दिल्ली का वह शाहरुख जो मुंबई जाकर बन गया किंग ख़ान, जानें संघर्ष से शिखर तक पहुंचने की दास्तां

इज़हार आरिफ़ सैय्यद

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शाहरुख़ मेरा फेवरिट फिल्म स्टार नहीं है फिर भी उसकी एक्टिंग और सच्चाई का मैं हमेशा ही क़ायल  रहा हूँ। शाहरुख़ खान का बॉलीवुड में  विधिवत प्रवेश 1992 की मूवीज दीवाना, चमत्कार ,राजू बन गया जेंटलमैन आदि से माना जाता है मगर अज़ीज़ मिर्ज़ा और कुंदन शाह निर्देशित सीरियल 1989 से ही लोग इसके प्रशंसक हो गए थे इसीलिए यह सीरियल 1990 तक चला और इसे  10  में से 8 की रेटिंग 90 प्रतिशत से अधिक की पब्लिक लाइकिंग के  साथ मिली जो बेहद आश्चर्यजनक है।  आश्चर्यजनक ये भी  था ये के फिल्मो में प्रवेश के अगले साल ही उन्होंने किंग अंकल , बाज़ीगर और डर जैसी धमाकेदार फिल्में दीं ! ये वो समय था जब सनी देओल टॉप पर थे इसलिए उनके सामने यश चोपड़ा की फिल्म में उन्हें केवल साइड रोल या नेगेटिव शेड ही दिया जा सकता था और यश चोपड़ा ने उन्हें फिल्म में नेगेटिव रोल में ले लिया।  इस फिल्म ने रिकॉर्ड तोड़ प्रदर्शन किया और नेगेटिव शेड हीरोपंती पर भारी पड़ा जिसने शाहरुख़ खान को पहली सीढ़ी से चरम पर पंहुचा दिया।

हाँ ये ज़रूर था के  विलेन द्वारा फिल्म को हीरो से छीन लेने का असर सनी देओल के करिअर के लिए बहुत घातक सिद्ध हुआ जिसे उनकी मशहूर फिल्म “घातक” भी नहीं बचा पाई और वो “मोहल्ला अस्सी” जैसी फिल्मो तक आ गए वही शाहरुख़, यशराज बैनर के सम्मानित सदस्य बन गए और “मोहब्बतें”,  “दिल तो पागल है”, ” दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे “, “वीरा ज़ारा”, “चक दे इंडिया  ” जैसी फिल्मो से यशराज का खज़ाना भरते रहे और यश चोपड़ा के स्वर्गवास के बाद भी आजतक उनके बैनर को ( फिल्म : पठान ) को सुशोभित कर रहे है जिसके दूसरे सितारे दीपिका और जॉन अब्राहम है।

अब जब आर्यन खान वाले मामले में “कुत्ते और हड्डी ” की कहावत चरितार्थ हो चुकी है मैंने एक बात नोटिस की के क्यूंकि शाहरुख़ और ममता बनर्जी ” कोलकाता नाईटराइडर्स” से क़रीब इतने क़रीब आ गए के ममता अपनी बहुत पुरानी आल्टो से हवाई चप्पलें पहनकर

उन्हें सी-ऑफ करने  खुद ड्राइव करके आती है इसलिए वो ट्रोल गैंग का शिकार हुए और ट्रोल गैंग उन्हें ” हकला ” कहकर सम्बोधित कर रही थी।  अबे बिना सींग वाले गधो, ये कहकर तुम उसका अपमान नहीं सम्मान कर रहे हो।  अगर कलाकार किसी किरदार में इतना उतर जाये के लोग उसे उसी नाम से जानने लगें तो ये उसका बहुत बड़ा सम्मान है जो के संजीव कुमार और जया बच्चन को फिल्म “कोशिश” 1972 में काम करके भी नहीं मिल सका था जिसमे उन्होंने गूंगे की भूमिका की थी।

शाहरुख़ खान को सरकारी तौर पर केवल पद्मश्री सम्मान प्राप्त है जो उन्हें APJ Abdul Kalam हाथों दिलवाया गया था  जबकि उन्हें संस्थानो द्वारा दिए गए अवार्ड्स इतने है के जिन्हें लिखते हुए समग्र तैयार हो सकता है हालाँकि सलमान और आमिर के मुक़ाबले अभी उनका कॅरिअर कही भी  ढलान पर नहीं दिखता लेकिन उन्हें बिना दूसरी पारी ही ” लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड” के साथ ” इंटरनेशनल फिल्म आइकन ” ” जैसे न जाने कितने अवार्ड्स के साथ “प्रोडूसर्स ग्रिल्ड अवार्ड ” यानि लगभग 300 अवार्ड्स प्राप्त हो चुके है और सबसे महत्वपूर्ण के फ्रांस सरकार का सर्वौच्च अवार्ड भी प्राप्त हो चुका है।

शाहरुख़ ने हमेशा ही विवादों से दूर रहने की कोशिश है जबकि उनकी शोहरत के कारण हमेशा ही उन्हें विवादों में घसीटा गया है जिसमे जया बच्चन द्वारा उनके खिलाफ  किये गए कमैंट्स प्रमुख है जिससे साफ के उनका गुस्सा ” बॉलीवुड का महानायक” की पदवी से सम्बंधित है या अभिषेक के साथ की गयी फिल्मो में अभिषेक को नोटिस न किये जाने के सम्बन्ध में।  सलमान भी उनसे लम्बे समय तक नाराज़ रहे है जब सलमान ने फिल्म “चलते चलते” के सेट पर ऐश्वर्या को लेकर हंगामा किया जिसकी वजह से शाहरुख़ से ऐश्वर्या को फिल्म  से बाहर कर रानी मुखर्जी को ले लिया और फिल्म सुपर  हिट हुई  यहाँ तक के मिस्टर परफेक्शनिस्ट ने भी उनके खिलाफ इतना भद्दा कमेंट किया था के  मैं अम्मी की गोद में सिर रखकर लेटा हुआ हूँ और शाहरुख़ मेरे पांव चाट रहा है, माफ़ कीजियेगा; गलत न समझें, शाहरुख़ मेरे कुत्ते का नाम है। तो जनाब भोंकने की आवाज़ों के बावजूद “हाथी  अपनी मस्त चाल चलता रहा क्योंकि…

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, ये उनके निजी विचार हैं)