नई दिल्ली: जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी ने अल्पसंख्यकों पर अत्याचार के संबंध में आरएसएस नेता राम माधव के बयान को सच्चाई से आंखें फेरने जैसा बताया है। राम माधव ने इंडोनेशिया के आर-20 कार्यक्रम में धार्मिक नेताओं को संबोधित करते हुए यह कहा है कि ‘‘भारत में धार्मिक अल्पसंख्यकों को प्रताड़ित किए जाने का दावा झूठा है’’। उन्होंने आगे कहा कि भारत ने अपनी धरती पर हमेशा उत्पीड़ित लोगों का स्वागत किया है।
मौलाना मदनी ने अपने बयान में कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि गौरवशाली रही है। विशेष रूप से अनेकता में एकता और उत्पीड़ितों के समर्थन का हमारा एक गौरवशाली इतिहास और महान परंपरा रही है। लेकिन यह हमारा दुर्भाग्य है कि पिछले कुछ वर्षों में इसे हानि पहुंचाने वाली शक्तियों का प्रभाव बढ़ा है। ये शक्तियां कुछ सत्ताधारी तत्वों के माध्यम से अल्पसंख्यकों, विशेषकर मुसलमानों को निशाना बना रही हैं, जिसके अकाट्य प्रमाण हैं।
इस संबंध में टाइम मैगजीन की रिपोर्ट (2021), एनडीटीवी रिसर्च रिपोर्ट (2018), पैनल ऑफ इंडिपेंडेंट इंटरनेशनल एक्सपर्ट (जून 2022), एमनेस्टी इंटरनेशनल रिपोर्ट (2022) और अन्य राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय रिपोर्टें इसका खुला प्रमाण हैं। मौलाना मदनी ने कहा कि यह संभव है कि कुछ रिपोर्ट भ्रामक हों और अतिश्योक्ति पर आधारित हों लेकिन कुल मिलाकर यह तथ्य स्पष्ट है कि अल्पसंख्यकों पर शारीरिक और मौखिक हमले हुए हैं। उनके खिलाफ घृणा पर आधारित बयानों का सिलसिला बढ़ा है और इस संबंध में कानून का पालन कराने वाली संस्थाएं अपनी कार्रवाई करने में नाकाम हैं। स्वयं देश के सबसे बड़े न्यायालय सुप्रीम कोर्ट ने हेट स्पीच पर गहरी चिंता व्यक्त की है।
मौलाना मदनी ने कहा कि हमें तथ्यों को छिपाने की जरूरत नहीं है। अत्याचारों के बारे में तथ्यों को नकारना इस मातृभूमि के प्रति वफादारी नहीं है, बल्कि अत्याचार करने वालों को अत्याचार से रोकना और उत्पीड़ित लोगों की मदद करना ही देश की वास्तविक सेवा है। हमारे पास एक मजबूत लोकतंत्र और न्यायिक तंत्र है। हमें सच्चाई का सामना करते हुए कार्रवाई करना चाहिए ताकि राष्ट्र विरोधी तत्वों को हमारे बारे में गलतफहमियां फैलाने का मौका न मिले और हमारी महानता और प्रसिद्धि पर दाग लगाने वाले असफल हो जाएं।