आज़मगढ़: लखनऊ में पुलिस मुठभेड़ में मारे गए आज़मगढ़ के कामरान के परिजनों से रिहाई मंच ने मुलाकात कर कहा कि मुठभेड़ नहीं ये राजनीतिक हत्या है. रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव के साथ अजय तोरिया, हीरालाल, लालजीत यादव प्रतिनिधिमंडल में शामिल थे.
आज़मगढ़ के मंगरवां रायपुर गांव में कामरान के परिजनों से मिलने के बाद रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव ने कहा कि जिस तरह से इस मामले को मुख्तार अंसारी से जोड़ा जा रहा है वो साफ करता है कि योगी की ठोक दो नीति के तहत ये एनकाउंटर किए जा रहे हैं. आगामी चुनावों के चलते पुलिसिया मुठभेड़ों को अंजाम दिया जा रहा है. कामरान के पिता मोहम्मद नसीम ने बताया कि कल रात 9 बजे उनको मालूम चला कि उनके बेटे को लखनऊ में पुलिस ने मार दिया है.
फिल्टर पानी सप्लाई का कारोबार करने वाले कामरान के बारे में वे बताते हैं कि ढाई-तीन बजे के करीब खेत में उसके होने की सूचना थी, उसके बाद उसके एनकाउंटर की ही खबर आई. गांव वालों के अनुसार कल शाम के वक्त पास की बाजार विसहम में जहां बॉलीवाल खेला जाता है उसके पास की किसी चाय की दुकान पर उसे देखे जाने की भी बात आई. ऐसे में लखनऊ में छुपकर रहने की बात खारिज होने के साथ एक सवाल उभरता है कि इतने कम समय में आज़मगढ़ से लखनऊ कैसे पहुंच गया. क्या किसी पूर्वनिर्धारित योजना के अनुसार ये हुआ.
खेत से गायब हुआ था कामरान
वहीं कामरान की बहन सबीना का भी कहना है कि सुबह पानी का काम करके वो चाय पीकर खेत चला गया था, वहीं से उसको गायब कर दिए. उसके उसका कोई फोन नहीं आया. कामरान की मां नजमुन निशा बार-बार सुबह उसके चाय पीने की ही बात को दोहराती हैं.
कामरान के साथ मुठभेड़ में मारे गए अली शेर के बारे में कामरान के भाई इमरान आरोप लगाते हैं कि उनके भाई पप्पू को अली शेर ने गोली मारी थी ऐसे में वो कैसे उसका साथी हो सकता है. वो बताते हैं कि इस मुठभेड़ को पुलिस के साथ मिलकर उनके विरोधियों ने करवाया है. इसके पहले उन लोगों ने गांजा के एक फर्जी मामले में उसे फसाया था. बीते पंचायती चुनाव और पिछले दिनों भी गांव में आपस में विवाद हुआ था. इन्हीं विवादों को वे कामरान के एनकाउंटर का कारण मानते हैं.
परिजनों से मिलने के बाद रिहाई मंच ने प्रथम दृष्टया पाया कि गांव के आपसी विवाद को परिजन मुठभेड़ का कारण मानते हैं. इसके पहले भी झांसी में पुलिस द्वारा मुठभेड़ अंजाम दिए जाने के नाम पर धन उगाही का आरोप सामने आ चुका है. ऐसे में अगर पुलिस से किसी व्यक्ति को उठवाकर इस मुठभेड़ को अंजाम दिया गया है तो ये मानवाधिकार का गंभीर मामला बन जाता है. हम मांग करते हैं कि इस मामले की उच्चस्तरीय जांच करवाई जाए.