नई दिल्लीः धर्मांतरण कराने के आरोप में यूपीएटीएस द्वारा गिरफ्तार किए गए डॉ. उमर गौतम के स्वजनों ने उन्हें निर्दोष क़रार दिया है। उमर गौतम की पत्नी रज़िया ने प्रतिष्ठिन न्यूज़ पोर्टल ‘न्यूज़लॉन्ड्री’ से विस्तार से बात करते हुए दावा किया है कि उनके पति द्वारा किसी का भी जबरन या धोखाधड़ी से धर्म परिवर्तन नहीं कराया गया। उमर गौतम और रज़िया की शादी को 30 साल से ज्यादा का समय गुज़र चुका है। ये दोनों ही मूल रूप से उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले के एक गांव से हैं, इस दंपत्ति का संबंध राजपूत परिवारों से है।
हनुमान के भक्त थे उमर गौतम
रज़िया ने 1980 के दशक में हिंदू धर्म से इस्लाम में स्वीकारने की कहानी को याद करते हुए बताया कि “मेरे पति भगवान हनुमान के भक्त थे और हर मंगलवार और शनिवार को मंदिर जाते थे,” “हम इतने धार्मिक थे कि लोग अक्सर मुझे पूजीता कहते थे, जिसका अर्थ है पूजा करने वाली। माघनी स्नान एक वार्षिक 30-दिवसीय अनुष्ठान है जिसमें भक्त गंगा नदी में डुबकी लगाते हैं। उत्तर प्रदेश में हिंदू परिवारों के लिए चलन माघी स्नान आस्था रखता है, हम भी ‘माघी स्नान’ के लिए भी जाते थे, (माघनी स्नान एक वार्षिक 30-दिवसीय अनुष्ठान है जिसमें भक्त गंगा नदी में डुबकी लगाते हैं।) किशोरावस्था में ही हमारी शादी हुई थी”
रज़िया बताती हैं कि उमर का नाम श्याम प्रताप सिंह गौतम था। जब वे उत्तराखंड में गोविंद बल्लभ पंत विश्वविद्यालय में बीएससी की पढ़ाई कर रहे थे, उसी दौरान विश्वविद्यालय में उनके नासिर खान नाम के एक दोस्त हुआ करते थे, नासिर मुसलमान थे। रज़िया बताती हैं कि, “नासिर हर हफ्ते मेरे पति को साइकिल पर बैठाकर मंदिर ले जाते थे।” “एक दिन, श्याम ने उनसे पूछा कि वह उनके साथ इतनी लगन से मंदिर क्यों गया। ‘मेरे भगवान को खुश करने के लिए,’ नासिर ने जवाब दिया। ‘मेरा धर्म मुझे अपने हक़ूक़ वालों की देखभाल करना सिखाता है’। इस घटना ने श्याम के जीवन की दिशा बदल दी।”
क्या था नासिर की बात का मतलब
“मेरे हक़ूक में” से, नासिर का मतलब अपने सामाजिक दायरे के उन लोगों से था, जिनके प्रति उनके धर्म में उनका दायित्व था। नासिर के जवाब के बाद श्याम ने एक महीना बाइबिल, गीता और कुरान पढ़ने में बिताया और फिर इस्लाम धर्म अपना लिया। उन्होंने अपना नाम मोहम्मद उमर गौतम रख लिया। उनका मतांतरण सामान्य से बाहर नहीं था, फतेहपुर और उसके आसपास के कई गांवों में राजपूतों को इस्लाम में परिवर्तित होते देखा गया है। 90 के दशक में उमर और रज़िया दिल्ली आ गए। 1995 और 2007 के बीच, उमर अजमल एंड संस, परफ्यूम और ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के नेता बदरुद्दीन अजमल के स्वामित्व वाली कंपनी में कार्यरत थे, जिसका मुख्यालय असम के होजई में था। रज़िया के मुताबिक, उनके पति अजमल एंड संस द्वारा चलाए जा रहे स्कूलों की देखरेख करते थे।
2008 में शुरु किया इस्लामिक दावाह सेंटर
उमर गौतम ने 2008 में, एक धर्मार्थ संस्थान, इस्लामिक दावाह केंद्र की स्थापना की। रज़िया बताती हैं कि “आईडीसी द्वारा नियमित रूप से की गई कुछ पहलों में जरूरतमंदों को कंबल बांटना और लॉकडाउन के दौरान लोगों को राशन देना शामिल है।” यूपी पुलिस द्वारा कथित “धर्मांतरण रैकेट” के लिए आईडीसी के लिंक के बारे में पूछे जान पर रज़िया ने कहा, “अगर कोई मेरे पति से इस्लाम कबूल करने की इच्छा जाहिर करता है, तो उसकी भूमिका एक ऐसे सूत्रधार की थी जो दस्तावेजों के साथ मदद करेगा।” उन्होंने कहा कि इसमें कुछ भी अवैध नहीं है। धर्म परिवर्तन को औपचारिक रूप देने के लिए, व्यक्ति को एक एस़डीएम द्वारा हस्ताक्षरित एक हलफनामा दाखिल करना जरूरी है। जिसके बाद, आईडीसी उस व्यक्ति को जहांगीर कासमी द्वारा हस्ताक्षरित “धर्मांतरण प्रमाणपत्र” जारी करता है।
