नीले गमछे में नज़र आए कांग्रेसी नेता, ललन बोले ‘नीले रंग पर किसी का कॉपीराईट नहीं’

लखनऊः पूर्वी उत्तर प्रदेश के जनपद आज़मगढ़ के तरवां थाना क्षेत्र के बांसगांव में दलित ग्राम प्रधान सत्यमेव की ह’त्या का मामला अब राजीनित रंग ले चुका है। 20 अगस्त को कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू को यूपी पुलिस द्वारा पीड़ित परिवार से मिलने से रोक दिया गया। उन्हें आज़मगढ़ के सर्किट हाउस पर ही रोक लिया गया, उनके साथ पीएल पुनिया, महाराष्ट्र सरकार के मंत्री नितिन राऊत भी थे। लेकिन यूपी पुलिस ने उन्हें सत्यम के परिवार से मुलाक़ात किए बग़ैर ही वापस भेज दिया।

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ग़ौरतलब है कि आज़मगढ़ के बांस गांव में ग्राम प्रधान सत्यमेव जयते की पिछले दिनों गोली मारकर ह’त्या कर दी गई थी। हत्या के बाद मचे बवाल में एक बालक की कुचलकर मौत हो गई थी। इन मौतों के बाद यूपी की सियासत में भूचाल आ गया है. विपक्षी पार्टियां सरकार पर हमलावर हो गईं हैं। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार ने कहा, क्या देश लाठी-डंडा से चलेगा। हमारे मौलिक अधिकारों का हनन हो रहा है। डेमोक्रेसी को किसी सरकार ने नहीं बनाया है। हमें पीड़ितों से मिलने से क्यों रोका जा रहा है।

नीले रंग में रंगी कांग्रेस

इस दौरान कांग्रेस नेता अजय कुमार लल्लू समेत बाक़ी के नेता भी अपने गले में नीला गमछा डाला हुए थे। नीला रंग बहुजन समाज का रंग माना जाता है, इसीलिये बसपा झंडा भी नीले रंग का ही है। जब इस बाबत कांग्रेस के यूपी मीडिया प्रभारी ललन कुमार से सवाल किया गया तो उन्होंने दो टूक कहा कि नीला रंग किसी का कॉपीराईट नहीं है।

ललन कुमार ने कहा कि नीला रंग दलित सशक्तीकरण का प्रतीक है, यह बाबा साहब दिया हुआ रंग है, और कांग्रेस का दलित समाज के उत्थान में महत्तवपूर्ण योगदान रहा है। बता दें कि बीते कुछ वर्षों में एक नया ट्रेंड देखने को मिला है, दलित एक्टविस्टों ने अपने गले में उसी तर्ज़ पर नीला गमछा डाला है, जिस तरह भाजपा और उसके अनुषांगिक संगठनों के लोग अपने गले में भगवा गमछा डालकर निकलते हैं।