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कामयाब हुई ग़ुलाम मोहम्मद की कोशिश, बेटे को आतंक के साए से बचाकर पढ़ाया और पास की UPSC की परीक्षा

संघ लोक सेवा आयोग ने 2021 के लिये चयनित हुए उम्मीदवारों का परिणाम 30 मई को जारी कर दिया है। जिसमें 685 उम्मीदवारों ने यूपीएससी की परीक्षा पास की है। 30 मई को आए परिणाम में एक पिता की सोच-समझ और कोशिश भी सफल हुई है। इस परीक्षा में अपने बेटे को आतंकवाद के साये से बचाने का एक पिता का प्रयास रंग लाया है। बेटे ने भी अपने पिता की उम्मीद पर खरा उतरते हुए यूपीएससी जैसी प्रतिष्ठत परीक्षा में कामयाबी हासिल की है।

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जम्मू के पुंछ जिले के मोहम्मद शब्बीर गोरसी जम्मू-कश्मीर के जम्मू संभाग के उन सात युवाओं में से एक हैं, जिन्होंने संघ लोक सेवा की परीक्षा उत्तीर्ण की है। दूसरी तरफ इस दफा कश्मीर का इलाका यूपीएससी रिजल्ट से खाली रहा। एक पिछड़े गांव में जन्मे मोहम्मद शब्बीर गोरसी ने अपनी शुरूआती शिक्षा पुंछ जिले के बछियांवाली में प्राप्त की थी। मोहम्मद शब्बीर गोरसी के पिता गुलाम मोहम्मद पेशे से किसान हैं।

वह बताते हैं उन दिनों गांव में चरमपंथियों आतंकियों का अड्डा हुआ करता था। इस वजह से अपने बच्चों को आगे की शिक्षा के लिए पुंछ शहर में स्थानांतरित कर दिया। शब्बीर ने जम्मू विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से परास्नातक पूरा किया। अब जबकि मोहम्मद शब्बीर ने सिविल सेवा परीक्षा पास कर ली है, पूरे गांव को उन पर गर्व है।

मैं उन्हें उग्रवाद से बचाना चाहता था

मोहम्मद शब्बीर के पिता गुलाम मोहम्मद ने बताया कि उनका सपना सच हो गया। उन्होंने कहा, ‘‘मैं अपने बच्चों को पुंछ ले गया क्योंकि मैं उन्हें उग्रवाद के प्रभाव से बचाना चाहता था, उन्हें एक अच्छा नागरिक बनना चाहता था।” मैंने शब्बीर की पढ़ाई के लिए पूरी कोशिश की है। मैं अल्लाह का शुक्रिगुलार हूं कि मेरा सपना सच हो गया। मोहम्मद शब्बीर की बहन रजिया बी का कहना है कि उनके भाई ने इस प्रतिष्ठित परीक्षा को पास कर पूरे इलाक़े का सर गर्व से ऊंचा कर दिया है। शब्बीर ने पहले प्रयास में सिविल सेवा परीक्षा पास की है और 419वें स्थान पर है।

जम्मू संभाग के छह अन्य युवकों ने सिविल सेवा परीक्षा 2022 पास की। डोडा जिले के थठारी क्षेत्र के अंजीत सिंह नाम के युवक ने फाइनल लिस्ट में 550वां स्थान हासिल किया है। जम्मू-कश्मीर यूटी के भद्रवाह इलाके के एक अन्य युवक इसरार अहमद काचलो ने 287वां रैंक हासिल किया है। अन्य चार युवक जिन्होंने इस साल इस प्रतिष्ठित परीक्षा को पास किया है, वे जम्मू-कश्मीर के जम्मू जिले के हैं।

सिविल सेवा परीक्षा पास करने वाले जम्मू जिले के युवा में जम्मू से नमनीत सिंह (436वीं रैंक), कंजुवानी जम्मू से शिवानी जंगललाल (300वीं रैंक), त्रिकोटा नगर जम्मू से पर्थ गुप्ता (72वीं रैंक) और द्वारका गांधी (412वीं रैंक) बिश्ना हैं। विशेष रूप से, कश्मीर संभाग का कोई भी उम्मीदवार सिविल सेवा परीक्षा 2022 के लिए अर्हता प्राप्त नहीं कर सका।

बढ़ रहा है यूपीएससी का जुनून

आवाज़ द वायस की एक रिपोर्ट के अनुसार इस बार भले ही कश्मीर से कोई युवा यूपीएससी में कामयाब नहीं हुआ है, पर इसके लिए यह जमीन बहुत उपजाऊ रही है। यही नहीं, इस सर-जमीन ने यूपीएससी टॉपर भी दिए हैं। पिछले कुछ सालों में जम्मू और कश्मीर से संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की परीक्षा उत्तीर्ण करने वालों में  मोहम्मद आकिब, वसीम अहमद भट, सारा अशरफ (316), अल्ताफ मोहम्मद शेख, इकबाल रसूल डार, आमिर बशीर (625), और माजिद इकबाल खान का नाम उल्लेखनीय रहा है।

2020 में उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के हंदवाड़ा के जगरपोरा गांव के निवासी इकबाल रसूल डार ने यूपीएससी के कामयाब उम्मीदवारों की सूची में जगह बनाई थी। अनंतनाग के वसीम भी पिछले साल कामयाब होने वालों में से थे। साल 2010 के बाद यहां यूपीएससी में कामयाबी हासिल करने वालो की संख्या बढ़ी है।  2009 में फैजल षाह, 2016 में अतहर आमिर और बिलाल जैसे कुछ चर्चित नाम कष्मीर की षान बढ़ाते रहे हैं।

20 साल के आतंक के दौर में कश्मीर से जहां सिर्फ चार आईएएस और आईपीएस निकले इसके बाद युवाओं की सोच बदली और आतंकवाद और अलगाववाद को दरकिनार कर लगातार कुछ अच्छा करने के प्रयास में हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, बीते पांच सालों में 60 युवा लोक सेवा (यूपी,ससी) की प्रतिश्‘िठत परीक्षा में अपना नाम दर्ज करवा चुके हैं।1 990 से 2009 तक सिर्फ दो कामयाब होने वालों में थे।