्किल बोले कि सुप्रीम कोर्ट चला जाए. वहाँ राहत मिलेगी. वकील साहब ने सोचा सुप्रीम कोर्ट में किसे वकील किया जाए. एक नाम किसी ने बताया यू. आर. ललित का. यू. आर. ललित यू. यू. ललित के पिताश्री हैं. यू. आर ललित सुप्रीम कोर्ट के पुराने वकीलों में से थे और सुप्रीम कोर्ट के जजों में उनकी ख़ासी साख थी. अब तो उनका ख़ुद का बेटा सुप्रीम कोर्ट का जज था.
मुज़फ़्फ़रनगर के वकील साहब गए यू. आर. ललित साहब से मिलने उनके घर नोएडा. संडे के रोज़ सुबह का टाइम था. यू. आर. ललित साहब घर पर नहीं थे. तो मुज़फ़्फ़रनगर के वकील साहब मुवक्किल के साथ बाहर बैठ कर इंतज़ार करने लगे. थोड़ी देर बाद देख एक अदद उम्रदार इंसान ख़ाकी निक्कर और सफ़ेद क़मीज़ पहने डंडा लहराते चला आ रहा है. पता चला वही यू. आर. ललित साहब थे और सीधे संघ की शाखा से चले आ रहे थे.
यू. आर. ललित साहब ने पूछा कि कहिए क्या काम है? हमारे मुज़फ़्फ़रनगर के वकील साहब ने झुक कर नमस्ते किया और बोले जी कोई काम नहीं है बस यूँ ही मिलने आ गए थे. यह कह कर वो और मुवक्किल बाहर निकल लिए.