अफ़रोज़ आलम साहिल
आज कल गुड़गांव न्यूज़ से ग़ायब है। सोशल मीडिया पर भी इसकी चर्चा नहीं है। क्या गुड़गांव में दर्जनों मस्जिदें एक साथ बन गए हैं कि लोगों को सड़क पर नमाज़ पढ़ने की ज़रूरत नहीं पड़ रही है। या फिर सड़क पर आपके नमाज़ पढ़ने का विरोध करने वाले लोग ख़ामोश पड़ गए हैं, इसलिए आपके भी ज़ेहन से गुड़गांव में मस्जिदों का विवाद ग़ायब हो गया है।
शायद यही सच है। हम हमेशा वही काम करते हैं, जो ‘बिग बॉस’ हमें करने को देते हैं। या फिर सोशल मीडिया पर उसी की चर्चा करते हैं, जो ट्रेंड में चल रहा होता है। आजकल ज्ञानवापी व दूसरी मस्जिदें चर्चा में हैं, तो हम उसकी चर्चा कर रहे हैं। कल को जब ये मुद्दे ग़ायब हो जाएंगे, हम भी ख़ामोश हो जाएंगे.
मुझे पता है कि मेरे ये लिखने से आप पर कोई असर नहीं होगा कि गुड़गांव में मुसलमानों के वक़्फ़ बोर्ड ने मस्जिदों, क़ब्रिस्तानों, दरगाहों और वक़्फ़ की कई जायदादों को ग़ैर-मुस्लिमों को लीज़ पर दे रखी है। मस्जिदों पर ग़ैर-क़ानूनी क़ब्ज़ा है। और ये सबकुछ वक़्फ़ बोर्ड की देख-रेख में हो रहा है।
आंकड़ें बताते हैं कि पूरे गुड़गांव ज़िले में कुल 89 मस्जिदें हैं, जबकि अकेले गुड़गांव शहर में वक़्फ़ बोर्ड के तहत 35 मस्जिदें रजिस्टर्ड हैं। इन 35 मस्जिदों की फ़हरिस्त वक़्फ़ बोर्ड और वक़्फ़ मैनेजमेंट ऑफ़ इंडिया दोनों की वेबसाइटों पर मौजूद है।
लेकिन वक़्फ़ मैनेजमेंट ऑफ़ इंडिया की वेबसाइट पर रिसर्च करने पर पता चलता है कि इनमें से 21 पर अवैध क़ब्ज़ा है और उसमें रहने वाले सभी गैर-मुस्लिम हैं, जबकि एक मस्जिद प्राइमरी स्कूल और एक मस्जिद गुरुद्वारा बन गया है। इनके मुताबिक़ ग्यारह मस्जिदें अस्तित्व में हैं, लेकिन उनमें से कई ख़राब हालत में हैं और कुछ मलबे में दब गई हैं। वक़्फ़ मैनेजमेंट ऑफ़ इंडिया के पास अन्य 3 मस्जिदों के बारे में कोई जानकारी नहीं है।
ग़ौरतलब रहे कि साल 2018 में हरियाणा वक़्फ़ बोर्ड ने ज़िला प्रशासन को 19 स्थानों की सूची दी थी, जहां मुसलमान अपनी ख़ुद की ज़मीन होने के बावजूद नमाज़ अदा नहीं कर पा रहे हैं। बोर्ड ने गुरुग्राम के ज़िला आयुक्त को एक पत्र लिखकर जानकारी दी थी कि वक़्फ़ बोर्ड के तहत नौ मस्जिदों पर ग्रामीणों का क़ब्ज़ा है और 10 स्थान हैं जो मस्जिद के लिए आवंटित किए गए थे, लेकिन उन पर हिंदुत्व की विचारधारा रखने वाले लोग नमाज़ पढ़ने नहीं देते।
सवाल यह है कि जब वक़्फ़ बोर्ड के कंट्रोल में गुड़गांव में 89 मस्जिदें हैं, तो उसने सिर्फ़ 19 मस्जिदों की ही पहचान क्यों की? क्या बाक़ी 70 मस्जिदों को बहाल कर दिया गया है? इस सवाल का बेहतर जवाब सिर्फ़ हरियाणा वक़्फ़ बोर्ड ही दे सकता है। वक़्फ़ बोर्ड को यह भी पूछना चाहिए कि जब 19 मस्जिदों की सूची उसने ज़िला प्रशासन को सौंपी तो क्या हुआ।
क्योंकि गुड़गांव में कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि वक़्फ़ बोर्ड द्वारा ज़िला आयुक्त को सौंपी गई 19 मस्जिदों की सूची वाली तमाम मस्जिदें अभी भी ग़ैर-क़ानूनी क़ब्ज़े में ही हैं, जहां भैंस और अन्य जानवर अभी भी बांधे जाते हैं।
अगर सभी वक़्फ़ जायदादों की बात करें तो वक़्फ़ बोर्ड के पास गुड़गांव ज़िले में कुल 766 वक़्फ़ संपत्तियां हैं, जिनमें 89 मस्जिद, 108 क़ब्रिस्तान, 112 घर, 209 प्लॉट्स, 50 कृषि भूमि, 9 दरगाह, 9 ईदगाह, 16 खानकाह, 128 दुकान, 11 तकिए और एक इमारत शामिल है… ज़्यादा जानकारी के लिए आपको ये रिपोर्ट पढ़नी चाहिए।
मुझे पूरी उम्मीद है कि आपने अब तक इस रिपोर्ट को नहीं पढ़ा होगा। हालांकि अब भी उम्मीद है कि आप नहीं पढ़ेंगे, क्योंकि ये मुद्दा ट्रेंड में जो नहीं है। लेकिन फिर भी लिंक शेयर कर रहा हूं, इस उम्मीद के साथ कि कोई तो होगा, जिसे वाक़ई मस्जिदों की फ़िक्र रहती होगी।