आगराः उत्तर प्रदेश की राजनीति में अहम भूमिका निभाने वाली समाजवादी पार्टी (सपा) ताज नगरी आगरा में अब तक अपना सर्वश्रेष्ठ देने में असफल साबित हुयी है और यही कारण है कि पार्टी कार्यकर्ता पूरी संजीदगी के साथ इस बार के चुनाव में अपना सर्वस्व झोंकने के लिये कमर कस चुके हैं।
पूर्वांचल सहित कुछ अंचलों में सपा मुखिया अखिलेश यादव की पिछले दिनों हुईं रैलियां भी उत्साह जगाने वाली रहीं थीं, लेकिन आगरा के परिप्रेक्ष्य में बात करें तो सपा का गठन होने से अब तक विधानसभा चुनावों में पार्टी की झोली लगभग खाली ही रही है। लगभग इसलिए कि अपवाद के रूप में वर्ष 2012 में बाह विधानसभा क्षेत्र से सपा के टिकट पर राजा अरिदमन सिंह चुनाव जीते थे, लेकिन क्षेत्र में उनका अपना भारी प्रभाव होने के कारण इसे उनकी व्यक्तिगत जीत माना गया।
इसी प्रकार, सपा-बसपा गठबंधन के दौरान वर्ष 1993 के विधानसभा चुनावों में एत्मादपुर विधानसभा सीट से चंद्रभान मौर्य मामूली अंतर से चुनाव जीत सके थे। उस वक्त सपा के साथ बसपा थी। सपा अकेले के दम पर बाह को छोड़कर कोई सीट नहीं निकाल पाई।
सपा निरन्तर जिले में अपनी पैठ बनाने के प्रयास करती रही है। पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव के मुख्यमंत्री कार्यकाल में यहां कई कार्यक्रम, सम्मेलन होते रहे। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी वर्ष 2012 में प्रदेश में अपनी सरकार बनने के बाद जिले के आठ लोगों को लाल बत्ती से नवाजा था। इसके बावजूद पार्टी वर्ष 2017 के विधानसभा चुनावों में जिले की नौ सीटों में से एक पर भी जीत दर्ज नहीं कर सकी।
सपा सरकार में पूर्व कैबिनेट मंत्री राजा अरिदमन सिंह, पूर्व राज्य मंत्री रामसकल गुर्जर, पूर्व राज्य मंत्री अंजुला माहौर, पूर्व राज्य मंत्री नितिन गुप्ता भी थे। जो अब भाजपा में हैं। कई ऐसे पदाधिकारी भी रहे, जिन्होंने सपा सरकार में खूब धन कमाया और भाजपा की सरकार आते ही उसके नेताओं के पिछलग्गू बन गए।
अखिलेश यादव ने आगरा में भाजपा का तिलिस्म तोड़ने के लिए कई विकास कार्य भी कराये। उनकी सरकार में आगरा लखनऊ-एक्सप्रेस-वे का निर्माण हुआ, जिसका सर्वाधिक लाभ आगरा को मिला। जिले को इनर रिंग रोड की सौगात भी मिली। ताज सुंदरीकरण योजना के तहत ताजमहल के आसपास ताजगंज क्षेत्र में करोड़ों रुपये के विकास कार्य हुए। थीम पार्क योजना, टीटीएसपी-पेयजल योजना समेत कई योजनाएं लागू की गईं। तीन हजार करोड़ रुपये से अधिक के गंगाजल प्रोजेक्ट को भी सर्वाधिक गति भी सपा सरकार में मिली।
विकास कार्यों और स्थानीय नेताओं को महत्वपूर्ण पद दिये जाने के बावजूद पार्टी आखिर क्यों चुनावों में पिछड़ जाती है, यह सपा नेताओं के लिये मनन का विषय है। इस बार के चुनावों में सपा ने जिले की नौ सीटों में से छह पर ही अपने उम्मीदवार उतारे हैं और तीन सीटें सहयोगी पार्टी राष्ट्रीय लोकदल को दी हैं। सपा ने छह में से दो सीटों पर अंतिम समय में प्रत्याशी बदल कर अपनी गम्भीरता भी जता दी है। सपा कार्यकर्ताओं में भी उत्साह नजर आ रहा है। देखना यही है कि क्या इस बार के विधानसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी अपना प्रदर्शन सुधारने में कामयाब हो पायेगी।
समाजवादी पार्टी के महानगर अध्यक्ष वाजिद निसार का कहना है कि इस समय प्रदेश की जनता के समक्ष महंगाई, बेरोजगारी और सबको सस्ता इलाज जैसे ज्वलंत मुद्दे हैं और सपा इन्हीं मुद्दों के साथ ही जनता के बीच है। पार्टी मुखिया अखिलेश यादव प्रदेश में तीन सौ यूनिट बिजली मुफ्त देने का वायदा कर चुके हैं, जो परेशानी और तंगहाली में जी रही जनता के लिए बड़ी राहत देने वाला होगा। वाजिद निसार ने दावा किया कि इस बार पार्टी जिले की सभी सीटों पर जीत दर्ज करेगी।