Latest Posts

जयपुर SDI के महासम्मेलन में बोले उलमा ‘इस्लाम की मौजूदगी में अज्ञानता का स्थान नहीं’

जयपुर। यह ख़्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती के घर के पास बैठे हैं। उन्होंने कहाकि मुसलमानों की बुरी स्थिति की वजह अज्ञानता है। अगर मुसलमान अपनी स्थिति ठीक करना चाहते हैं तो यह ज्ञान के आधार पर हो सकता है। यह बात वर्ल्ड इस्लामिक मिशन के महासचिव अल्लामा क़मरुज़्ज़मा आज़मी ने जयपुर के ऐतिहासिक करबला मैदान में कहीं। वह सुन्नी दावते इस्लामी के इज्तिमा (महासम्मेलन) के मंच से मुख्य वक्ता के तौर पर बोल रहे थे।  इज्तिमे का समय वैसे तो दोपहर बाद तीन बजे का दिया गया था लेकिन दोपहर की नमाज़ के फौरन बाद विशाल करबला मैदान लोगों से भरना शुरू हो गया। कार्यक्रम दो घंटे के अंदर ही पूरा मैदान श्रद्धालुओं से भर गया। कार्यक्रम की समाप्ति तक हज़ारों लोग, बच्चे और महिलाएं मैदान में देर रात तक डटे रहे।

Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!

कार्यक्रम में चार वक्त की नमाज़ अदा की गई। इस दौरान कई दौर में वक्ताओं ने संबोधन दिया और नातख़्वान ने पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद साहब के यशगीत प्रस्तुत किए। कार्यक्रम के बाद ‘ज़िक्र’ की महफिल का आयोजन किया गया जिसमें हज़ारों लोगों ने उलामा के साथ अल्लाह के नाम दोहरा कर लाभ उठाया।

इस्लाम की मौजूदगी में अज्ञानता का स्थान नहीं- क़मरुज़्ज़माँ आज़मी

वर्ल्ड इस्लामिक मिशन, लंदन के महासचिव अल्लामा क़मरुज़्ज़मा आज़मी ने सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए कहाकि यह ख़्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती के घर के पास बैठे हैं। उन्होंने कहाकि मुसलमानों की बुरी स्थिति की वजह अज्ञानता है। उन्होंने कहाकि मानवता के पिता हज़रत आदम को ख़ुदा ने सभी चीज़ों के नाम सीखाकर भेजा था। एक समय था कि आदम का बेटा आदमी फरिश्तों से भी ज्ञान में आगे था। मुसलमानों ने अपने ज्ञान की बदौलत अरब, यूरोप और भारत को ज्ञान से भर दिया मगर आज मुसलमानों की स्थिति वैसी नहीं रह गई है। आज़मी ने कहाकि क़ुरआन का पहला शब्द ‘इक़रा’ है जिसका शाब्दिक अर्थ है ‘पढ़ो’। परन्तु दुर्भाग्य की बात है कि मुसलमान ने ज्ञान से मुंह मोड़ लिया है। उन्होंने पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद का हवाला देते हुए कहाकि जब पैग़म्बर का जन्म हुआ था मक्का में मात्र 17 लोग पढ़ना लिखना जानते थे परन्तु जब आपने इस दुनिया से पर्दा किया तब तक  एक लाख लोग पढ़ना लिखना सीख चुके थे। आज़मी ने इस शानदार शुरूआत परम्परा नष्ट होने पर दुख का इज़हार किया।

