लखनऊ: उत्तर प्रदेश काँग्रेस कमेटी के मीडिया संयोजक ललन कुमार ने उत्तर प्रदेश की सड़कों को लेकर मुख्यमंत्री पर साधा निशाना। कहा जाता है कि उत्तर प्रदेश में सड़कों पर गड्ढ़े नहीं बल्कि गड्ढ़ों में सड़कें हैं। 2017 में हुए विधानसभा चुनावों में उत्तर प्रदेश की सड़कें एक अहम् मुद्दा थीं। प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी जी ने अपने लच्छेदार भाषणों से प्रदेश की जनता को बहकाया। भोली-भाली जनता ने भी उनकी बातों में आकर उन्हें खूब प्यार दिया। वोट में कोई कमी न रखी और प्रचण्ड बहुमत से जिताया।
हमेशा की तरह बात करने में माहिर भाजपा काम करने में पीछे रह गयी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कार्यकाल 4 साल पूरे कर चुका है। मगर सड़कों की मरम्मत का वादा आजतक अधूरा है। उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों से आए दिन सड़क हादसे में लोगों की मृत्यु की ख़बरें आना आम है। उम्मीद है कि इन ख़बरों से भरे पड़े अखबार मुख्यमंत्री कार्यालय तक ज़रूर पहुँचते होंगे। हो सकता है कि इन ख़बरों को अनदेखा कर दिया जाता होगा।
पूर्वांचल से लेकर पश्चिम उत्तर प्रदेश तक इन घटनाओं की संख्या अब बढती ही जा रही है। एक न्यूज़ चैनल की रिपोर्ट के अनुसार 18 अक्टूबर 2019 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने 15 नवम्बर 2019 तक इन गड्ढों को भरने की बात कही थी। आज लगभग डेढ़ साल बीत जाने के बाद भी इन गड्ढों की कोई मरम्मत नहीं हुई जिसके कारण जान-माल की हानि हो रही है।
राजधानी लखनऊ से लेकर योगी जी के गृह जनपद गोरखपुर तक प्रदेश की सड़कों का यही हाल है। हर साल बजट आने के बाद भी मरम्मत न होना सरकार पर सवाल खड़े करता है। भ्रष्टाचार पर जीरो टोलेरेंस की घंटी बजाने वाले योगी आदित्यनाथ इस मसले पर चुप हो जाते हैं। आजकल उनका काम प्रदेश भर के अखबारों को हैडलाइन देना हो गया है। अखबारों में आए दिन उनके दिए गए आदेशों को हैडलाइन के रूप में हू-ब-हू छापते देखा जा सकता है। उन आदेशों पर कभी काम नहीं होता है। दुर्भाग्य की बात है कि यह प्रचण्ड बहुमत की सरकार काम करने की वजाय मीडिया मैनेजमेंट में लगी हुई है। रोज़ आ रही घटनाओं की ख़बरों से उनके कान पर जूँ तक नहीं रेंग रही। गड्ढा मुक्त उत्तर प्रदेश बनाने वालों ने सड़क मुक्त उत्तर प्रदेश बना दिया है। प्रदेश अब राम भरोसे है।