अफ्फ़ान नोमानी
आप आरएसएस द्वारा प्रकाशित जितनी किताबें देखेंगे वहाँ देश को संबोधित करते हुवे हिन्दुस्थान ( मतलब हिन्दू का स्थान ) शब्द का उल्लेख है. लेकिन मातृ भूमि के जयकार “भारत माता की जय” के रूप में करते हैं ना की हिन्दुस्थान माता की जय या हिंदुस्तान माता की जय.
आरएसएस के लोग भरत के नाम पर बना भारत की कहानी काफी जोरशोर से पेश करते है. भरत काफी बहादुर था, शेर से नहीं डरता था. शेर के साथ रहने-खेलने में दिलचस्पी लेता था. लोग भरत की मां को कहा करते थे आपने बहादुर शेर को जन्म दिया हैं. आरएसएस वाले “भारत माता की जय” की नारा लगाकर अपने मां समान मातृ भूमि का बहादुर बेटा कहला कर गर्व महसूस करता हैं- ये दलील आरएसएस का हैं. हालांकि आजादी की लड़ाई में आरएसएस के एक भी संघ सेवक शहीद नहीं हुवे हैं- दस्तावेज में शहीद होने वाले वीर में एक भी संघ सेवक का नाम दर्ज नहीं हैं जबकि हजारों उलेमा का नाम मिल जायेगा.
खैर जहाँ देश को संबोधित करने का जो मसअला हैं तो आम हिंदी भाषी भारत और हिंदुस्तान शब्द का इस्तेमाल करते है जबकि उर्दू भाषी हिंदुस्तां और हिंद शब्द का इस्तेमाल करते है. उर्दू के मशहूर विद्वान अल्लामा इक़बाल देश को संबोधित करते हुवे हिंदुस्तां शब्द का ही इस्तेमाल किया हैं ना की भारत. संविधान की दृष्टिकोण से बात करें तो संविधान निर्माता ने India that is भारत शब्द का अनुवाद किया. भरत के नाम पर भारत जबकि हिंदुस्तां शब्द फ़ारसीयों की देन हैं . वास्तव में फारसी लोग सिन्धु नदी के आसपास अथवा सिन्धु नदी के पूरव- दक्षिण में बसें लोगो को हिन्दू कहते है. क्युकी फारसी लोग ‘स’ शब्द का उच्चारण ‘ह’ से करते है. भारतवासियों का कोई अपना राष्ट्रीय सम्बोधन नहीं था जिससे उनकी धार्मिक पहचान बन सकें. हिन्दू शब्द को कालांतर में अपना लिया गया.
वैसे शाब्दिक अर्थ में फ़ारसी भाषा में हिन्दू का अर्थ कालाचोर, ठग या डाकू हैं. संस्कृत भाषा में जो नाम शुभ सूचक हैं जिनसे शुभ होने का संकेत मिलता हैं वे नाम फारसी भाषा में अशुभ या हेय का द्योतक होते हैं. संस्कृत भाषा में देव संस्कृत भाषा में देव या देवता का अर्थ फारसी भाषा में दानव या दैत्य है. लेकिन इतिहास में ऐसा कहीं उल्लेख नहीं मिलता हैं कि कालाचोर, ठग या डाकू जैसे अपमानकारी लोग मानकर ही यहाँ के निवासियों को फारसियों ने हिंदू कहा हो. क्युकी प्राचीन से फारसी और हिंद के लोगों के बीच मधुर रिश्ते का उल्लेख इतिहास में मिलता हैं. उर्दू विद्वान भी हिन्दुस्तां को मातृ भूमि मानते हैं लेकिन पूज्य के रूप में नहीं. जिसके लिए वो हिंदुस्तान जिन्दाबाद और माँ तुझे सलाम के नारे को ज्यादा महत्त्व देते हैं इसलिए भारत माता की जय और वंदे मातरम से परहेज करते हैं क्युकी भारत की वंदना सीधे तौर पे एकेश्वरवाद के सिद्धांत की कसौटी के खिलाफ और बिलकुल विपरीत हैं. ऐसे में हिन्दुस्तां के लोग खुद को दत्तक पुत्र के रूप में अंगीकार करते हैं. हिन्दुस्थान की जगह हिन्दुस्तां शब्द के उच्चारण सकारात्मक अर्थ में लिया जाता हैं जिसकी व्याख्या अल्लामा इक़बाल से लेकर अन्य कई उर्दू विद्वान ने की हैं. हिन्दुस्थान की जगह भारत और हिन्दुस्तां या कोई हिन्दुस्तान लिखता बोलता हैं तो कोई दिक्कत नहीं हैं.
उर्दू के मामले में डॉ. अंबेडकर ज्यादा जानकारी नहीं रखते हैं. जब आप डॉ. अंबेडकर के सभी साहित्य को पढेंगे तो मालूम होगा की वो कई जगह इस्लाम मुसलमान व उर्दू को लेकर कन्फ्यूज हो गए है. उर्दू के प्रखर विद्वानों द्वारा हिन्दुस्तां व हिंद के नाम से देश को सम्बोधित करना बिलकुल सही है. जहाँ तक बात देश को सम्बोधन को लेकर है तो आप भारत, हिन्दुस्तान, हिन्दुस्तां व हिंद के नाम से करने में कोई हर्ज़ नहीं हैं.
(लेखक अफ्फान नोमानी उस्मानिया यूनिवर्सिटी से दर्शनशास्त्र में एम. फील. हैं)