Digvijay Singh
दुबई को “काला बाज़ार” का विश्व का सबसे बड़ा अड्डा कहा जाता है, जहाँ आप पुरी दुनिया में कहीं भी घोटाला, चोरी डकैती करके पैसे समेत शरण ले सकते हैं। आपका कोई बाल बाँका भी नहीं कर सकता। यूएई की रॉयल फैमिली यूएई में हर किसी ऐसे घोटालेबाज, डाॅन और लुटेरों की संरक्षक रही है, बस उसके पास धन होना चाहिए।
उसी यूएई में संघ का एक मोहरा ज़रा सी बात पर कंगाल होकर भारत में भागा-भागा फिर रहा है क्युँकि भाजपा और संघ के यूएई में सबसे बड़े फाइनेन्सर और संघ की योजनाओं को यूएई में मुर्तरूप देते उद्योगपति बी आर शेट्टी की दुबई में लॉकडाउन के बीच सारे बैंकों को खोल कर सिर्फ़ उनके सारे खाते को सीज़ कर दिया किया गया और उनकी संपत्तियों की जांच शुरू हुई।
मात्र 8 डालर लेकर यूएई पहुँचे कर्नाटक के उड्डपी के बी आर शेट्टी ने 1970 में मेडिकल रिप्रज़न्टेटिव से बिजनेस की शुरुआत की और अबु धाबी स्थित कंपनी “एनएमसी हेल्थ” की स्थापना की और मात्र कुछ वर्षों में वह यूएई में अस्पतालों की सबसे बड़ी श्रृंख्ला के मालिक बन गये। तीस देशों में फैला कारोबार, ₹1,14,51,68,80,000 की संपत्ति, दुबई के बुर्ज खलीफा में दो पूरा फ्लोर, पाम जुमैराह में आलीशान संपत्ती, सैंकड़ों प्रॉपर्टी, दर्जनों महंगी गाड़ियां, एक निजी विमान और विटेंज कारों का ज़खीरा, यूएई में खुद के नाम का एक मैट्रो स्टेशन, मिडिल ईस्ट के रॉयल परिवारों के साथ बेहतर ताल्लुकात।
यह सब अब उनके हाथ से जा चुका है और भारत में फैली “इस्लामफोबिया” की कीमत उनको ब्रिटेन में उनकी कंपनी को लेकर फर्जीवाड़े की एक मामुली सी खबर छपने के कारण चुकानी पड़ी है। और फिर 1970 के दशक से बनाया सपना तिनका-तिनका बिखर गया। और काले कारनामो वाला देश एक छोटे से आरोप पर बी आर शेट्टी को बर्बाद कर चुका है। इनके मित्रवत संबन्ध वाली यूएई रॉयल फैमिली ही इनकी सारी संपत्तियाँ ज़ब्त कर रही हैं और दरअसल बी आर शेट्टी उसी ज़हर का शिकार हो गये जो उन्होंने बोया था। और वित्तीय काले कारनामों का गढ़ एक मामुली से आरोप पर रेड्डी को बर्बाद कर चुका है।
दरअसल बीआर शेट्टी यूएई में भाजपा और संघ के सबसे बड़े गुर्गे थे, जो कोरोना को लेकर भारत में तबलीगी जमात और मुसलमानों पर हुए आक्रमण की कीमत वहाँ चुका गये। टीडीएन वर्ल्ड पत्रिका के अनुसार “मिडिल ईस्ट में अपना बिजनेस शुरू करने से पहले बीआर शेट्टी ने कर्नाटक में जनसंघ की तरफ से उडुपी से निकाय इलेक्शन लड़ा और तब अटल बिहारी वाजपेई और नरेंद्र मोदी ने उनके लिए प्रचार किया था।”
यही नहीं “साल 2016 में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने केरल में बीआर शेट्टी के साथ एक बंद कमरे में मीटिंग करके गल्फ देशों में आरएसएस का एजेंडा बढ़ाने पर विचार विमर्श किया था जिसमें उनकी एनएमसी ग्रुप के सीईओ भी शामिल थे। “कोस्टलडाइजेस्ट” पत्रिका की 2016 की खबर के अनुसार कि बीआर शेट्टी मिडिल ईस्ट में आरएसएस के एजेंडे को बढाने के लिए काम कर रहे थे और कई बड़े एनआरआई बिजनेसमेन आरएसएस को फंडिंग देते रहे हैं। वह संघ का एजेन्डा चलाने के लिए यूएई में वह तमाम काम कर रहे थे जो भारत में संघ के फलने फूलने का आधार था।
