नई दिल्ली/मुजफ्फरनगरः यूक्रेन में रूस द्वारा लगातार हो रहे हमले के बीच सैकड़ों भारतीय छात्र फंसे हैं। ऐसे में भारत सरकार ने छात्रों को सुरक्षित निकाल भारत लाना शुरू किया है। लेकिन अभी भी बहुत से ऐसे छात्र हैं जो यूक्रेन में ही हैं। उन्हें निकाला नहीं जा सका है। कुछ छात्र जो बेहद मुश्किलों का सामना करते हुए बॉर्डर तक पहुंचे तो उनको वहां से वापस हॉस्टल लौटना पड़ा है। मुजफ्फरनगर के एक छात्र द्वारा पोलिश बॉर्डर से छात्र छात्राओं की पुलिसकर्मियों द्वारा पिटाई का वीडियो वायरल किया गया जो भयावह हकीकत को बयां कर रहा है। वहां पर छात्र छात्राओं को अपमानित होना पड़ रहा है। पुलिस फोर्स के जवान फायरिंग कर उनको भयभीत कर रहे हैं। अभी मुजफ्फरनगर के छात्र छात्राओं की वापसी नहीं हो पा रही है। परिजन परेशान है। ऐसे में सरकार से गुहार लगाने के साथ ही इन बच्चों के परिजन दुआ और प्रार्थना कर रहे है।
ट्रू स्टोरी की रिपोर्ट के मुताबिक़ मुजफ्फरनगर में रहने वाले ऐसे दर्जनों परिवारों को यूक्रेन में युद्ध के भयावह हालातों में फंसे अपने बच्चों की फिक्र अब खाये जा रही है। रूस द्वारा यूक्रेन पर हमले को आज पांच दिन हो चुके हैं लेकिन वहां से मुजफ्फरनगर के छात्र छात्राओं और अन्य लोगों को निकाल पाने में कोई सफलता सरकार को नहीं मिल पा रही है। यूपी के ही हजारों छात्र यूक्रेन में अपने ठिकाने छोड़कर बॉर्डर पर फंसे हुए हैं। बॉर्डर पार करने में उनको कोई भी सहयोग नहीं मिल रहा है। दो दिन से मुजफ्फरनगर के आठ छात्र छात्राएं रोमानिया बॉर्डर पर फंसे हुए है। ऐसे एक छात्र के परिवार ने मीडिया से अपना दर्द साझा किया है। इस परिवार के मुखिया तहसीन अली एसएसपी आफिस में वरिष्ठ उर्दू सहायक के पद पर कार्यरत हैं। उनका बेटा अब्दुस्समद यूक्रेन में ईवानोफ्रेंक्विस्क नेशनल मेडिकल कालेज में एमबीबीएस सेकेंड ईयर का स्टूडेंट है।
आंखों में आंसू लब पर दुआ
तहसीन अली जब अपने बेटे को याद करते हैं तो उनकी आंखें भर आती हैं। वे कहते हैं कि उन्होंने कभी भी सोचा नहीं था कि पढ़ाई के लिए विदेश गया बेटा ऐसे हालात में फंस जाएगा। तहसीन अली बताते हैं कि जबसे यूक्रेन में मौजूदा संकट के बारे में सुना अब्दुस्समद की अम्मी मुसल्ले पर ही बैठी नमाज पढ़ती और दुआ करती नजर आती है। दादी के हाथों में तस्बीह है और जुबान पर अब्दुस्समद के खैरियत के साथ लौट आने की दुआ। क्या हिंदु और क्या मुसलमान बस सब मिलने वाले घर आ रहे हैं, ढांढस बंधा रहे हैं। लेकिन दिल को तसल्ली नहीं। अब्दुस्समद खुद फोन पर अपनी अम्मी और दादी को तसल्ली दे रहा है। लेकिन ममता की आंखे वह ताकत कहां से लाए कि बहते आंसुओं की धारा रोक सके। दिल धड़क रहा है, लेकिन हर धड़कन से अब्दुस्समद के नाम की आवाज आ रही है। छोटा भाई और दोनों बहने उन्हें भी कहां करार है। वे भी अपने मां-बाप की आंखे पढ़ रही हैं, दादी की बेचैनी देख रही हैं। मोबाईल की घंटी बजती है तो खुंशी और घबराहट एक साथ पेशानी पर उतर आती है। काश कुछ ऐसा हो कि सभी घर के सदस्य जाएं और भाई को यूक्रेन से उड़ाकर सीधा घर ले आएं। बस यही दुआ है, पड़ौसी और रिश्तेदार भी तसल्ली दे रहे हैं। अब्दुस्समद का फोन आए तो ही अम्मी और दादी खाना खा रही हैं।
