विक्रम सिंह चौहान
दैनिक भास्कर के साथ इस इंसान को साथ देना न भूलिए.भारत समाचार के प्रधान संपादक बृजेश मिश्रा ने कम संसाधनों के बीच साहसी ,सत्ता विरोधी पत्रकारिता कर एक क्षेत्रीय चैनल को देश की आवाज़ में बदल दिया.योगी को किसी भी मामले में नहीं छोड़ा.कोरोना संक्रमण हो, हाथरस रेप मामला हो या फिर यूपी में बढ़ते अपराध .भारत समाचार ने खुलकर सरकार की आलोचना की व धारदार पत्रकारिता की है।
कोरोनाकाल में बंगाल समेत 5 राज्यों के चुनाव कवरेज से खुद को अलग कर बृजेश मिश्रा ने कहा था कि उनका चैनल सिर्फ कोरोना से मर रहे,चीख रहे ,त्राहिमाम कर रहे जनता को दिखाएगी. और बृजेश मिश्रा और उनका चैनल इस बात पर कायम रहा.दलितों को दबाने ,कुचलने की बात हो. मुस्लिमों को डराने,यूएपीए में अंदर करने की बात हो या बदहाल उत्तरप्रदेश में महिलाओं की स्थिति पर बात हो इनकी आवाज़ बुलंद करने में बृजेश मिश्रा और उनका चैनल कभी पीछे नहीं हटा.बृजेश के घर सत्ता के अंहकार में चूर सरकार ने इनकम टैक्स का छापा लगवाया है।
बृजेश मिश्रा कोई करोड़ो का आसामी नहीं हैं.पत्रकारिता करते एक दो छोटे चैनल से यहां तक पहुंचे हैं.लेकिन उनकी रीढ़ की हड्डी सीधी है इसलिए उन्हें सत्तापक्ष से साठ गांठ के बजाय उससे लड़ना शुरू किया.नतीजा सामने है.उनके घर से आईटी टीम को कुछ नहीं मिलेगा,बस इस बात के लिए रेड डाले हैं कि डर जाओ.अब कुछ लोग सिर्फ इसलिए विरोध करने मत लग जाना कि ये जाति से ब्राम्हण है.जरूरी नहीं हर ब्राम्हण मोदी-योगी के गोद में बैठता है.100 में से 5 लोग बृजेश मिश्रा की तरह भी होते हैं।
(लेखक सोशल एक्टिविस्ट एंव स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं)