यूसुफ किरमानी
यूपी में तीसरे चरण का मतदान पूरा हो गया है। नया कुछ भी नहीं है बताने को, सिवाय इसके कि बीजेपी के हाथ से यह चुनाव निकल चुका है। प्रधानमंत्री मोदी की दो सभाएँ आज यूपी के हरदोई और उन्नाव में थीं। प्रधानमंत्री के भाषण की भाषा पर ध्यान देंगे तो काफ़ी कुछ समझ में आ जाएगा कि बीजेपी की हालत इस समय क्या है?
मोदी ने यूपी की जनसभा में कहा कि अहमदाबाद में आतंकवादियों ने समाजवादी पार्टी के चुनाव चिह्न साइकल पर बम रखे थे। मैं हैरान हूँ कि आतंकियों ने साइकल को ही क्यों पसंद किया?
अब आपको एक रिपोर्ट के हवाले से बताता चलूं कि गुजरात बम धमाकों में मोदी ने जिस तरह से साइकल पर बम रखने की बात कही, वो तथ्यात्मक रूप से ही गलत है। इस मामले के जांच अधिकारी डीसीपी अभय चूडास्मा ने स्पष्ट किया था, “लाल और सफ़ेद कारों में विस्फोटक फिट किया गया था। जाँच रिपोर्ट में कहीं साइकल का ज़िक्र नहीं है। तब मोदी और मनमोहन सिंह घटनास्थल पर मुआयना करने गए थे। अभय चूडास्मा, हिमांशु शुक्ल, जीएल सिंघल तीनों आईपीएस अधिकारियों की रिपोर्टें अदालत में दाखिल हो चुकी हैं।
खैर, यह मुद्दा अलग है कि ऐन मतदान वाले दिन मोदी समेत सभी नेताओं की रैलियाँ चुनाव आयोग होने दे रहा है और सारे नेता मतदाताओं को वोटिंग वाले दिन प्रभावित करने के लिए किसी भी लेवल के भाषण पर चले जाते हैं।
यह तो मोदी की बात थी। देश के प्रधानमंत्री हैं। मुहावरे वाली भाषा में अगर कहूँ तो जनता उनके सौ खून माफ़ करने को बैठी है। लेकिन मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज तो बहुत ही घटिया लेवल पर उतर आये।
शिवराज ने देवरिया ज़िले में कहा कि अखिलेश यादव आज का औरंगज़ेब है। जो व्यक्ति अपने पिता का वफ़ादार नहीं, वो जनता का वफ़ादार कैसे होगा। उन्होंने कहा कि ये वो खुद नहीं कह रहे हैं, बल्कि अखिलेश के पिता मुलायम सिंह यादव ने कहीं है।
बताइए, अखिलेश की सरकार पिछले पाँच साल से चल रही है, तभी तो वो औरंगज़ेब बना हुआ है। जनता को चाहिए कि वो अखिलेश को सत्ता से बेदख़ल कर दें तो औरंगज़ेब तो खुद ही पैदल हो जाएगा। जिस शख़्स के ऊपर व्यापम घोटाले में शामिल होने के आरोप लगे हो वो अखिलेश को औरंगज़ेब बता रहा है।
क्या आप लोगों को बताना पड़ेगा कि बीजेपी ने कर्नाटक से हिजाब का मुद्दा उठाकर यूपी चुनाव में ध्रुवीकरण कराना चाहा? लेकिन यूपी में न तो हिजाब, न आतंकवाद, न जिन्ना न अब्बा और न औरंगज़ेब चुनावी मुद्दा बन सके। बौखलाहट की असली वजह यही है। जिन बीजेपी नेताओं की माताएँ, बहनें, गर्ल फ़्रेंड घूँघट करती हों, वो चंद मुस्लिम लड़कियों का हिजाब उतरवाने चले थे। इसमें सफल रहते तो फिर कहते कि सिख महिलाएं मुस्लिम महिलाओं की तरह सिर पर पल्लू या आँचल या चुन्नी डालकर क्यों चलती है। फिर ये ईसाई नन्स (Nuns) के सिर से स्कार्फ़ हटवाते।
यह सब इस देश में घटिया राजनीति के नये डिफ़ेंस है। पिछले 70 वर्षों में कांग्रेस और नेहरू ने देश को जिस तरह बर्बाद किया, इसलिए साहब साढ़े साल में कुछ नहीं कर पा रहे हैं। पिछले पाँच साल से यूपी में अखिलेश यादव, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और बहनजी कुछ नहीं करने दे रहे हैं।
तो चौथा चरण 23 फ़रवरी को है। आरोपों और भाषण का लेवल अभी और गिरेगा। कुछ फर्जी आतंकवादी पकड़े जा सकते हैं और किसी जगह तनाव भी हो सकता है। क्योंकि चौथे चरण के बाद रही सही उम्मीद भी ख़त्म होने वाली है। अड़ंगे वाले तीन चरण में पिछले चार चरण की भरपाई साक्षात गुरू गोलवरकर भी नहीं कर पाएँगे।
चौथे चरण से पूर्वांचल का रण शुरू होगा। पूर्वांचल के तमाम छोटे क्षत्रप फर्जी राष्ट्रवादियों से दो दो हाथ करने को तैयार बैठे हैं। पश्चिम में रिपोर्टिंग जितना आसान थी, पूर्वांचल में वो उतनी ही मुश्किल भरी है। बेरोजगार युवकों का आंदोलन वहीं से शुरू हुआ था। गोंडा की रैली में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह उसका ट्रेलर देख चुके हैं।
फिर भी बीजेपी को मज़बूती से लड़ना चाहिए, ताकि संघ योगी को अगला प्रधानमंत्री बना सके।…अगर औरंगज़ेब आ गया तो परिवार की मुश्किलें बढ़ जाएँगी।
महंगाई, बेरोज़गारी, किसानों की ख़स्ताहालत का जवाब अगर हिजाब, फ़र्ज़ी आतंकवाद, अर्बन नक्सल, मुसलमानों की दाढ़ी-टोपी, कुर्ता पायजामा है तो यूपी में नाज़ीवाद की आमद तय मानिए। तीसरे चरण पर लिखने का इरादा नहीं था। क्योंकि जितना लिखी है, वो सब तो आप लोग पहले से जानते हैं।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एंव राजनीतिक विश्लेषक हैं)