उन्होंने ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती के संदेश को सार्वजनिक करने पर बल दिया। उन्होंने राजस्थान की महानता का ज़िक्र करते हुए कहाकि यह ख़्वाजा साहब का घर है। जब भी कोई ख़्वाजा का संदेश लेकर आगे बढ़ेगा, पूरी दुनिया उसे सम्मान से स्वागत करेगी। आज़मी ने ड्राफ्टिंग का महत्व बताते हुए कहाकि पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद साहब ने जब अपने पैग़म्बर होने की पुष्टि की, तब से उनके हर शब्द और मूवमेंट को मुसलमानों ने ड्राफ्ट किया। इसी ड्राफ्ट की बदौलत इस्लाम की सही तस्वीर आने वाली पीढ़ियों को मिल सकी। उन्होंने कहाकि इस्लाम की मौजूदगी में जहालत के लिए स्थान नहीं है। यह त्रासदी होगा अगर मुसलमान अनपढ़ रह जाए। उन्होंने अपील की कि हर पढ़े लिखे व्यक्ति का दायित्व है कि वह अपने क्षेत्र में पढ़ाई से वंचित बच्चों की परवाह करें। अगर धन की अनुपलब्धता की वजह से कोई बच्चा पढ़ाई से वंचित नहीं रहना चाहिए। यह हर स्थापित व्यक्ति का दायित्व है कि वह निर्धन बच्चों की पढ़ाई के लिए कोशिश करे। उन्होंने पर्यावरण की रक्षा की भी अपील की। आज़मी ने कहाकि पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद ने पौधारोपण का संदेश दिया है। हमें इसी पृथ्वी की रक्षा के लिए चौदह सौ साल पहले ही समझा दिया गया था लेकिन मुसलमानों की पर्यावरण के लिए लापरवाही दुख का विषय है। आज़मी ने मुसलमानों को व्यापार करके सही तरीके से धनार्जन करने की अपील की।

आज़मी ने कहाकि वह इसी ऐतिहासिक मैदान पर 51 साल बाद पुन: संबोधन के लिए लौटे हैं। यह उनके लिए सौभाग्य की बात है।

धन का सदुपयोग कर जयपुर में शिक्षा को स्थापित करें- शाकिर नूरी

सुन्नी दावते इस्लामी के संस्थापक प्रमुख मुहम्मद शाकिर नूरी ने अपने संबोधन में कहाकि सामाजिक गिरावट की वजह से मुसलमानों की स्थिति बुरी होती जा रही है। उन्होंने कहाकि अल्लाह कभी किसी भी राष्ट्र और समाज के विरुद्ध नहीं है, बल्कि इंसान ख़ुद अपनी बर्बादी की वजह बनता जा रहा है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहाकि जब तक व्यक्ति ईमानदारी से अपना कर्तव्य पूरा करता रहता है, उसे सम्मान प्राप्त होता रहता है लेकिन जैसे ही व्यक्ति भ्रष्ट हो जाता है, उसका सम्मान और सम्प्रभुता जाती रहती है। यही संबंध अल्लाह और इंसान के बीच है। जब तक व्यक्ति कर्तव्यपरायण रहता है, वह अल्लाह की रहमत का उम्मीदवार रहता है परन्तु जब वह उसकी तरफ से ग़ाफिल हो जाता है तो वह उसका करम खो देता है। उन्होंने धन के सदुपयोग का आह्वान करते हुए कहाकि अगर धन को सामाजिक उत्थान में ख़र्च किया जाएगा, अल्लाह उसके दिल से भय दूर कर देगा।

सुन्नी दावते इस्लामी वैश्विक आंदोलन- मोईनुज़्ज़माँ आज़मी

लंदन से पधारे सॉलिसीटर मोईनुज्ज़मा आज़मी ने कहाकि वह सुन्नी दावते इस्लामी को वैश्विक सूफी आंदोलन के रूप में देखते हैं। उन्होंने बताया कि पश्चिम आध्यात्मिक तत्व से रिक्त है। यह स्थिति युवाओं के बीच भी बन रही है और इस रिक्तता में उत्तर की अपेक्षा में हैं। मायूसी और अस्थिरता से मुस्लिम समाज गुज़र रहा है। उन्होंने कहाकि मुस्लिम समाज में जो समस्याएं हैं, उसका निदान इसी समाज के पास है। यदि मुसलमान पश्चिम में अपनी समस्या का हल ढूंढ रहे हैं तो यह नाउम्मीदी पर समाप्त होगी।

