विधानसभा में बोले तेजस्वी, “किसी माई के लाल में दम नहीं जो मुसलमान भाइयों से मताधिकार छीन ले”

पटनाः बिहार विधान मंडल के बजट सत्र में पहुंचे नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा कि आजकल देशभक्ति का सर्टिफिकेट दिया जा रहा है। मुसलमानों से वोटिंग का अधिकार छीनने की बात सत्ता पक्ष के एक विधायक ने की है। तेजस्वी ने अपने संबोधन में कहा कि देश की आजादी में सभी ने अपनी कुर्बानी दी है, लेकिन आरएसएस वालों ने नहीं दी। बिहार ही वह धरती है जहां आडवाणी को गिरफ्तार किया गया। किसी माई के लाल में ताकत नहीं जो मुसलमानों से उनका अधिकार छीन ले।

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तेजस्वी ने बिहार सरकार में उद्योग मंत्री की ओर इशारा करते हुए कहा कि शाहनवाज जी आप वोट नहीं दे पाएंगे। बिहार के चीफ सेक्रेट्री से वोटिंग का अधिकार छीन लिया जाएगा। तेजस्वी यादव की बात सुनकर शाहनवाज हुसैन उठे और कहा कि नागरिकता का अधिकार लेने का अधिकार किसी को नहीं है। इसपर राजद विधायक सुरेंद्र यादव ने कहा कि आरएसएस देश के लिए खतरा है। सुरेंद्र यादव का इतना कहना था कि उपमुख्यमंत्री तारकेश्वर प्रसाद उठ खड़े हुए। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े होने पर गर्व है। मामला जब काफी गरमा गया तब विधानसभा अध्यक्ष ने सर्वदलीय बैठक बुलाई।

जानकारी के लिये बता दें कि पिछले दिनों भाजपा एक विधायक ने मुसलमानों के ख़िलाफ अमर्यादित टिप्पणी की थी। भाजपा विधायक ने कहा कि मुसमलानो से मताधिकार छीन लेना चाहिए। भाजपा विधायक के इस बयान का वीडियो सोशल मीडिया पर भी वायरल हुआ था। बीते रोज़ ओवैसी की पार्टी की विधायकों ने भी भाजपा विधायक की ओर से हुई विवादित बयानबाजी पर सदन में हंगामा किया था।

दलित उत्पीड़न पर हंगामा

बिहार विधानसभा में विपक्ष के सदस्यों ने दलित उत्पीड़न और विधायकों की सुरक्षा के मामले को लेकर हंगामा किया। विधानसभा में सभाध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने प्रश्नकाल समाप्त होने के बाद भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी लेनिनवादी (भाकपा-माले) के सत्यदेव राम, महबूब आलम और कांग्रेस के अजीत शर्मा के कार्यस्थगन प्रस्ताव को नियमानुकूल नहीं होने के कारण नामंजूर कर शून्यकाल शुरू किए जाने की घोषणा की, विपक्ष के सदस्य एक साथ अपनी सीट से ही शोरगुल करने लगे । इसके बाद सभा अध्यक्ष ने भाकपा-माले के सत्यदेव राम को अपनी बात कहने का मौका दिया।

सत्यदेव राम ने कहा कि वैशाली में एक दलित की बेटी का अपहरण कुछ दबंगों ने कर लिया और जब उसके पिता ने दबंगों से बेटी को छोड़ने की प्रार्थना की तो उन लोगों ने उन्हें कहा कि तीन दिन में उनकी बेटी मिल जाएगी और वह इस बारे में किसी से कुछ नहीं कहे । इसके बाद उसकी बेटी का शव मिला है। यह बेहद शर्मनाक और दुखद घटना है। इसके बाद सभा अध्यक्ष ने शून्यकाल की कार्यवाही को आगे बढ़ाने का आदेश दिया तब भाकपा माले के महबूब आलम सदन के बीच में आ गए । उनके साथ माले के अन्य सदस्य भी सदन के बीच में आकर शोरगुल करने लगे ।

इस पर सभा अध्यक्ष ने कहा कि सरकार ने इस मामले में संज्ञान ले लिया है। उन्होंने कहा कि जब आसन ने उन्हें अपनी बात कहने का मौका दिया तो उसके बाद सदन के बीच में आकर व्यवधान डालना ठीक नहीं है। सदन के बीच में आने वाले को वह बोलने का मौका नहीं देंगे।

श्री सिन्हा ने कहा कि आसन ने स्पष्ट शब्दों में बता दिया है कि संविधान, संस्कृति और विरासत पर हमें गर्व होना चाहिए । कोई सदस्य यदि गैरजरूरी प्रश्न उठाते हैं या टीका-टिप्पणी करते हैं तो यह उनका व्यक्तिगत परिचय माना जाएगा। उसे सदन की भावना के प्रतिकूल माना जाएगा । ऐसे सदस्यों को न तो प्रोत्साहित करने की जरूरत है और न ही कोई सदस्य अन्यथा इसे महत्व दें, क्योंकि ऐसे सदस्यों को अपने पूर्वजों और वरिष्ठ सदस्यों से सीखने की जरूरत है । सिर्फ चर्चा में बने रहने के लिए कोई सदस्य किसी की भावना को आहत करने का प्रयास न करें सदन शांतिपूर्ण ढंग से चले और सार्थक विमर्श हो। सदस्यों की सजगता, सरकार की संवेदनशीलता एवं तत्परता से सदन में शत-प्रतिशत प्रश्नों का उत्तर आ रहा है । जनहित का काम हो सके यह हम सब की सामूहिक जिम्मेदारी है ।

इसके बाद सभाध्यक्ष ने माले के महबूब आलम को अपनी बात कहने का मौका दिया । श्री आलम ने कहा कि यह बेहद ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक बेटी के बाप को पुलिस और सरकार पर भरोसा नहीं है। वह अपनी बेटी को छुड़ाने के लिए अपहरणकर्ता के ही बाप के पास जाता है और कहता है कि उसकी बेटी के साथ तो बलात्कार हो ही गया, कम से कम उसे वापस कर दीजिए, वह पुलिस में कोई मुकदमा नहीं दायर करेगा लेकिन दो दिन के बाद उसकी बेटी की लाश मिलती है ।

सभा अध्यक्ष ने मंत्री को इस मामले को संज्ञान में लेने का निर्देश दिया। इससे पहले सभा अध्यक्ष ने कांग्रेस के अजीत शर्मा को भी अपनी बात कहने का मौका दिया । श्री शर्मा ने कहा कि 23 मार्च 2021 को पुलिस ने विधायकों के साथ मारपीट की थी, इस मामले में अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है । यह सदन की अवमानना और सदस्यों का अपमान है । इस मामले में सदन में बहस होनी चाहिए।