तहसीन अली परिवार को संभाल रहे हैं, एंबेसी और विदेश मंत्रालय पर भी नजरे गड़ाए बैठे हैं। अब्दुस्समद ने अब्बा तहसीन अली को फोन पर बताया था कि वह रोमानिया के रास्ते स्वदेश वापसी की तैयारी कर रहा है। बताया था कि वह साथियों के साथ रोमानिया बार्डर पर पहुंच चुका है। इसके बाद शनिवार से तहसीन अली व परिवार के किसी सदस्य का संपर्क अब्दुस्समद से नहीं हो पाया था। काफी कोशिशों के बावजूद संपर्क न हो पाने के चलते पूरा परिवार हताश था। लेकिन रविवार को अब्दुस्समद ने वाट्सअप मैसेज किया। जिसमें उसने लिखा कि उसने पूरी रात रोमानिया बार्डर पर खड़े होकर गुजारी। इस उम्मीद से कि उसे उनके साथियों के साथ भीतर ले लिया जाए और स्वदेश वापसी का रास्ता निकले। बताया कि अभी भी वह इस उम्मीद से बार्डर पर खड़ा है कि उसका नंबर आ जाएगा। इससे पहले स्वदेश लौटने के लिए पोलिश बार्डर पर पड़े मुजफ्फरनगर के अमन ने अमानवीयता के खेल का एक वीडियो बनाकर भेजा है। जो काफी भयावह है। इस वीडियो ने साबित किया है कि यूक्रेन से स्वदेश लौटने की आपाधापी में भारतीय छात्र न सिर्फ बेइज्जत हो रहे हैं, बल्कि उन्हें जुल्म भी सहना पड़ रहा है।
वीडियो सामने आने के बाद बढ़ी चिंता
यूक्रेन में पोलिश बार्डर का एक ऐसा वीडियो सामने आया है, जिसमें बोर्डर पर भारतीय छात्रों के साथ पोलैंड पुलिस अमानवीयता से पेश आ रही है। भारतीयों के साथ मारपीट की जा रही है। उनके धक्के देने के साथ घसीटा जा रहा है। गांव नगला राई निवासी मो अमन ने फोन पर बताया कि दो दिन के प्रयास के बावजूद पोलेंड जाने में सफल नहीं हो सके। रात में माइनस 10 डिग्री टेंप्रेचर से बचने के लिए वे वापस अपने हॉस्टल लौट आए। अमन ने फोन पर बताया कि भारतीय छात्र स्वदेश लौटने के लिए न सिर्फ टार्चर हो रहे हैं। पग-पग पर उन्हें अपमान का घूंट भी पीना पड़ रहा है। अमन ने यूक्रेन के शहर ल्विव से बताया कि दूसरे शहरों की तुलना में वहां हालात थोड़ा बेहतर है। अभी तक ल्विव में कोई रूसी हमला नहीं हुआ। वहां लोग परेशान जरूर हैं और किसी मिल्ट्री अटैक की आशंका में शहर भी छोड़ रहे हैं।
दो दिन पोलिश बार्डर पर पड़े रहने के बाद वहां की ठंड व मुश्किल का सामना कर उनकी हिम्मत जवाब दे गई। ऐसा लग रहा था कि यदि रात आई तो शायद माइनस 10 डिग्री टेंप्रेचर में वे लोग जम जाएंगे। अमन ने यूक्रेन के शहर ल्विव से बताया कि वापस लौट कर उन्हें खाने पीने का सामान खरीदने के लिए बाजार जाना पड़ा। बताया कि सुपर मार्केट में खाने पीने के सामान की किल्लत हो रही है। सप्लाई बंद हो गई है और मार्केट में आटा तथा दाल आदि की काफी शार्टेज है। उन्होंने बताया कि चार दिन के युद्ध के दौरान मार्केट में खाने पीने की वस्तुओं की किल्लत अब महसूस होना शुरू हो गई। अमन ने बताया कि खाने पीने का सामान जुटाना बड़ा मुश्किल हो गया है। बैंक और एटीएम बंद होने से आर्थिक हालात भी खराब होने लगे हैं।