सरकार को शर्मिंदा होना चाहिए कि उनकी गलती के कारण छात्रों को इतनी तकलीफे झेलना पड़ी…

एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें युक्रेन से आपरेशन गंगा के तहत लाए गए बच्चे एयरपोर्ट लाउंज से बाहर निकल रहे हैं, एक वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री हाथ जोड़े हुए खड़े है उनकी इस नमस्ते का कोई छात्र जवाब नहीं दे रहा है, ऐसे ही और भी एक वीडियो में छात्र गेट के बाहर गुलाब की कली लेकर खड़े मंत्री से फूल स्वीकार नहीं कर रहे है और अपनी धुन में आगे निकल रहे हैं!

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कुछ लोग छात्रों के इस एटीट्यूड से बेहद खफा हैं वे चाहते है कि छात्र मंत्री जी की नमस्ते की मुद्रा का जवाब देते हुए उन्हे साष्टांग दंडवत करे और रोते हुए उनके पैरो में गिर उनकी इस कृपा के लिए कैमरे के सामने मोदी की प्रशंसा के पुल बांध दे. दरअसल कई सौ साल की गुलामी के बाद इस राष्ट्र के डीएनए में ही गुलामी घुस गई है लोग चाहते है कि जेसे प्लेन में बैठे छात्र भारत माता की जय नारे पर जय बोल रहे वैसे ही नरेंद्र मोदी जिंदाबाद बोलने पर जोर से चिल्लाकर जिंदाबाद बोले! क्यो बोले नरेंद्र मोदी जिंदाबाद? क्या आप उम्मीद कर सकते हैं कि ऐसे ही अमेरिकी नागरिकों से भरे हुआ प्लेन में ट्रंप जिंदाबाद बोलने को कहा जाए तो क्या वे ट्रंप जिंदाबाद बोलेंगे? क्या उन्हे ट्रंप की जयजयकार करने को कहा जा सकता हैं? नही कहा जा सकता न? अमेरिका के लिए आप ऐसा सोच भी नही सकते लेकिन न सिर्फ भारत के लिए ऐसा आप सोचते हैं बल्कि ऐसा आप करते भी हैं ऐसा करने में आपको शर्म महसूस ही नही होती जबकि भारत और अमेरिका दोनो ही जगह लोकतंत्र हैं।

दरअसल इस तरह से जिंदाबाद का नारा लगवाना ‘लॉन्ग लिव द किंग’ की तरह की ही बात है जो हमे औपनिवेशिक काल की याद दिलाता है और जब हम जिंदाबाद के जयघोष की उम्मीद करते हैं हम उसी गुलामी की भावना को अपने मे बनाए रखना चाहते हैं यहां हम यह कभी सोच ही नहीं पाते कि वह मंत्री और भारत लौटने वाला छात्र एक ही केटेगेरी के हैं, सरकार अपना फर्ज ही निभा रही हैं जबकि सरकार को शर्मिंदा होना चाहिए कि उनकी गलती के कारण छात्रों को इतनी तकलीफे झेलना पड़ रही थी.

अब अंत में एक विडियो मै आपको याद दिलाता हूं कुछ साल पहले ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री जॉन मोरिसन एक आस्ट्रेलिया के किसी शहर में सड़क पर चलते हुए संवाददाताओं से लॉन में खड़े होकर बातचीत कर रहे थे. तभी वीडियो में दिखाई पड़ा कि एक शख्स अपने घर से बाहर निकलता है और अपने पीएम को टोकते हुए स्पष्ट शब्दों में मॉरिसन को कहता है कि क्या आप लोग उस लॉन से हट सकते हैं, यह मेरा लॉन है और मैंने अभी इसमें बीज डाले हैं. जिसके जवाब में मॉरिसन बोले, ठीक है. क्यों नहीं हम यहां से हट जाते हैं. और उस शख्स को सॉरी  कहते हुए उस जगह से पीछे हट जाते है।

क्या ऐसे एटिट्यूड की आप भारत मे उम्मीद करते है? ऐसा भारत में हो जाए तो सत्ताधारी दल के कार्यकर्ता उस व्यक्ति का मार मार कर जुलूस निकाल दे, 70 सालो से हम कहने को ही लोकतांत्रिक देश है लेकिन आज भी हमारी मानसिकता ‘लॉन्ग लिव द किंग’ वाली ही है।

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणकीर हैं, ये उनके निजी विचार हैं)