अफ़ग़ानिस्तान संकट: क्या कहता है भारत का मुस्लिम बुद्धिजीवी वर्ग?

नई दिल्लीः अफ़ग़ानिस्तान से अमेरिकी फौज की वापसी के फौरन बाद हालात एक दम बदल गए हैं। दो दशक से सत्ता से दूर रहने वाले तालिबान ने 15 अगस्त को अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल पर कब्ज़ा कर लिया। अफ़ग़ानिस्तान के लगभग तमाम इलाक़े एक-एक कर ताबिलान के कब्ज़े मे आते चले गए, अफ़ग़ान सेना ने बिना मुक़ाबला किए ही तालिबान के सामने सरेंड कर दिया, और अफ़ग़ानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ़ ग़नी अपने क़रीबियों के साथ देश छोड़कर गए। इस सबके बीच अफ़ग़ानिस्तान में अफरा-तफरी का माहौल है। लोगों को तालिबान का ख़ौफ सताने लगा है। तालिबान द्वारा अफ़ग़ानिस्तान पर कब्ज़ा करने के बाद हालात तेज़ी से बदल गए हैं। हमने इस सब पर भारत के मुस्लिम बुद्धिजीवी वर्ग से बात कर उनकी राय जाननी चाही, जिसे यहां प्रकाशित किया जा रहा है।

Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और दरगाह अजमेर शरीफ गद्दी नशीन प्रोफेसर सय्यद लियाकत हुसैन मोइनी चिश्ती का कहना है कि अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान को पाकिस्तान सरकार और फौज़ का शुरू से ही समर्थन रहा है। तालिबान के सत्ता में आने से अफ़ग़ान भूमि की सूफ़ी अवाम को गंभीर ख़तरा है। हम भारत सरकार से अपील करते हैं कि अफ़ग़ानी सूफ़ी और धार्मिक अल्पसंख्यकों विशेष रूप से सूफी दरगाहों (चिश्त शरीफ) की सुरक्षा के लिए क़दम उठाए जाएं।

तंजीम उलमा-ए-इस्लाम के महासचिव मौलाना शहाबुद्दीन रिज़वी का कहना है कि किसी भी रूप में तालिबान के अफ़ग़ानिस्तान पर क़ब्ज़े से दक्षिण एशिया को कोई फ़ायदा नहीं है। यह अफ़ग़ानिस्तान और मुसलमानों को नुक़सान पहुँचाएगा। भारत का मुसलमान पाकिस्तान के प्रॉक्सी वॉर को समझ चुका है।

मुस्लिम स्टूडेंट ऑर्गेनाइजेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉक्टर शुजाअत अली क़ादरी ने कहा कि “अफगानिस्तान के हालात के लिए अमेरिका, पाकिस्तान और पश्चिम के देश जिम्मेदार हैं। यदि तालिबान कोई बंदिश औरतों, अल्पसंख्यक पर लगाता है या मानवाधिकार का उल्लंघन करता है तो तालिबान जिम्मेदार है। भारतीय मीडिया या कुछ  संगठनो द्वारा भारतीय मुसलमानों को निशाना बनाना सरासर गलत है।”

उन्होंने कहा कि भारतीय मुसलमान हमेशा चरमपंथ और कट्टरवाद का विरोध करते हैं, चाहे उनके धर्म का हो या किसी और का। भारतीय मुसलमानों ने ISIS, अल कायदा या अन्य आतंकी संगठनों का हमेशा ही बहिष्कार किया है।”

तहरीक उलमा-ए- हिंद के चेयरमैन मुफ्ती ख़ालिद अय्यूब मिस्बाही ने पाकिस्तान पर निशाना साधा है, इसके अलावा उन्होंने भारतीय मुसलमानों से भी सोच समझकर प्रतिक्रिया देने की अपील की है। उन्होंने कहा कि “तालिबान को कौन सा देश समर्थन दे रहा है ये किसी से भी छिपा नहीं है, सभी जानते हैं कि पाकिस्तान इसकी पुश्त पनाह में है। अफ़गानिस्तान की बरबादी में पाकिस्तान के साथ साथ अमरीका का भी बहुत बड़ा योगदान है। भारतीय मुस्लिम युवाओं से मेरी अपील है कि वो भावनाओ में न बहे बल्कि सोच समझ कर प्रतिक्रिया दें।“

ऑल इंडिया तंजीम उलमा-ए-इस्लाम के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुफ्ती अशफ़ाक़ क़ादरी ने कहा कि जो तालिबान की सत्ता वापसी की ख़ुशियां मना रहे हैं, उन्हें अभी वहाबी विचारधारा के ख़तरनाक स्वरूप की जानकारी नहीं। साल 2001 में अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान की तबाहकारियों की विवेचना करेंगे तो कभी उनका समर्थन नहीं किया जा सकता।