केबल रूल्स 2021 में संशोधन और डिजिटल मीडिया आईटी रूल्स 2021को चुनौती देने वाली याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट में लाए जाने की अर्जी पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया जस्टिस एनवी रमना ने कहा कि ऐसा लगता है कि वेब पोर्टल पर किसी का कोई नियंत्रण नहीं है। वो जो चाहे चलाते हैं। उनकी कोई जवाबदेही भी नहीं है। वे हमें कभी जवाब नहीं देते। वो संस्थाओं के खिलाफ बहुत बुरा लिखते है। लोगों के लिए तो भूल जाओ, संस्थान और जजों के लिए भी कुछ भी मनमाना लिखते कहते है। हमारा अनुभव यह रहा है कि वे केवल वीआईपी की आवाज सुनते हैं।
उन्होंने कहा कि आज कोई भी अपना टीवी चला सकता है। Youtube पर देखा जाए तो एक मिनट में इतना कुछ दिखा दिया जाता है। चीफ जस्टिस ने कहा, ‘मैंने कभी फेसबुक, ट्विटर और यू ट्यूब द्वारा कार्यवाही होते नहीं देखी। वो जवाबदेह नहीं हैं वो कहते हैं कि ये हमारा अधिकार है।’सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मीडिया के एक वर्ग की दिखाई खबरों को सांप्रदायिक रंग दिया गया था, इससे देश की छवि खराब हो सकती है।’
बात-बात पर हिंदू मुसलमान करने वाले मीडिया के एक हिस्से पर सुप्रीम कोर्ट की कड़ी टिप्पणी:
“The problem is, everything in this country is shown with a communal angle by a section of media. That is the problem. The country is going to get a bad name ultimately.”— Akhilesh Sharma (@akhileshsharma1) September 2, 2021
चीफ जस्टिस एन वी रमना की बेंच निजामुद्दीन मरकज की तबलीगी जमात वाली घटना के दौरान फर्जी और प्रेरित खबरों के खिलाफ जमीअत उलमा-ए-हिंद और पीस पार्टी की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार को उन टीवी कार्यक्रमों पर लगाम लगाने के लिए ‘कुछ नहीं करने’ पर फटकार लगाई थी जिनके असर ‘भड़काने’ वाले होते हैं। कोर्ट ने कहा था कि ऐसी खबरों पर नियंत्रण उसी प्रकार से जरूरी है जैसे कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिये एहतियाती उपाय।
इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हिंसा के दौरान एहतियाती कदम के तौर पर इंटरनेट बंद करने के फैसले का भी हवाला दिया थी। बता दें कि जमीअत उलमा-ए-हिंद, पीस पार्टी, डीजे हल्ली फेडरेशन ऑफ मस्जिद मदारिस, वक्फ इंस्टीट्यूट और अब्दुल कुद्दुस लस्कर की ओर से दायर याचिकाओं में आरोप लगाया गया है कि मीडिया की रिपोर्टिंग एकतरफा थी और मुस्लिम समुदाय का गलत चित्रण किया गया।
होती है देश की बदनामी
CJI ने यह भी पूछा कि क्या यूट्यूब जैसे वेब पोर्टलों को नियंत्रित करने वाले कोई नियम हैं, जो एक मिनट में इतना कुछ दिखाते हैं। उन्होंने कहा, “ट्विटर, फेसबुक या यूट्यूब … वे हमें कभी जवाब नहीं देते हैं और कोई जवाबदेही नहीं है। संस्थानों के बारे में उन्होंने बुरा लिखा है और वे जवाब नहीं देते हैं और कहते हैं कि यह उनका अधिकार है। उन्हें केवल शक्तिशाली पुरुषों की चिंता है, जजों की नहीं, संस्थानों या आम आदमी। हमने यही देखा है।” CJI ने यह भी पूछा कि क्या यूट्यूब जैसे वेब पोर्टलों को नियंत्रित करने वाले कोई नियम हैं, जो एक मिनट में इतना कुछ दिखाते हैं।