नई दिल्लीः दिल्ली स्थित जमीअत उलमा-ए-हिंद के मुख्यालय में तीन दिन तक चली जमीअत उलमा-ए-हिन्द की कार्यसमिति की अहम बैठक में सर्वसम्मति से सभी सदस्यों ने दोनों जमीअतों (अरशद मदनी गुट और महमूद मदनी गुट) के विलय की प्रक्रिया को अंतिम रूप देने का पूरा इख़्तियार मौलाना अरशद मदनी को दे दया है। दोनों संगठन के विलय के सिलसिले में चली लंबी बहस के दौरान कार्यसमिति के सभी 22 सदस्यों ने पूरी आज़ादी के साथ अपनी बात रखी।
प्राप्त जानकारी के अनुसारर क़रीब एक घंटे तक विचार-विमर्श के बाद सभी सदस्यों ने दोनों जमीअतों को एक करने पर रज़ामंदी जताई। इस मौक़े पर मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि मुझे उम्मीद है कि अगर अल्लाह ने चाहा तो विलय की प्रक्रिया ख़ैर व बरकत के साथ सामने आएगी और मुल्क व इंसानियत की ख़िदमत के लिए जमीअत उलमा के कार्यकर्ता पहले से ज़्यादा “एकता एवं एकजुटता” के साथ काम करेंगे।
विलय की प्रक्रिया को अंतिम रूप देने के लिए जुलाई माह में जमीअत की एक और बैठक बुलाई गई है। ग़ौरतलब है कि साल 2006 में जमीअत के तत्कालीन अध्यक्ष मौलाना असद मदनी साहब के निधन के बाद जमीअत की क़यादत को लेकर 2 साल तक चली लंबी खींचतान के बाद फ़रवरी 2008 में जमीअत दो हिस्सों (अरशद मदनी गुट और महमूद मदनी गुट) में तक़सीम गई थी।
बैठक में अध्यक्ष जमीअत उलमा-ए-हिन्द, महासचिव मुफ़्ती सैयद मासूम साक़िब और सदस्यों में मौलाना अब्दुलअलीम फ़ारूक़ी लखनऊ, गुलज़ार अहमद आज़मी सचिव क़ानूनी इमदाद कमेटी जमीअत उलमा महाराष्ट्र, मुफ़्ती ग़ियासुद्दीन अहमद, मौलाना अशहद रशीदी, मौलाना मुश्ताक़ अहमद इनफ़र, मौलाना अब्दुलहादी प्रतापगढ़ी, मौलाना सैयद असजद मदनी देवबंद, फ़ज़लुर्रहमान क़ासमी, मौलाना अब्दुर्रशीद क़ासमी, मौलाना मुफ़्ती मुहम्मद इस्माईल क़ासमी, मौलाना क़ारी शमसुद्दीन, हाजी सलामतुल्लाह दिल्ली, मुफ़्ती अशफ़ाक़ अहमद, मौलाना बदर अहमद मुजीबी, मुफ़्ती अब्दुल क़य्यूम मंसूरी, फुज़ैल अहमद अय्यूबी ऐडवोकेट सुप्रीमकोर्ट के अतिरिक्त मौलाना हलीमुल्लाह क़ासमी, मौलाना अब्दुल क़य्यूम क़ासमी, मुफ़्ती मुहम्मद अहमद, मुफ़्ती मुहम्मद राशिद, मौलाना मुहम्मद मुस्लिम क़ासमी, शाहिद नदीम ऐडवोकेट, मुफ़्ती हबीबुल्लाह क़ासमी राजस्थान, मौलाना मुहम्मद ख़ालिद क़ासमी और मौलाना मुकर्रम हुसैनी बेगूसराय विशेष अतिथि के रूप में शरीक हुए। बैठक की कार्रवाई अध्यक्ष जमीअत उलमा-ए-हिन्द की दुआ पर संपन्न हुई।