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फ़लस्तीन का मसअला यहूदी और मुसलमान का नहीं बल्कि इंसाफ और इंसानियत का मसअला है: मदनी

नई दिल्लीः  जमीयत उलमा-ए-हिंद के जनरल सेक्रेट्री और पूर्व सांसद मौलाना महमूद मदनी ने इज़राइल फ़लस्तीन संघर्ष को इंसाफ का मसअला बताया है। उन्होंने कहा कि यह मसअला मसुलमान और यहूदियों का नहीं है बल्कि यह मसअला इंसानियत और इंसाफ का है। मौलाना महमूद मदनी ने ये बातें एक निजी चैनल से कही हैं। उन्होंने कहा कि हम सबको आगे बढ़ना चाहिए और कोशिश करनी चाहिए कि वहां अमन क़ायम हो, और अमन के लिये हमें इज़राइल को रोकना होगा, उसके ज़ुल्म और बर्बरियत को रोकना होगा।

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जमीयत उलमा-ए-हिंद के जनरल सेक्रेट्री ने कहा कि दुनिया में इंसाफ चलेगा या ज़बरदस्ती चलेगा, या फिर डंडा चलेगा, अगर डंडा चलेगा तो डंडा तो हाथ बदलता रहता है, फिर अमन कैसे होगा। आज ऐसे हालात हैं कि न वो सुकून से रह पा रहे हैं, और न ये सुकून से रह पा रहे हैं। फ़लस्तीनियों का जहां तक सवाल है उनपर ज़ुल्म किया गया, उन्हें उनकी ज़मीनों से बेदख़ल किया गया उनकी इज़्जत आबरू उनके बच्चे उनकी ज़िंदगियां महफूज़ नहीं हैं।

Moroccans march during a demonstration against the US Middle East peace plan in the capital Rabat on 9 February 2020. [FADEL SENNA/AFP via Getty Images]
मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि मैं न सिर्फ भारतीय मीडिया बल्कि अंतरराष्ट्रीय मीडिया से भी यह कहना चाहता हूं कि कि वह दबाव में आए बिना इस मसले को न्याय और मानवता की बुनियाद पर, सच्चाई की बुनियाद पर इस मसअले को भारतीयों के सामने भी और दुनिया वालों के सामने भी सही अंदाज़ में पेश करे। उन्होंने कहा कि हम सब लोगों को आगे आकर कोशिश करनी चाहिए कि वहां शांति स्थापित हो, शांति के लिये इज़राइल को रोकना होगा, उसकी बर्बरियत को रोकना होगा।

पूर्व सांसद मौलाना महमूद मदनी ने अमेरिका को भी सलाह दी है कि वह अपनी नीतियों में बदलाव करे। जानकारी के लिये बता दें कि दस मई को शुरु हुए हिंसक संघर्ष में अब तक दो सो से अधिक फ़लस्तीनियों की जान जा चुकी है और डेढ़ हज़ार से ज्यादा फ़लस्तीनी घायल हैं। इज़राइल की इस बर्बरियत के ख़िलाफ दुनिया भर में प्रदर्शन हो रहे हैं। भारत ने भी संयुक्त राष्ट्र में इस हिंसा की निंदा की है और फ़लस्तीन की जायज मांग का समर्थन किया है।