इस्लामिक दावाह सेंटर पर लगे फंडिंग के आरोप को खारिज करते हुए, रज़िया ने कहा कि आईडीसी को उनके दोस्तों, रिश्तेदारों और शुभचिंतकों से योगदान मिलता है। सहयोग करने वालों में अमेरिका और यूके जैसे विदेशी देश में रहने वाले भारतीय भी शामिल हैं। इसके अलावा, आईडीसी को कुछ ज़कात भी मिलती है, जो मुसलमानों के लिए अनिवार्य संपत्ति कर है।
‘आसपास पूछें कि क्या हमने जबरन किसी का धर्म परिवर्तन कराया है’
उमर गौतम की पुरज़ोर वकालत करते हुए रज़िया कहती हैं कि “मेरे पति एक प्रतिष्ठित व्यक्ति और एक सम्मानित विद्वान हैं। इस घटना से मेरा पूरा परिवार परेशान हो गया है,” रज़िया ने अपने सिर पर दुपट्टे से आंसू पोछते हुए कहा “आप आसपास पूछ सकते हैं कि क्या हमने किसी का बलपूर्वक धर्मपरिवर्तन कराया है। अपने घर में काम करने वाली महिला की ओर इशारा करते हुए रज़िया ने कहा कि हमारी गृहिणी नेपाल से है, उससे पूछें कि क्या हमने कभी उसे अपना धर्म बदलने के लिए कोई प्रलोभन दिया, या कभी उस पर ज़ोर ज़बरदस्ती करने की कोशिश की है।”
उमर और रज़िया के दो बेटे और एक बेटी हैं। बड़ा बेटा एक आईटी फर्म में इंजीनियर है और छोटा बेटा एमबीए की तैयारी कर रहा है। उनकी बेटी फातिमा दिल्ली की एक प्रतिष्ठित डीम्ड यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं। उमर गौतम की बेटी कहती हैं कि जब उनके पिता गिरफ्तार किया गया तो उनके पिता जांच में सहयोग कर रहे थे। “मुझे याद है कि वह जिस दिन वे जा रहे थए, हमने सोचा कि चूंकि हमारी ओर से सब कुछ पारदर्शी था, इसलिए यह ठीक होना चाहिए। नहीं तो हम एक वकील और स्थानीय नेताओं को इसकी जानकारी देते। फातिमा ने कहा कि उनके पास उन सभी धर्मांतरणों का रिकॉर्ड है, जिन्हें आईडीसी ने औपचारिक रूप देने में मदद की थी। उन्होंने कहा, “हम अपनी मर्जी से इस्लाम कबूल करने वाले मुसलमानों की वीडियो क्लिप तैयार कर सकते हैं।” फातिमा कहतीं हैं कि उनका परिवार उमर के लिए समर्थन जुटाने के लिए एक ऑनलाइन अभियान शुरू करने की योजना बना रहा था।
क्या कहते हैं धर्म परिवर्तन करने वाले
कानपुर की रहने वाली अंजुम ने कहा कि उसने करीब एक दशक पहले उमर से संपर्क किया था जब वह सिख धर्म से इस्लाम कबूल करना चाहती थी। “मेरे पति मुस्लिम हैं और मैं कानूनी रूप से रिश्ते को औपचारिक रूप देना चाहती थी,” अंजुम कहतीं हैं कि “मैं एक सिख परिवार से आयी हूं।”
जिस अपार्टमेंट में उमर गौतम का फ्लैट है उसी अपार्टमेंट में रहने वाली वाली एक बुजुर्ग महिला ने कहा, “भोजन और धर्म को किसी के गले से नीचे नहीं उतारा जा सकता है।” उन्होंने दावा किया कि कुछ दिन पहले एक टीवी चैनल का कर्मचारी उनके घर आया और पूछा कि उमर किस तरह का व्यक्ति है। मैने उमर के बारे में जो अच्छी बातें बताईं उसे कभी प्रसारित नहीं किया।
उमर की पत्नी रज़िया ने अपने मोबाइल में एक यूट्यूब चैनल का वीडियो दिखाया। दरअस्ल वह बेंगलुरु के डॉक्टर सुजीत शुक्ला के साथ एक साक्षात्कार था। उमर की गिरफ्तारी के दो दिन बाद पोस्ट किए गए साक्षात्कार में, डॉ. शुक्ला ने कहा कि उन्होंने उमर के बारे में वर्षों पहले ट्रेन यात्रा पर सुना था और 2004 में जब वे इस्लाम में दाख़िल होना चाहते थे तो उनसे संपर्क किया था। जब डॉ. शुक्ला से सवाल किया गया कि क्या उन्हें धर्मपरिवर्तन से भौतिक लाभ हुआ? तो इस पर शुक्ला ने हंसते हुए कहा, “ठीक है, यह आर्थिक रूप से घाटे का सौदा है क्योंकि धर्म परिवर्तन के तुरंत बाद सभी पारिवारिक संबंध कट जाते हैं।”
(विस्तृत रिपोर्ट आप न्यूज़लॉन्ड्री पर पढ़ सकते हैं)