नई दिल्लीः उत्तर प्रदेश में पिछले तीन दिनों से चल रहे बुलडोज़र विध्वंस अभियान के खिलाफ जमीयत उलमा-ए-हिंद की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को सुनवाई करेगा. जानकारी के लिये बता दें कि रविवार को इलाहाबाद, सहारनपुर, और उससे पहले कानपुर प्रशासन ने मुसलमानों की संपत्ति पर बुलडोज़र चला दिया था। प्रशासन की इस कार्रावाई में कई घरों को बुलडोजर से उड़ा दिया है.
याचिका जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना सैय्यद अरशद मदनी के निर्देश पर दायर की गई है। जिसमें मौलाना गुलजार आजमी वादी बने हैं. जानकारी के लिये बता दें कि इस संबंध में, जमीयत उलमा-ए-हिंद ने सुप्रीम कोर्ट में दो अंतरिम याचिकाएं दायर कीं। शीर्ष अदालत ने 21 अप्रैल, 2022 को उत्तर प्रदेश राज्य सहित मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, गुजरात और दिल्ली को नोटिस जारी कर बुलडोजर विध्वंस अभियान पर उनकी जवाब मांगा था।
जमीअत उलमा-ए-हिंद की दायर की गई इस याचिका पर गुरुवार को न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की खंडपीठ सुनवाई करेगी, जिसमें जमीयत की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता नित्या रामकृष्णन पेश होंगे।
बता दें कि हाल ही में पैग़ंबर-ए-इस्लाम के अपमान के ख़िलाफ शुरू हुए विरोध प्रदर्शन में हिंसा हो गई थी। यह हिंसा 10 जून को देश के कई राज्यों के शहरों में हुई थी। उत्तर प्रदेश में इस हिंसा के आरोप में जेल भेजे गए लोगों के मकानों को प्रशासन द्वारा अवैध बताकर गिराया जा रहा है। उससे पहले कानपुर में तीन जून को हुई हिंसा के बाद भी प्रशासन ने ऐसा ही किया था। जमीअत उलमा-ए-हिंद दिल्ली के जहांगीरपुरी में सांप्रदियाक हिंसा के बाद एमसीडी द्वारा चलाए गए बुलडोज़र के ख़िलाफ भी सुप्रीम कोर्ट गई थी।