मुग़ल काल का आर्थिक पक्ष, पूरे यूरोप से भी अधिक थी मुग़ल काल में भारत की जीडीपी

मनोज अभिज्ञान

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मुग़लों के आने से पहले भारत की कोई मजबूत केंद्रीय सत्ता नहीं रह गई थी। बहुत सारे छोटे छोटे राज्य रह गए थे। कोई केंद्रीय प्रशासनिक व्यवस्था नहीं थी। मुग़लों के आने के बाद की शताब्दियों में मुग़लकालीन भारत की जैसी विशेषता थी, करीब करीब उसी तरह की विशेषता यूरोप और दुनिया के अन्य हिस्सों में भी पाई जाती है। 16वीं शताब्दी में यूरोप, एशिया और अमेरिका के बीच सीधे समुद्री संपर्क स्थापित होने के बाद दुनिया के विविध क्षेत्रों में फैली एक वैश्विक अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे उभरने लगी। यही कारण है कि 1500 से 1800 तक के 300 वर्षों को इतिहासकारों द्वारा अक्सर प्रारंभिक आधुनिक काल के रूप में वर्णित किया जाता है। दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों के बीच घटती दूरियों के साथ-साथ प्रत्येक समाज के आंतरिक संस्थानों के आकार और जटिलता में वृद्धि होना इस दौर की एक सामान्य प्रवृत्ति थी।

Karl J. Schmidt के ‘An Atlas and Survey of South Asian History’ पृष्ठ 100 के अनुसार मुग़ल काल में भारतीय अर्थव्यवस्था काफी समृद्ध थी। मुग़ल काल में भारत की जीडीपी (GDP) पूरे यूरोप से अधिक, विश्व की अर्थव्यवस्था का करीब 22 फ़ीसदी थी जो कि विश्व में दूसरे नम्बर पर थी। पहले नम्बर पर चीन के मिंग शासकों की अर्थव्यवस्था थी।

The World Economy Historical Statistics के पृष्ठ 256 के अनुसार मुग़लकाल में 1700 तक आते आते भारत की जीडीपी विश्व की इकोनॉमी का 24 फ़ीसदी हो गई थी जो पूरे विश्व में पहले स्थान पर थी। 18वीं शताब्दी तक मुग़लकालीन भारत विश्व का एक चौथाई औद्योगिक उत्पादन कर रहा था। मुग़ल साम्राज्य के तहत भारत की जीडीपी में वृद्धि की दर मुग़ल साम्राज्य के पहले के 1500 सालों की तुलना में सबसे अधिक थी।

इस प्रकार हम विश्व में महान साम्राज्यों के उदय की एक श्रृंखला देखते हैं: मध्य पूर्व में ओटोमन और सफ़वी साम्राज्य और चीन के मिंग-किंग राजवंश के साथ साथ भारत में मुग़ल साम्राज्य। इन प्रारंभिक आधुनिक साम्राज्यों द्वारा प्रयुक्त नियंत्रण की नवीन तकनीकियां उनके पूर्ववर्तियों की तुलना में बहुत अधिक प्रभावी थीं और आधुनिक दुनिया की कुशल नौकरशाही की ओर मार्ग प्रशस्त कर रही थीं।

इस तरह अगर राजनीतिक कारणों को नजरअंदाज कर दें तब भी मुग़ल साम्राज्य तत्कालीन दुनिया के साथ भारत को कदम से कदम मिलाकर चलने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहा था। इसलिए इतिहास में मुग़लकाल ने न सिर्फ भारत के स्थापत्य, साहित्य, कला आदि में अतुलनीय योगदान दिया बल्कि भारत को आधुनिक काल में ले जाने की पूर्वपीठिका तैयार की। इसलिए मुग़लकाल से चिढ़ने या शर्माने जैसी कोई बात नहीं है।