स्टालिन सरकार का फैसला ‘तमिलनाडु में कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन के मुकदमें वापस होंगे’

चेन्नईः तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने केंद्र के कृषि कानूनाें और नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ हुए प्रदर्शन के खिलाफ दर्ज किये गये सभी मामलों को गुरुवार को वापस लेने की घोषणा की। एम.के स्टालिन ने विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई बहस का उत्तर देते हुए कहा कि राज्य के सरकारी अस्पतालों में कोविड बाद क्लिनिक खोले जायेंगे। उन्होंने कहा कि दो औद्योगिक इकाईयां स्थापित की जायेंगी जिससे 22,000 लोगों को रोजगार मिलेगा तथा मीडिया के खिलाफ सभी मानहानि के मामले भी वापस लिये जायेंगे।

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उन्होंने कहा कि कोरोना बाद जटिलताओं को देखते हुए राज्य के सभी सरकारी मेडिकल कॉलेजों एवं अस्पतालों में विशेषज्ञ चिकित्सकों के साथ कोविड बाद क्लिनिक खोले जायेंगे। द्रमुक प्रमुख ने कहा कि राज्यपाल के अभिभाषण को व्यावहारिक स्वरूप प्रदान करने के लिए उत्तरी तमिलनाडु में दो नये उद्योग स्थापित किये जायेंगे। उन्होंने कहा कि युवकों और महिलाओं को रोजगार का अवसर मुहैया कराने तथा उत्तरी तमिलनाडु में औद्योगिक विकास को प्रोत्साहित करने के लिए चेय्यार और तिंदीवनम में दो नये उद्योग स्थापित किये जायेंगे जिसमें क्रमश: 12,000 और 10,000 रोजगार के अवसर सृजित होंगे।

विधानसभा में लाएंगे प्रस्ताव

जानकारी के लिये बता दें कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने पिछले दिनों घोषणा की थी कि केंद्र के तीन कृषि कानूनों और नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के विरोध में प्रस्ताव विधानसभा के बजट सत्र में अंगीकार किया जाएगा। राज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान श्री स्टालिन ने कहा कि केन्द्र से तीन कृषि कानूनों को रद्द करने का आग्रह किया गया और विधानसभा के आगामी सत्र में सीएए के विरोध में प्रस्ताव अंगीकृत किया जाएगा।

वर्तमान सत्र में परंपरा के अनुसार अभिभाषण पर चर्चा के दौरान प्रस्तावों को स्वीकार नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा, “अगले महीने होने वाले विधानसभा के बजट सत्र में कृषि कानूनों और सीएए के विरोध में प्रस्ताव स्वीकृत किए जाएंगे।” उल्लेखनीय है कि द्रविड मुनेत्र कषगम (द्रमुक) ने केंद्र में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के बनाए गए दोनों कानूनों का कड़ा विरोध किया और कृषि कानूनों को लेकर किसानों के समर्थन में विरोध प्रदर्शन भी किया था।

जानकारी के लिये बता दें कि सीएए क़ानून 2019 में बनाया गया था, इस क़ानून के ख़िलाफ देशभर में आंदोलन हुए, ग़ैर भाजपा शासित कई राज्यों ने इस क़ानून के ख़िलाफ प्रस्ताव पारित किया था। उसी तरह 2020 में केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए तीन कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ भी किसान आंदोलनरत हैं। ये किसान दिल्ली के बॉर्डर पर नवंबर 2020 से धरना दे रहे हैं। लेकिन उनकी मांगें अभी तक पूरी नहीं हुई हैं। किसान इन तीनों क़ानूनों को रद्द करने और एमएसपी पर क़ानून बनाने की मांग कर रहे हैं।