कांवड़ियों के लिये भंडारे, चिकित्सा शिविर लगाने वाली सरकार, मजदूरों के लिये भी ऐसा ही करती तो…

गिरीश मालवीय

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मोदी सरकार के इंतजामो से दुखी लाखो प्रवासी मजदूर अपने अपने घरों की ओर पैदल ही निकल पड़े है मीडिया में, सोशल मीडिया में उनके रास्ते मे आ रही दुख तकलीफों को बताया जा रहा है यह देख कर मन बहुत विचलित महसूस कर रहा है उनकी अंतहीन समस्याओं पर विचार करते हुए मुझे एक अच्छा आइडिया आया है. देखिए लाखों मजदूर सड़कों पर तो पैदल चल ही रहा है वो बस एक छोटा सा काम करे, एक रामनामी दुपट्टा ओढ़ ले या कपड़े भगवा रंग के पहन लें, और कंधे पे एक कांवड़ उठा ले, दो लोटे में इधर उधर का जल भर ले और बम भोले, बम भोले का नाद करता हुआ निकल पड़े.

उसके ऐसा करते ही आप देखिएगा राज्य सरकारों का उसके प्रति नजरिया पूरी तरह से बदल जाएगा, वो जहाँ जहाँ से भी गुजरेगे उनके स्वागत सत्कार की व्यवस्था की जाएगी, जगह जगह सरकार द्वारा स्वास्थ्य केम्प लगाए जाएंगे जिसमे सरकारी डॉक्टर नियुक्त किये जाएंगे, यहाँ तक कि इन मजदूरों के लिए एक कांवड़ यात्रा मैनेजमेंट एप्प जैसी एप्प बनवा दी जाएगी जिसमे रियल टाइम डाटा ओर जियो टैगिंग के आधार पर मजदूरों को कहा से आना है कहा जाना है यह सब सूचना मिलती रहेगी.

धर्मप्राण संस्थाएं उन्हें पानी पिलाएगी, टेंट लगाकर कार्यकर्ता साबूदाने की खिचड़ी खिलाने के लिए मजदूरों की मनुहार करेंगे ओर जो पुलिस उन्हें अभी मारती है पैसा तक छीन लेती है वह स्वंय उनकी आगे बढ़कर सुरक्षा करेगी ओर तो ओर जिले का एसपी उनके पाँव तक दबाएगा, हेलिकॉप्टर से राज्य के सबसे बड़े पुलिस अधिकारी DGM उन पर फूलों की वर्षा करेगा, इसके लिये हफ्ते भर के लिए 20 -25 लाख लगाकर हेलीकॉप्टर बुक किया जाएगा, दो ढाई लाख के उन पर फूल बरसाए जाएंगे.

जगह जगह डीजे बजने लगेंगे, प्रवासी मजदूर चलते चलते थोड़ा डांस भी कर पाएंगे इनसे उनकी इम्युनिटी ओर मजबूत हो जाएगी. रास्तों में उन्हें रोककर खाना खिलाने के इंतजाम राज्य सरकारें कर देगी, धर्मपरायण संगठन पूरी श्रद्धा भक्ति से उसकी सेवा में जुट जाएंगे, ट्रक मालिकों को निर्देश दे दिए जाएंगे कि मजदूरों को पहले रास्ता दे उन्हें कुचले नही ओर अगर कोई वाहन मजदूरों को कुचलता है तो उसे रोक कर उसमे आग लगाने की पूरी छूट भी मिल जाएगी.

जो मुख्यमंत्री उन्हें रोक लेना चाह रहा है वह स्वंय आगे बढ़कर उनकी अगवानी करेंगे. मुख्यमंत्री अपने अधिकारियों को यहाँ तक निर्देशित करेगा कि हाईवे किनारे बड़े बड़े लग्जरी टेन्ट लगवा कर मजदूरों के आराम की डोरमैट्री में व्यवस्था की जाए यहाँ तक कि मुख्यमंत्री सड़कों पर लगे गूलर के पेड़ो को कटवा भी देगा. सड़को पर कांटे तक बिनवा दिए जाएंगे कि मजदूरों को कोई कष्ट न हो.

यानी आप खुद ही सोचिए कि सिर्फ वस्त्र का कलर बदलने से, रामनामी ओढ़ लेने से, कंधे पे एक कांवड़ उठा लेने से कितना बड़ा परिवर्तन सरकार की सोच में हो जाएगा इसका अंदाज़ा भी सड़क पर चलता हुआ मजदूर नही लगा पा रहा है. यह बहुत छोटा सा उपाय है पर बेहद प्रभावी साबित होगा ऐसी आशा है. वैसे बहुत से मजदूर जो वापस लौट रहे वो स्वयं ऐसे आयोजनों में शामिल होते आए है! उनकी तो प्रैक्टिस भी है पहले भी उन्होंने बड़े गर्व के साथ उन्होंने धर्म ध्वजा उठाई थी वो उन्होंने अपने इष्ट के लिए उठाए थी तो आज अपने लिए उठा ले ! क्या कहते हो? करके देखिए ……अच्छा लगता है!.………

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं, ये उनके निजी विचार हैं)