नई दिल्लीः पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय सचिव मोहम्मद साक़िब ने संगठन के खिलाफ पारित किए गए एक प्रस्ताव को बकवास क़रार दिया है। यह प्रस्ताव खुद को सूफी समूह बताने वाले आरएसएस समर्थक समूहों की ओर से नई दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में पारित किया गया, जिसमें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने भाग लिया। मोहम्मद साक़िब ने कहा कि इस तथाकथित अंतरधार्मिक कार्यक्रम के दौरान भारतीय मुस्लिम समुदाय को बदनाम करने के अलावा धर्मगुरूओं के बीच शायद ही कोई ईमानदारी भरी चर्चा हुई है। बताया जा रहा है कि बैठक में पॉपुलर फ्रंट को प्रतिबंधित करने की मांग की गई है।
पीएफआई ने कहा कि यह खुद को सूफी बताने वाले फर्ज़ी दावेदार और बेहैसियत लोग हैं जो थोड़े राजनीतिक लाभों पर जान छिड़कते हैं। हर कोई जानता है कि इनके साए को भी इनकी रायों की कोई परवाह नहीं होती, भारतीय मुस्लिम समुदाय तो बहुत दूर की बात है।
पॉपुलर फ्रंट ने कहा कि ऐसा लगता है कि यह पूरा कार्यक्रम फासीवादी ताक़तों के द्वारा उन्ही की सरपरस्ती में आयोजित किया गया था ताकि मुस्लिम समुदाय और संगठन की छवि खराब की जाए और जनता को गुमराह किया जा सके। मुसलमान अच्छी तरह समझते हैं कि इस तरह के कार्यक्रमों के पीछे क्या राजनीति चल रही है।
पीएफआई ने कहा कि अगर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मुसलमानों की समस्याओं को लेकर वास्तव में चिंतित हैं, तो उन्हें सच्चे मुस्लिम लीडरों और संगठनों की आवाज़ पर ध्यान देना चाहिए जो कि पहले से ही जनता के बीच काम कर रहे हैं। मोहम्मद साक़िब ने बीजेपी सरकार को भी यह याद दिलाया कि मौजूदा परिस्थिति में उसकी संवैधानिक व कानूनी ज़िम्मेदारी यह है कि वह धार्मिक अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने वाले हिंदुत्व आंतकवाद को कुचले और अल्पसंख्यक संगठनों और लीडरों को निशाना बनाने के लिए सरकारी मिशनरी का दुरूपयोग बंद करे।