ज्ञानप्रकाश अग्रवाल
गद्दाफी के बारे में सुनते ही आपके मस्तिष्क में सबसे पहला शब्द क्या आता है? एक खूँखार शासक?? तानाशाह? क्रूर? खैर शायद आपकी बात से एक लीबिया का नागरिक असहमति दर्ज करा दे पर हम चाहते है यह 10 बाते जान कर आप खुद फैसला करें। 41 साल लगातार लीबिया पर शासन करने वाले मुअम्मर अल गद्दाफी का काल 2011 में नाटो फ़ौज के लीबिया में दाखिले के साथ ख़त्म कर दिया गया। कथित रेबेल्स ने गद्दाफी को सड़क पर लाकर एक दर्दनाक मौत दी। लेकिन अपने राज्य लीबिया के लिए उसने किया ऐसा शायद ही फिलहाल दुनिया का कोई शासक कर रहा है। अफ्रीका को एक और मज़बूत महाद्वीप बनाने के लिए उसने बहुत कोशिश की जो मेन स्ट्रीम मीडिया द्वारा आपको नहीं बताई जाती।
गद्दाफी के दौर में लीबिया के हालात
घर को मानव अधिकार में शामिल करना- गद्दाफी के काल में लीबिया में हर लीबियाई के पास अपना घर हो, इसकी वक़ालत गद्दाफी मानव अधिकार के तौर पर करते थे। अपनी किताब “The Green Book” ने उन्होंने लिखा “घर, एक एकल या परिवार की प्रार्थमिक ज़रुरत है, जिसका स्वामित्व किसी अन्य के हाथ में न हो।” गद्दाफ़ी की यह ग्रीन बुक लीडर की राजनैतिक फलसफे की किताब थी जो 1975 में सभी लिबियन्स द्वारा पढ़े जाने की आशा में छपी थी।
मुफ़्त शिक्षा और मेडिकल सुविधा
गद्दाफी के काल में स्वस्थ सुविधाये सम्पूर्ण अरब और अफ्रीका में उच्च श्रेणी में से थी। यदि कोई लीबिया नागरिक पढ़ाई करना चाहता था परंतु धन का अभाव होता तो सरकार उसकी पढ़ाई यहाँ तक की विदेश में पढ़ाई का भी पूरा ख्याल रखती थी
दुनिया का सबसे बड़ा मानव निर्मित सिचाई प्रोजेक्ट
गद्दाफी के शासन में दुनिया का सबसे बड़ा मानव निर्मित सिंचाई प्रोजेक्ट बना, इसमें बहुत सारी मानव निर्मित नदिया बनाई गयी ताकि पूरे लीबिया में पानी का संकट ख़त्म हो जाए, लीबिया सरकार इसे आठवाँ अजूबा कहती थी।
कृषि व्यवसाय करना मुफ़्त था
अगर कोई लीबिया नागरिक कृषि व्यवसाय शुरू करना चाहता तो सरकार की तरफ से उसे मुफ़्त में ज़मीन, खेती उपकरण, बीज और पशु दिए जाते थे।
नवजात शिशुओ के माँ को भत्ता
जब कोई लीबिया महिला माँ बनती तब सरकार की तरफ से 5000 अमेरिकी डॉलर यानी लगभग भारत के तीन लाख 25 हज़ार रुपए दिए जाते।
बिजली मुफ़्त थी
लीबिया में बिजलो 100 फीसद सब्सिडाइज़्ड थी यानी बिजली का कोई बिल किसी लिबियन को भरना नहीं पड़ता था।
सस्ता पेट्रोल
गद्दाफी के शासन काल में पेट्रोल सस्ता था। तब लीबिया में पेट्रोल का दाम 0.14 डॉलर यानी 11 भारतीय रुपए के आस पास था।
शिक्षा का स्तर उठाया
गद्दाफी ने जब सत्ता संभाली थी तब लीबिया की शिक्षा दर 25 % थी लेकिन जब गद्दाफी को 2011 में शहीद किया गया तब यह दर 87 फीसद की थी जिसमे 25 फीसद विश्विद्यालय उत्तीर्ण थे।
दुनिया का पहला ऋण मुक्त देश
लीबिया दुनिया का पहला ऋण मुक्त देश था यानी लीबिया पर किसी भी बाहरी देश या संगठन का कोई कर्ज़ा नहीं था। लीबिया के पास अपने स्टेट बैंक जो 0 % इंट्रेस्ट रेट पर लिबियन्स को ऋण देता था
गोल्ड दीनार
गद्दाफी पूरी तरह से डॉलर में ट्रेड करने के खिलाफ जाकर पैन-अफ्रीका लेवल पर एक करेंसी लाना चाहते थे जो सोने के दीनार के रूप में थी। साथ ही वो यूनाइटेड स्टेट और अफ्रीका बनाना चाहते थे। विशेषज्ञ मानते हैं उनकी यही नीति अमेरिका और उसके सहयोगियों को पसंद नहीं आई क्योकि डॉलर के इनकार और खुद का सोना लाने का मतलब रियल वेल्थ को कागज़ की रसीदों पर तरजीह देना था, जिसके माध्यम से अमेरिका और उसके सहयोगी दुसरे देशो को कर्ज़ा देकर अपना प्रभुत्व स्थापित करते थे।
मीडिया और गद्दाफी
अब सवाल है कि मीडिया ने गद्दाफी के बारे में कितना कुछ बताया। इसका सीधा सा जवाब है कि मीडिया ने गद्दाफी को हमेशा एक क्रूर तानाशाह के रूप में प्रचारित, प्रसारित किया। गद्दाफी की तानाशाही से कौन इनकार कर सकता है, लेकिन नागरिक अधिकारों और नागरिकों की जरूरतों पर जैसा काम गद्दाफी द्वारा किया गया वैसा तो लोकतंत्र का ढ़ोल पीटने वाले देशों में नहीं है। लेकिन मीडिया ने यह सब बताया ही नहीं। इसी से मीडिया की ताक़त का अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि, विश्व युद्ध द्वितीय से अब तक अमेरिका दो करोड़ लोगो को मार चुका है बावजूद इसके, अमेरिकी सरकार आम दर्शकों, पाठकों की नज़र में अब भी शांतिदूत है।