इटली वाली नानी का नवासा सड़क पर मज़दूरों के साथ बैठा है, और यहां की संस्कृति के ‘व्यापारी’ नदारद हैं!

नई दिल्लीः लॉकडाउन में फंसे मजदूरों के बीच पहुंचकर राहुल गांधी ने सोशल मीडिया पर बहस का रुख मोड़ दिया है। सोशल मीडिया पर राहुल की तस्वीरें वायरल हो रहीं हैं, लोग सवाल कर रहे हैं कि सरकार के लोग कहां हैं। स्वतंत्र टिप्पणीकार और लेखकर अब्बास पठान ने राहुल गांधी की तस्वीर फेसबुक पर पोस्ट करते हुए लिखा कि राहुल, तुम्हे राजनीति नहीं आती! अलबत्ता और बहुत कुछ आता होगा! भारतीय राजनीति क्या है तुम ठीक से सीख नहीं पाए हो। इसमें सारा दोष तुम्हारी माँ का है, उन्हें इतनी अच्छी परवरिश नहीं देनी चाहिए थी तुम्हें! तुम कोई मदर टैरेसा महात्मा गांधी के नाम से चल रही संस्था में मानव सेवा के कार्य करो, वो ठीक रहेगा तुम्हारे लिए।

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अब्बास ने आगे लिखा कि यहां के लोग जिस तरह की राजनीति चाहते हैं, वो तुम शायद ही कभी कर पाओगे! महिलाओं के प्रति भद्दी टिप्पणियाँ तुम नहीं कर पाओगे, दंगे फसाद करवाने वाले भाषण तुम नहीं दे पाओगे, लोगों की अक्लो को अपने खूंटे पर नहीं बांध पाओगे! जानते हो राजनीति क्या होती है? चश्मा भेंट करके आंखों पर नियंत्रण करने का नाम राजनीति है, निवाला खिलाकर पेट पर कब्जा करने का नाम राजनीति है, केला देकर मेला लगाने का नाम राजनीति है।

स्वतंत्र टिप्पणीकार ने लिखा कि  तुम अगर ठीकठाक राजनीति जानते तो प्रवासियों की समस्याओं को बहुत सस्ते में क्रेडिट कर सकते थे। उन्होंने तो दूसरे के जिस्म पर ढकी हुई पोशाकों को भी क्रेडिट कर लिया! क्योंकि वे मंझे हुए भारतीय राजनीतिज्ञ हैं। तुम नहीं कर पाए..! काश तुम थोड़े अपराधी प्रवृत्ति के होते! थोड़े तो संवेदनहीन होते! थोड़े तो बद-किरदार होते.

वहीं पत्रकार शुएब रज़ा ने टिप्पणी करते हुए लिखा कि राहुल गांधी सड़क पर मज़दूरों से मिलने पहुँचे। राहुल गांधी नेता है। उनके विपक्षी उन पर सवाल उठाते रहे है, लेकिन यहां बेहतर होता कि सरकार से जुड़े लोग इन तस्वीरों में होते। मज़दूरों का दर्द महसूस करते हुए कुछ लोगों को दिलासा देते।

उन्होंने लिखा कि कोरोना ने हमारे देश के गरीब तबके को जिन हालात से रूबरू कराया है, उसकी उम्मीद कभी किसी ने नहीं की थी, केंद्र हो या राज्य सरकार, सब सिर्फ घोषणाओं से काम चला रही है। कोई ठोस नीति या खाका जिससे फौरी तौर पर गरीबो को राहत मिले किसी के पास नहीं है।