नई दिल्ली/इस्तांबुलः तुर्की के साहिली शहर इस्तांबुल स्थित ऐतिहासिक हागिया सोफिया मस्जिद में 2 अप्रैल 2022 को 88 साल बाद तरावीह की नमाज़ अदा की गई। तुर्की की शीर्ष धार्मिक संस्था ने हागिया सोफिया मस्जिद में तरावही की नमाज़ को मंजूरी देने के बाद 88 साल इस ऐतिहासिक मस्जिद में तरावीह की नमाज़ अदा की गई।
रमज़ान के पवित्र महीने की शुरूआत के दौरान ही इस ऐतिहासिक मस्जिद के लिए जिम्मेदार सरकारी एजेंसी के प्रमुख अली अरब ने इस संबंध में एक बयान जारी करते हुए था कि बीते 88 साल में पहली बार हम रमजान में तरावीह की नमाज के लिए इस मस्जिद में नमाज़ियों का स्वागत करेंगे।
गौरतलब है कि तुर्की ने इस प्रसिद्ध ऐतिहासिक इमारत का संग्रहालय के रूप में इस्तेमाल किया जाता था, लेकिन 2020 में इसे मस्जिद में बदल दिया था। लेकिन पिछले दो वर्षों में महामारी चलते यहां तरावीह की नमाज अदा नहीं की जा सकी थी। अब चूंकि महामारी समाप्ती की ओर है तो और सभी प्रतिबंध हटाए जा रहे हैं इसलिए हागिया सोफिया मं तरावीह की नमाज़ की भी अनुमति दी गई है। इससे स्थानीय मुसलमानों में खुशी की लहर दौड़ गई है।
यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि सोफिया की इमारत पहली बार रोमन सम्राट जस्टिनियन प्रथम के शासनकाल के दौरान एक ईसाई चर्च के रूप में बनाई गई थी, लेकिन जब उस्मानी राजवंश के शासक सुल्तान मोहम्मद फतेह ने कॉन्स्टेंटिनोपल (इस्तांबुल) शहर पर विजय प्राप्त की, तो क्या सोफिया को एक मस्जिद में बदल दिया। उन्होंने इस इमारत को चर्च से खरीदने के बाद ही इसे मस्जिद में परिवर्तित किया था। आधुनिक तुर्की के संस्थापक मुस्तफा कमाल अतातुर्क ने उस्मानिय खिलाफत के पतन के बाद आया सोफिया को एक संग्रहालय में परिवर्तित कर दिया। लेकिन 2020 में तुर्की की अदालत ने इसे फिर से मस्जिद में बदलने का आदेश दिया, जिसके बाद इससे संग्रहालय का दर्जा छिन गया।