तुम किस मुंह से कह सकते हो कि मुसलमानों को खुले में नमाज़ अदा नहीं करनी चाहिए? क्या तुम्हारे पास यह कहने का कोई नैतिक आधार है? नहीं. दिल्ली दंगों का कर्ता धर्ता, कपिल मिश्रा कल गुड़गांव गया था दंगाई हिन्दुओं का मनोबल बढ़ाने. उसके साथ हरियाणा सरकार का मंत्री और विश्व हिन्दू परिषद का एक नेता भी था.
पिछले हफ्ते पुलिस ने अशांति फैलाने के आरोप में कुछ लोगों को गिरफ़्तार किया था, उनका सम्मान करने के लिए ये सब वहां पहुंचे थे. उन्हें “धर्म योद्धा” का सम्मान दिया गया. यह कौन सा धर्म है जो दंगाइयों का सम्मान करता है? ये किस तरह के “धर्म योद्धा” हैं जो मारने मरने पर उतारू रहते हैं?
आप साल में 18 दिन, 9 दिन मार्च में और 9 दिन अक्टूबर में पूजा के नाम पर गली कूचे से लेकर छत तक पंडाल सजाते हैं. 6-7 फिट ऊंचे साउंड बॉक्स लगाकर आप जो अश्लील भोजपुरी गानों की तर्ज पर बने भक्ति गीत बजाते है उससे हार्ट अटैक हो सकता है. कभी सोचा है?
गणेश विसर्जन के नाम पर जो तबाही मचाई जाती है उसका कोई हिसाब किताब नहीं. समुद्र की गन्दगी छोड़ दीजिए. कई बार एम्बुलेंस में ही मरीज मर जाते हैं क्यूंकि गणेश जी का विसर्जन कार्यक्रम चल रहा होता है.
लफंगे कावडिए, हिन्दू धर्म के इस भयानक और हिंसक धंधे के नए रंगरूट हैं. एनएच 24पर उनकी वजह से भयानक जाम लगता है. कांवड़िए ट्रक के पीछे जो साउंड बॉक्स बजाते हैं उससे मैंने कार का ग्लास टूटते देखा है. एक सयानी औरत को कार के अंदर ही बेहोश होते देखा है. मारपीट, चोरी और छेड़खानी कि बात ही क्या की जाए.
हमारा समाज इसे न्यू नॉर्मल मानकर स्वीकार कर चुका है. इन लफंगों पर फूल बरसाए जाते हैं. हिन्दू धर्म का तलीबानीकरण हो रहा है. एक हद हो चुका है. आइसिस करण हो रहा है. फिर दोहरा रहा हूं. हिन्दू धर्म का तलीबानीकरण हो रहा है. हिन्दू धर्म का नियंत्रण अब मुल्लाओं और हत्यारों के हाथ में जा रहा है. ऐसा कभी नहीं था. इस्लाम के साथ यह हदसा पहले ही हो चुका है.
अगर आपको वास्तव में अपने धर्म की चिंता है तो इसके खिलाफ आवाज उठाईए. बोलिए, लिखिए वरना धर्म के धंधेबाज एक दिन आपका वहीं हाल करेंगे जो तालिबान या आइसिस के लोग अपने धर्मावलंबियों का करते हैं.
(लेखक युवा पत्रकार हैं, यह टिप्पणी उनके फेसबुक वॉल से ली गई है, ये उनके निजी विचार हैं)