दिल्ली से करीब 50किलोमीटर दूर हरियाणा के नूंह जिले के गांव रिठौड़ा की दो बहनें उन परिवारों के लिए उदाहरण बनकर सामने आई हैं जो अपनी बच्चियों को उच्च शिक्षा दिलाने से कतराते हैं। दोनों बहनें एक साथ नीट परीक्षा में कामयाब हुई हैं।
दोनों बहनों ने हाल में 12वीं की बोर्ड परीक्षा पास की और पहले ही अटेंप्ट में नीट क्रैक कर लिया। मगर इनकी कामयाबी के पीछे एक पीर साहब की प्रेरणा भी है। दोनों बहनें हरियाणा के इस पिछड़े इलाके की स्वास्थ्य सेवा में सुधार में योगदान देना चाहती हैं। वह जब सातवीं क्लास में थी, तभी से डॉक्टर बनने का सपना देख रही थीं। इसके लिए निरंतर प्रयासरत थीं। अब वह डॉक्टर बनने की दहलीज पर खड़ी हैं।
शमीमा पुत्री मोहम्मद यूसुफ और आयशा पुत्री मोहम्मद किफायत दोनों चाचा-ताऊ की लड़कियां है। मोहम्मद यूसुफ की तीन बेटी और 2बेटे हैं। बड़ा बेटा शमीम अहमद 2016के बैच के एमबीबीएस हैं। दूसरा भाई इंजीनियर है। शमीमा तीसरे नंबर की है। इनके पिता अध्यापक हैं।
शमीमा के पिता मोहम्मद यूसुफ ने बताया कि 2014की बात है। वह कोट गांव के बुजुर्ग एवं पीर हजरत मोहम्मद इलियास की उत्तर प्रदेश के रायपुर स्थित खानकाह में दुआ के लिए गए थे। इस दौरान पीर साहब ने उन्हें बेटी और बेटे को डॉक्टर बनाने के लिए प्रेरित किया था। पीर साहब का कहना था कि एक बेटी के डॉक्टर बनने से हजारों महिलाएं बेपर्दा होने से बचेंगी।
यूसुफ का कहना है कि तब उनकी बेटी शमीमा 7वीं और बेटा शमीम 10वीं में पढ़ते थे। उन्होंने अपने बच्चों को डॉक्टर बनने के लिए प्रेरित किया, जिसे दोनों ने गांठ बांध लिया। उसके बाद बेटे और बेटी डॉक्टर बनने को साकार करने में उसी समय लग गए।
शमीमा कहती हैं, 9करने के बाद नीट की तैयारी करनी शुरू कर दी थी। उन्होंने बताया कि वर्ष 2016 में बेटा शमीम का नीट सलेक्शन हो जाने के बाद बेटी शमीमा और भतीजी आयशा ने शमीम से गाइडेंस लेना शुरू कर दिया।
उन्होंने बताया के दोनों बेटियों ने एक साल राजस्थान के कोटा में नीट परीक्षा की कोचिंग की। कोरोना के कारण बाकी तैयारियां घर पर रहकर ही पूरीं की। बावजूद इसके दोनों बहनें पहले ही अटेंप्ट में कामयाब हो गईं। इनकी कायाबी ने साबित कर दिया कि मेवात जैसे पिछड़े क्षेत्र में भी प्रतिभाएं भरी पड़ी हैं।
जरूरत है तो ऐसी प्रतिभाओं को पहचान कर उन्हें सही रास्ता दिखाने का। नीट में शमीमा ने 635 और आयशा ने 622 रैंक हासिल किया है। मेवात के जाने-पहचाने समाजसेवी रमजान चैधरी ने दोनों बहनों की इस कामयाबी पर उम्मीद जाहिर की है कि निश्चित ही मुस्लिम बहुल इस क्षेत्र का भविष्य उज्जवल है। हाल के दिनों में मेवात की कई प्रतिभाएं राष्ट्र स्तर पर चमकी हैं।
सभार आवाज़ द वायस