बढ़ती जा रहीं ‘ज़हरजीवी’ बाबा की मुश्किलें, अब चलेगा सुप्रीम कोर्ट की मानहानि का क्रिमिनल केस

भारत के अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट के बारे में आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल करने पर विवादास्पद धर्म गुरु यति नरसिंहानंद के ख़िलाफ़ शुक्रवार को अदालत की मानहानि का आपराधिक मामला चलाने की इजाजत दे दी है। एक्टिविस्ट शचि नेल्ली के आवेदन पर केके वेणुगोपाल ने ये मंज़ूरी दी है।

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अटॉर्नी जनरल ने माना कि नरसिंहानंद का ये बयान कि “जो लोग सिस्टम, इन राजनेताओं, सुप्रीम कोर्ट और फौज में यकीन रखते हैं, सब के सब कुत्ते की मौत मरेंगे”, आम जनता के मन में सुप्रीम कोर्ट के प्राधिकार को कमतर दिखाने की सीधी कोशिश है।


कंटेम्प ऑफ़ कोर्ट्स ऐक्ट के सेक्शन 15 के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट की आपराधिक अवमानना के लिए किसी व्यक्ति द्वारा निजी हैसियत से दायर की गई याचिका पर सुनवाई के लिए अटॉर्नी जनरल की मंज़ूरी ज़रूरी है। एक्टिविस्ट शचि नेल्ली ने इसके लिए महाधिवक्ता से मंज़ूरी मांगी थी।

अदालत खारिज कर चुकी है ज़मानत

बता दें कि यति नरसिंहानंद अपने गुर्गे जितेंद्र नारायण त्यागी के साथ जेल में बंद हैं। यति पर महिलाओं पर विवादित टिप्पणी समेत कई मामले दर्ज हैं। बीते रोज़ धर्म संसद विवादित बयान मामले में जेल गए जितेंद्र नारायण त्यागी उर्फ वसीम रिजवी की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। वसीम रिजवी को अभी जेल में ही रहना होगा। दरअसल, जिला न्यायालय हरिद्वार की अदालत ने वसीम रिजवी की जमानत याचिका खारिज कर दी थी।


अब उसके वकील सत्र हाईकोर्ट में अपील करेंगे। बता दें कि हरिद्वार धर्म संसद में भड़काऊ भाषण देने और पैगंबर मोहम्मद साहब पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने के मामले में जितेंद्र नारायण त्यागी उर्फ वसीम रिजवी के खिलाफ हरिद्वार शहर कोतवाली में कुल 3 मुकदमे दर्ज हैं। एक मुकदमे में पुलिस आरोपी को 41 सीआरपीसी के तहत नोटिस भी जारी कर चुकी थी, लेकिन अपराध दोहराने पर एक दूसरे मुकदमे में बीते 13 जनवरी को नारसन बॉर्डर से वसीम रिजवी को गिरफ्तार कर लिया गया था। वहीं अदालत द्वारा यति नरसिंहानंद की ज़मानत याचिका भी अदालत ने ठुकरा दी है।