Success Story : हरियाणा के सबसे पिछड़े क्षेत्र मेवात की वह बेटी जो बन गई जज, जानें तबस्सुम की कहानी

नूह/मेवातः हरियाणा से सटे मेवात बेटी तबस्सुम ने हरियाणा राज्य न्यायिक सेवा के इसी साल फरवरी में आए नतीजों में बीसीबी कैटेगरी में पहला स्थान हासिल किया है। यहां यह बताना जरूरी है कि मेवात हरियाणा का सबसे पिछड़ा इलाक़ा है, यहां शिक्षा, स्वास्थय रोजगार जैसी मूलभूत सुविधाओं के भी भी लाले हैं। इन सब परिस्थितियों से दो चार होते हुए मेवात की बेटी जज बनी है। तबस्सुम की मेहनत और लगन का ही नतीजा है कि एक वर्ष के भीतर ही तबस्सुम का हिमाचल, हरियाणा, दिल्ली में जज की परीक्षा उत्तीर्ण करने में नंबर आ चुका है।

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बड़ी बहन भी है जज

तबस्सुम की बड़ी बहन तरन्नुम हरियाणा राज्य न्यायिक सेवा में लगभग सात वर्ष पहले जज बनी थी। तरन्नुम हरियाणा राज्य की पहली ऐसी जज हैं, जो अल्पसंख्यक समुदाय से हैं। हरियाणा राज्य न्यायिक सेवा उत्तीर्ण करने पर तबस्सुम के पिता याकूब खान के परिवार में खुशी का माहौल है। बता दें कि याकूब खून हरियाणा पुलिस से सेवानिवृत हैं। उनकी बेटी की कामियाबी पर मौहल्ले और आस पड़ोस के लोग उन्हें मुबारकबाद दे रहे हैं। याक़ूब मेवात जिले के बिसरू गांव के रहने वाले हैं।

गांव में हुआ स्वागत

तबस्सुम के जज बनने की खुशी में उनका परिवार ही नहीं बल्कि पूरा गांव ने उनका स्वागत किया। याक़ूब ख़ान जब हरियाणा पुलिस में नौकरी करते थे, उसी समय उन्होंने अपनी दोनों बेटियों और दो बेटों को अच्छी शिक्षा दिलाना शुरु कर दिया था। फरीदाबाद और दिल्ली में पढ़ी उनकी बेटी तबस्सुम ने उनके सपने को जज बनकर साकार कर दिया।

पहला गांव जहां दो सगी बहनों ने रचा इतिहास

जज बनने वाली तबस्सुम के भाई तारीफ खान अपने पैतृक गांव बिसरू में ही स्कूल चलाते हैं और शिक्षा की अलख जगा रहे हैं। याक़ूब खान अब हरियाणा पुलिस से रिटायर हो चुके हैं और वे भी अपने बेटे के साथ शिक्षा की अलख जगाने में जुटे हुए हैं। याकूब खान का एक बेटा वकील है जो दिल्ली की एक अदालत में वकालत कर रहा है। याक़ूब बताते हैं कि उनका वकील बेटा भी जज बनना चाहता है। बिसरु मेवात का यह पहला गांव है, जहां दो सगी बहनों ने हरियाणा में जज बनकर कीर्तिमान स्थापित किया है।

बसरू गांव की गिनती नूह जिले के शिक्षित गांवों में होती है। करीब 25 हजार की आबादी वाला यह गांव अब क्षेत्र में चर्चाओं में बना हुआ है। तबस्सुम और तरन्नुम की यह अनूठी कामयाबी शिक्षा के क्षेत्र में काफी पिछड़े मेवात के लिये एक मिसाल है, और प्रेरणा काम करती है।