दरअसल , तबलीगी जमात और मरकज़ निज़ामुद्दी के सहारे भारत में जिस तरह की सांप्रदायिकता फैलाई गयी और देश के अल्पसंख्यकों पर आक्रमण किया गया उससे गल्फ़ देशों में बेहद गुस्सा है। और उसपर भाजपा सांसद तेजस्वी सूर्या का विवादित ट्विट सामने आने से यह आग में घी जैसा मामला हो गया है।
यही कारण है कि देश के अबतक के सबसे बड़े सांप्रदायिक प्रधानमंत्री लगातार अपने बयानों से मुसलमानों के हमदर्द दिखने की कोशिश कर रहे हैं। संघ प्रमुख भागवत अब राष्ट्र को संबोधित करके कोरोना का जिम्मेदार किसी एक धर्म वालों को ना ठहराने का हुक्म सुना रहे हैं तो दलाल मीडिया के पैनल डिस्कशन के विषय अब बदले बदले नज़र आने लगे हैं।
दरअसल , भारतीय बिजनेस कम्यूनिटी को यूएई, कुवैत जैसे देशों में इज्जत से देखा जाता है, लेकिन इस प्रकरण के बाद भारतीय समुदाय में अपनी छवि को लेकर डर है। बी आर शेट्टी के बाद वहाँ मौजूद एक एक शख्स के बैंक खाते खंगाले जाने लगे हैं कि उसने कब कितना भाजपा और संघ को चंदा दिया।
मिडिल ईस्ट में बिजनेस शुरू करने के लिए आपको उस देश के एक स्थानीय नागरिक को अपना पार्टनर बनाना होता है, जिनका स्वामित्व आम तौर पर एक प्रतिशत अधिक होता है। मिडिल ईस्ट में अधिकतर समुदाय इमेज कॉन्शियस होते हैं, किसी समुदाय की छवि उनकी बिजनेस डीलिंग पर खासा असर भी डालती है। मिडिल ईस्ट के अधिकतर लोग मान सम्मान के प्रति बेहद संवेदनशीन होते हैं और एक बार उनकी राय बिगड़ जाने पर दोबारा बना पाना लगभग असंभव होता है।
भारत में इस्लामफोबिया जिस तरह मिडिल ईस्ट के लोगों के दिमाग़ में सवार हो चुका है और ऐसे में भारतीय समुदाय, जिसे अब तक एक भरोसेमंद समुदाय के तौर पर मिडिल ईस्ट में देखा जाता रहा है वह वहाँ “मुस्लिम विरोधी” की नज़र से देखा जाने लगा है।
भारत से लगातार दुबई बिजनेस के लिए ट्रेवल करने वाले एक मित्र के अनुसार, “पिछले कुछ सालों से मिडिल ईस्ट से भारत को इनडायरेक्टली संदेश दिया जा रहा था कि मुस्लिम समुदाय के प्रति भारत में बढ़ती नफरत से वो परेशान हो रहे हैं। मैं लगातार दुबई ट्रेवल करता हूं, वहां के लोकल लोगों के साथ डील करता हूं, और यूएई के स्थानीय लोगों के बीच मुझे यह कभी फील नहीं हुआ कि मैं हिंदू हूँ और भारत से हूँ। लेकिन अब फील होगा, हर हिन्दू को संघ और भाजपा और “इस्लामफोबिया” समर्थक समझा जाएगा। जब बीआर शेट्टी पर कार्रवाई हो सकती है तो छोटे-मोटे व्यापारी का अब कोई ठिकाना नहीं।”
यह जो वहाँ भारतीय काटने वाले हैं वह इसी भारत में इसकी फसल बोई गयी है। वह फसल बोई है संघ, भाजपा और दलाल मीडिया के चैनलों ने दिन रात ज़हर फैलाकर। खैर इसका एक सकरात्मक पक्ष भी है, “संघ” अब बहुत देशों के रडार पर आ गया है।