नशा लोक और परलोक दोनों नष्ट कर देता है- अमीनुल क़ादरी

मालेगाँव से आए सुन्नी दावते इस्लामी के निगराँ सैयद अमीनुल क़ादरी ने कहाकि हर मुसलमान को अपने स्वास्थ्य का ख़याल रखना चाहिए क्योंकि एक सेहतमंद व्यक्ति ही सफल राष्ट्र का निर्माण कर सकता है। उन्होंने कहाकि बीमारी होने पर इलाज नहीं करवाना वाला इस्लाम के मुताबिक़ गुनाहगार है। क़ादरी ने इस्लाम के संदर्भ में कहाकि खाने-पीने, सोने-बैठने और सफल जीवनशैली का तरीक़ा पैग़म्बर मुहम्मद साहब ने सबको सिखाया है लेकिन आज पश्चिमी सभ्यता के प्रभाव में नशे को आम करने की परम्परा की जा रही है। उन्होंने नशा और शराबखोरी को समाज के लिए ख़तरा बताते हुए ऐसे लोगों की सोहबत से भी बचने की सलाह दी जो नशे के लिए प्रोत्साहित करता है।

तीन बुराइयों को हटाकर हम सफल हो सकते हैं- यूनुस रिज़वी

यूनुस रिज़वी, मुम्बई के सुन्नी दावते इस्लामी के प्रखर वक्ता ने कहाकि मुसलमानों को पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद के जीवन से मुसलमानों को सीखना चाहिए। उन्होंने कहाकि मुसलमानों को तीन बुराइयों को छोड़ने से बचना चाहिए। पहला है सुन्नत छोड़ना, दूसरा है माता-पिता का नाफ़रमान बनना और पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद साहब का नाम सुनकर दुरूद नहीं पढ़ना। हमें चाहिए कि मुसलमान बनने के महत्वपूर्ण घटकों की जीवन में उतारना चाहिए।

ज़िक्र से रूहानी समस्याओं का इलाज संभव- रिज़वान ख़ान

मुम्बई से आए रिज़वान ख़ान ने कहाकि जहाँ पैग़म्बर मुहम्मद साहब का ज़िक्र होता है वह जन्नत का बाग़ बन जाता है। उन्होंने जीवन में ‘जिक्र’ यानी बारम्बार धार्मिक नामों को दोहराने पर बल दिया। उन्होंने कहाकि क़ुरआन को पढ़ने से हमें निसंदेह लाभ प्राप्त होगा। उन्होंने सुंदर तरीक़े से नात पढ़कर लोगों को झूमने पर मजबूर कर दिया।

इंटरनेट के सदुपयोग करने की आवश्यकता- सादिक़ रिज़वी

सादिक़ रिज़वी ने इंटरनेट के सकारात्मक प्रभाव पर चर्चा की। उन्होंने कहाकि इंटरनेट का सकारात्मक इस्तेमाल करने की आवश्यकता है। आमतौर पर इंटरनेट के प्रयोग से जीवन आसान हो गया है मगर कई प्रकार के प्लेटफॉर्म का प्रयोग भी सकारात्मक होना चाहिए। यह देखने में आया है कि इंटरनेट में समय नष्ट हो रहा है जबकि युवाओं को इस जंजाल में काम की चीज़ की तलाश करनी चाहिए।

एसडीआई का नशा विरोधी अभियान सफल- अमीन क़ादरी

सूरत से आए सुन्नी दावते इस्लामी के निगराँ अमीन क़ादरी ने बताया कि समाज में नशे की बढ़ती हुई स्थिति ख़तरनाक है। उन्होंने पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद साहब के एक कथन के संदर्भ में कहाकि शराब पीने वाला स्वर्ग का वासी नहीं हो सकता। अमीन क़ादरी ने कहाकि इस्लाम में नशा हराम है क्योंकि यह समाज को नष्ट करने वाली बुराई है। सुन्नी दावते इस्लामी के प्रभाव में अब तक कई युवाओं ने नशे को त्याग दिया है और इस सूफी आंदोलन की यह महान् सफलता है।

