कृष्णकांत
दिग्विजय सिंह का आरोप था कि कांग्रेस विधायकों को 35-35 करोड़ दिए जा रहे हैं। हालांकि बीजेपी ने नकार दिया। लेकिन सोचने वाली बात है कि अब कोई भी नेता चलती सरकार से इस्तीफा देने के लिए चुनाव तो लड़ता नहीं। 20 विधायक इस्तीफा क्यों देंगे? जाहिर है कि उन्हें विधायक बनकर सत्ता में बने रहने से भी बड़ा फायदा मिलेगा तभी ऐसा करेंगे। मप्र जैसा ही कारनामा कर्नाटक में भी हुआ था। हमें लगता है कि विधायकों के लिए विधायक बने रहने की अपेक्षा यह सौदा ज्यादा बेहतर है। मान लिया एक विधायक का चुनाव में खर्च हुआ था 5 करोड़, बैठे बिठाए मिल ग 35 करोड़, तो विधायक पद से इस्तीफा दे देने में कोई बुराई नहीं है।
जो सीटें खाली होंगी, उनपर उपचुनाव होगा। उपचुनाव ज्यादातर सत्तारूढ़ पार्टी जीत लेती है। वह विधायक बीजेपी के टिकट पर लड़कर चुनाव जीत लेगा, इसका भरोसा भी दिया गया होगा। हो सकता है कुछ और भी वादा किया गया हो। कर्नाटक में यह प्रयोग सफल रहा है इसलिए बीजेपी का आत्मविश्वास स्वाभाविक है। अगर 35 करोड़ वाला आरोप सही है तो भाजपा को मात्र 700-800 करोड़ खर्च करके एक बड़े प्रदेश में सत्ता मिल गई।
मप्र में सिंधिया का बड़ा कद है, उनकी उपेक्षा की गई तो उन्होंने भी सरकर गिराकर कांग्रेस से बदला ले लिया। कहना चाहिए कि इस बार कांग्रेस ने अपनी सरकार खुद गिराई है, बीजेपी सिर्फ सिंधिया के जरिये उस अवसर का लाभ उठा रही है। सब अपना अपना लाभ देखकर काम कर रहे हैं। हो सकता है कि कांग्रेस सरकार गिरने में अपना लाभ देख रही हो!
आपको क्या लगता है कि देश मे कोई भी सरकार जनता के लिए चल रही है? कोई सरकार जनता के लिए उतना ही करती है, जितना करके वह सत्ता में बनी रहे। सरकार का मुख्य काम है संसाधनों पर सभ्य तरीके से कब्जा करना, लूटना और नेताओं में बांटना। जनता वनता सब भरम है। ऐसा न होता तो खनन, ठेकेदारी, ट्रांसफर-पोस्टिंग जैसे काम नेताओं के चंगुल से बाहर होते।
कमलनाथ सरकार ने सत्ता में हिस्सेदारी के साथ सरकारी लूट में सिंधिया को पर्याप्त हिस्सा नहीं दिया होगा, इसलिए सिंधिया नाराज थे। बीजेपी ने भरोसा दिया होगा कि आओ, हम देंगे। सिंधिया चले गए। भारत मे नेता जिस पद पर होता है उस पद पर जाकर वह सिर्फ यह तलाश करता है कि वह पिछले दरवाजे से कितना कमा सकता है। अधिकारी भी यही करते हैं। शायद हम सब यही करते हैं।
हम सामूहिक रूप से भ्रष्ट समाज हैं, इस तरह से धड़ाधड़ सरकार गिराना, विधायक खरीदना, सरकार बनाना, यह करते हुए नेताओ को डर लगता। वे जानते हैं कि अगर एक पार्टी दूसरी पार्टी की सरकार लूट ले और अपनी सरकार बना ले तो भारत की जनता बहुत खुश होती है।