मुसलमान अमानतदार होता है- ख़ालिद रिज़वी

सुन्नी दावते इस्लामी के इस महासम्मेलन में प्रथम भाग में लोगों ने बहुत ध्यान से वक्ताओं को सुना। मुहम्मद ख़ालिद रिज़वी ने कहाकि इस्लाम में अमानतदारी का भाव इतना उच्च है कि संतान को उसके माता पिता की ही अमानत बताया गया है। परिवार में माता पिता को अपनी संतान के पक्ष में निर्णय लेने का अधिकार है यानी संतान ख़ुद ही माता पिता की अमानत है और ख़ुद किसी व्यक्ति को अपने माता पिता के विरोध में जाने का अधिकार नहीं है। ख़ालिद रिज़वी साहब ने इस्लाम को अमल यानी व्यवहार का धर्म बताते हुए इसके अमल को जीवन में उतारने की अपील की।

व्यवहार से माध्यम से इस्लाम को जिएं- मुफ़्ती ख़ालिद अय्यूब मिस्बाही

सुन्नी दावते इस्लामी के मीडिया प्रभारी और जयपुर के प्रख्यात मुफ्ती ख़ालिद अय्यूब मिस्बाही ने इस्लाम को जीवन जीने का बेहतरीन मार्ग बताते हुए मुसलमानों से अपील की कि वह सूफ़ीवाद को जीवन में उतारें। उन्होंने कहाकि मुसलमान को व्यवहार पर बहुत ध्यान देने की ज़रूरत है। जब तक हम अपने व्यवहार में भ्रष्ट रहेंगे और धर्म की रीति रिवाज़ निभाते रहेंगे तो यह कर्मकांड बनकर रह जाएगा। इस्लाम में न्याय की कसौटी व्यवहार यानी चरित्र है। यदि चरित्र नहीं तो मुसलमान स्वयं को इस्लाम में पूर्ण समर्पित होने का दावा नहीं कर सकता। उन्होंने विशेषकर युवाओं से अपील करते हुए कहाकि उन्हें अपने कार्यकलाप, लेन देन और व्यवहार में इस्लाम को जीवन में उतारना चाहिए।

यह गणमान्य व्यक्ति भी हुए शामिल

सुन्नी दावते इस्लामी के राजस्थान प्रभारी मौलाना फैयाज़ रिज़वी, जयपुर शहर मुफ़्ती अब्दुल सत्तार रिज़वी, एसडीआई के जयपुर प्रभारी सैयद मुहम्मद क़ादरी, जयपुर के समाजसेवी हाजी रफत ख़ान, किशनपोल से विधायक महेश जोशी, आदर्श नगर विधायक रफ़ीक़ ख़ान, अम्बेडकराइट पार्टी ऑफ इंडिया के नेता दशरथ सिंह हिनोनियाँ, सिख समाज सभा के अध्यक्ष जसबीर सिंह समेत, समाजसेवी लल्लू क़ुरैशी, मौलाना ज़ाहिद अली नूरी, मौलाना अहतराम आलम अज़ीज़ी, मौलाना ग़ुलाम मोईनुद्दीन, कारी शकील अशरफ़ी, मौलाना इरफ़ान बरकाती समेत कई गणमान्य लोगों ने कार्यक्रम में भाग लिया। एसडीआई के देश भर के कई पदाधिकारियों ने जलसे में शिरकत की।

अवॉर्ड भी दिए गए

सुन्नी सेंटर जयपुर ने इस मौक़े पर सुन्नी दावते इस्लामी के मंच से जर्नलिज़्म अवॉर्ड मुफ्ती ख़ालिद अय्यूब मिस्बाही को दिया गया। डेडिकेशन अवॉर्ड हामिद बेग साहब, सोशल सर्विस अवॉर्ड आदिल ख़ान और नासिरुद्दीन ख़ान को दिया गया।

देश प्रदेश से लोग हुए शरीक

जयपुर शहर के अलावा अजमेर, जोधपुर, बीकानेर, उदयपुर, कोटा, नागौर, पाली, बाड़मेर, जैसलमेर समेत कई जिलों से लोग जयपुर पहुँचे। इज्तिमे में राजस्थान के अलावा बाहरी राज्यों मे गुजरात और महाराष्ट्र से सबसे अधिक लोग पहुँचे। दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और पंजाब से काफी संख्या में लोग इस इज्तिमे में पहुँचे।